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    कांग्रेस ने सहारा डायरी की जांच के लिए दिए नए तर्क

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Fri, 06 Jan 2017 10:09 PM (IST)

    कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इससे साफ है कि दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राहुल गांधी के सहारा और बिड़ला डायरी का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाए गए आरोपों को सियासी मुद्दा बनाने में जुटी कांग्रेस ने अब कुछ नए तर्को के साथ इसकी जांच की मांग की है। पार्टी का दावा है कि आयकर विभाग के समझौता आयोग में जिस तरह जल्दबाजी में सहारा के अघोषित आय के मामले को रफा-दफा किया गया है उससे सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं। इसीलिए कांग्रेस सहारा डायरी की जांच के साथ इस पर पीएम से स्पष्टीकरण की मांग करती है।

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    कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आयकर समझौता आयोग के सहारा के आय छुपाने और कर चोरी के मामले के निष्पादन का ब्यौरा देते हुए कहा कि आय छुपाना गैर कानूनी है फिर भी आयकर विभाग ने सहारा पर कोई जुर्माना नहीं लगाया। न ही सहारा के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई ही आयकर महकमे ने की है। सुरजेवाला ने कहा कि इसी से संदेह होता है कि सहारा डायरी में लेन-देन के ब्यौरे में पीएम का नाम होने की वजह से इस मामले को आयकर विभाग ने केवल 16 दिन में तीन सुनवाई में रफा-दफा कर दिया।

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    सुरजेवाला ने यह भी दावा किया कि आयकर रिटर्न से साफ है कि सहारा ने 1217 करोड रुपए की आय छिपाई इसे आयकर विभाग ने मान लिया और कुल 1910.76 करोड की रकम पर टैक्स दिखाया। मगर कंपनी रजिस्ट्रार के यहां रिटर्न में 1956 करोड रुपए का सहारा ने खर्चा दिखाया जिसकी वजह से उसकी टैक्स देनदारी शून्य हो गई। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं नहीं आयकर विभाग के छापे में सहारा के दफ्तर से बरामद 137 करोड रुपए की नगदी पर भी कोई जुर्माना नहीं लगाया गया और टैक्स को इस रकम पर टैक्स को 12 किश्तों में देने की रियायत दी गई।

    कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इससे साफ है कि दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री पद की विश्र्वसनीयता के लिए कांग्रेस इस मामले की जांच की मांग रही है। सहारा डायरी में शीला दीक्षित का नाम होने और उनके इस डायरी को खारिज करने के बाद कांग्रेस के आरोपों की प्रासंगिकता पर उठे सवाल के जवाब में सुरजेवाला ने कहा कि हम पीएम का इस्तीफा नहीं मांग रहे। कांग्रेस केवल पीएम से स्पष्टीकरण और जांच की मांग कर रही है ताकि प्रधानमंत्री पद की विश्र्वसनीयता संदिग्ध न हो।

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