महाविकास आघाड़ी में राज ठाकरे को शामिल करने पर कांग्रेस कर रही संकोच, अब क्या करेंगे उद्धव ठाकरे?
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले, महाविकास आघाड़ी में राज ठाकरे को शामिल करने पर कांग्रेस हिचकिचा रही है। कांग्रेस को डर है कि राज ठाकरे के साथ जाने से हिंदी भाषी राज्यों और मुंबई में हिंदी भाषियों का समर्थन खो सकते हैं। उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे को साथ लेकर मराठी वोटों को एकजुट करना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस को छोड़ना नहीं चाहते।

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी में राज ठाकरे को शामिल किए जाने को लेकर कांग्रेस सहज महसूस नहीं कर रही है। उसे डर है कि राज ठाकरे के साथ जाने से उसे हिंदी भाषी राज्यों में तो नुकसान होगा ही, मुंबई में रहनेवाले हिंदीभाषी भी उससे नाराज हो सकते हैं।
राज ठाकरे अपनी हिंदी विरोधी नीति के लिए जाने जाते हैं। पिछले कुछ माह से उनकी पार्टी खुलकर मराठी न बोल पाने वालों पर आक्रामकता दिखा रही है। गैरमराठी भाषियों के साथ मापपीट की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जबकि इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
उद्धव ठाकरे को ये है उम्मीद
पिछले विधानसभा चुनाव में उद्धव की पार्टी शिवसेना(यूबीटी) एवं राज की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे), दोनों को करारी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज को साथ लेकर स्थानीय निकाय चुनावों में उतरना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि दोनों भाइयों के साथ आने से आम मराठीभाषियों में उनके प्रति भरोसा बढ़ेगा और मराठियों के एकजुट वोट उन दोनों को मिलेंगे।
उद्धव के लिए कांग्रेस बनी परेशानी?
लेकिन उद्धव की इस मंसा में एक बड़ी दिक्कत कांग्रेस बन रही है। कांग्रेस विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। मविआ में कांग्रेस के होने के कारण ही पिछले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे की पार्टी को मुसलमानों के वोट मिले। अब उद्धव राज को साथ लेकर मराठी मतों को तो एकजुट करना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस को छोड़ना भी नहीं चाहते।
कांग्रेस नहीं चाहती राज ठाकरे का साथ
लेकिन कांग्रेस राज को साथ लेने से कतरा रही है। क्योंकि मुंबई सहित महाराष्ट्र के कई हिस्सों में हिंदीभाषी मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है, और उनमें जो भाजपा को पसंद नहीं करते, वे कांग्रेस के मतदाता भी हैं। कांग्रेस राज ठाकरे को साथ लेकर अपने ऐसे मतदाताओं को खोना नहीं चाहती।
हालांकि अभी इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल कहते हैं कि अभी उनकी पार्टी में इस बात को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। राज ठाकरे के बारे में प्रदेश और केंद्रीय समिति मिलकर ही कोई फैसला करेंगी।
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