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सेना के दिल्ली कूच करने वाले मनीष तिवारी के दावे को कांग्रेस ने ही नकारा

कांग्रेस नेताओं ने 2012 में सेना के दिल्‍ली की और कूच करने पर मनीष तिवारी के बयान को खारिज कर दिया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2016 12:41 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2016 04:16 PM (IST)
सेना के दिल्ली कूच करने वाले मनीष तिवारी के दावे को कांग्रेस ने ही नकारा

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी द्वारा 2012 में दिल्ली की तरफ सेना के कूच को लेकर दिए गए बयान को जहां एक तरफ उस सयम सेना प्रमुख रहे जनरल वीके सिंह ने इसे नकार दिया है, वहीं कांग्रेस नेताओं ने भी ऐसी किसी भी घटना की सत्यता से इन्कार करते हुए मनीष तिवारी के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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जानकारी के अनुसार, उस समय रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी ने मनीष तिवारी के बयान को खारिज करते हुए कहा है कि मैंने पहले भी संसद में बयान दिया था कि ऐसा कुछ नहीं था। मैंने पहले भी इस बात से इन्कार किया था और अब भी करता हूं।

वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मनीष तिवारी कांग्रेस के प्रवक्ता नहीं हैं और यह उनकी निजी राय हो सकती है। कांग्रेस उनके बयान से खुद को अलग करती है। मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है। मेरे साथी मनीष तिवारी उस समय ना तो सुरक्षा पर बनी कैबिनेट कमेटी सदस्य थे और ना ही किसी अन्य निर्णय लेने वाली बॉडी के सदस्य थे। यह पूरी तरह गलत, गैरजरूरी और अनुचित है कि उस समय किए गए दावे को सही ठहराया जाए।

इन दोनों के अलावा कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा है कि उस सयम अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट को अधिकारिक रूप से जिम्मेदार सूत्रों द्वारा खारिज कर दिया गया था। मैं कांग्रेस पार्टी की तरफ से साफ करना चाहूंगा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह गलत है। उस समय सेना ने इस तरह का कोई मूवमेंट नहीं किया था।

तिवारी के बयान पर वीके सिंह के अलावा भाजपा नेता एसएन सिंह ने कहा है कि अगर ऐसा कुछ था तो तिवारी उस समय क्यों चुप थे जब उनकी ही पार्टी ने 2012 में सेना के मूवमेंट के दावे को खारिज किया था।

गौरतलब है कि शनिवार को एक पुस्तक के विमोचन के दौरान कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि 2012 में सेना की टुकड़ियों के दिल्ली की तरफ कूच करने की खबर बिल्कुल सही थी। उस वक्त मैं रक्षा मामलों के संसदीय स्थायी समिति में भी काम कर रहा था।

जानिए, क्या है मामला

अंग्रेजी के एक समाचार पत्र ने 4 अप्रैल, 2012 को सेना की दो टुकड़ियों के बिना किसी पूर्व सूचना के दिल्ली की तरफ कूच करने की जो खबर छापी थी,जिसमें कहा गया था कि 16 जनवरी 2012 को जिस दिन थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह सरकार के खिलाफ अपने आयु विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे उसी दिन देर रात इंटेलिजेंस एजेंसी को ये पता चला कि बिना किसी पूर्व सूचना के दिल्ली के पास सेना की दो टुकड़ियों का जमावड़ा हो गया।

अखबार में छपी खबर में इसका उल्लेख किया गया कि हिसार से सेना की टुकड़ी दिल्ली के नजफगढ़ तक आई थी, जबकि आगरा से एक यूनिट हिंडन तक पहुंची थी। सामान्य रूप से सेना की टुकड़ियों के अभ्यास की खबर सरकार को पहले ही दी जाती है, लेकिन खबर में दावा किया गया कि इस मामले में ऐसा नहीं हुआ था।

यह भी कहा गया कि जिस वक्त सेना का यह ‘मूवमेंट’ हुआ, उस वक्त रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा मलेशिया दौरे पर थे लेकिन सरकार ने उन्हेंज तुरंत तलब किया। इसके बाद शर्मा रात में दिल्ली पहुंचे और सीधे अपने दफ्तर गए। वहां से सीधे उन्होंने तत्कालीन डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन) एक.के.चौधरी को पूरे मामले को देखने और उसका पूरा ब्यौरा देने को कहा था। जिसके बाद सेना की टुकड़ियों को वहीं पर रोक दिया गया और उसके बाद उसे वहां से वापस भेज दिया गया।

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