Israel-Iran conflict: इजरायल-ईरान लड़ाई के दुष्परिणाम को लेकर बढ़ी चिंता, खाड़ी देशों में फैल सकता है संघर्ष
इजरायल ने सैन्य कार्रवाई के तहत शुक्रवार को ईरान पर हवाई हमले किए। ईरान ने भी पलटवार किए। इजरायल और ईरान के बीच हवाई हमलों की बौछार हुई। इस बीच इजरायल-ईरान संघर्ष के दुष्परिणाम को लेकर चिंता बढ़ गई है।हालांकि अमेरिका ने कहा है कि उसने इजरायली हमलों का समर्थन नहीं किया लेकिन ईरान का स्पष्ट रूप से मानना है कि अमेरिकी सेना ने इजरायली हमलों का समर्थन किया था।

जेएनएन, नई दिल्ली। इजरायल ने सैन्य कार्रवाई के तहत शुक्रवार को ईरान पर हवाई हमले किए। ईरान ने भी पलटवार किए। इजरायल और ईरान के बीच हवाई हमलों की बौछार हुई। इस बीच इजरायल-ईरान संघर्ष के दुष्परिणाम को लेकर चिंता बढ़ गई है।
अमेरिका बोला- हमारा हाथ हमलों में नहीं
हालांकि अमेरिका ने कहा है कि उसने इजरायली हमलों का समर्थन नहीं किया, लेकिन ईरान का स्पष्ट रूप से मानना है कि अमेरिकी सेना ने इजरायली हमलों का समर्थन किया था। ऐसे में ईरान पश्चिम एशिया में अमेरिकी ठिकानों- जैसे इराक में विशेष बलों के शिविर, खाड़ी में सैन्य अड्डे और क्षेत्र में राजनयिक मिशनों को निशाना बना सकता है।
अमेरिका कई बार ईरान को चेता चुका था
ईरान के समर्थक सशस्त्र गुट हमास और हिजबुल्ला भले ही कमजोर हुए हों, लेकिन इराक में इसके समर्थक मिलिशिया अब भी सशक्त हैं। अमेरिका को इस तरह के हमलों की आशंका थी और इसलिए उसने अपने कुछ कर्मियों को वापस बुला लिया है। अमेरिका ने ईरान को अमेरिकी ठिकानों पर किसी भी हमले के परिणामों के बारे में चेताया है।
इस संघर्ष में किसी अमेरिकी नागरिक की हत्या हो जाए तो क्या होगा
अगर किसी अमेरिकी नागरिक की तेल अवीव या कहीं और ईरानी हमले में हत्या हो जाए तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर लंबे समय से आरोप लगाया जाता रहा है कि वह ईरान को हराने में अमेरिका की मदद लेना चाहते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि केवल अमेरिका के बम ईरान के परमाणु केंद्रों को नष्ट कर सकते हैं। केवल अमेरिका के पास ही बंकर-तोड़ बम हैं।
हालांकि ट्रंप ने कहा है कि वह पश्चिम एशिया में युद्ध शुरू नहीं करेंगे, लेकिन कई रिपब्लिकन भी इजरायल की सरकार की तरह मानते हैं कि तेहरान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने का समय आ गया है। ऐसे में अगर अमेरिका सक्रिय तौर पर युद्ध में शामिल हो जाए तो दीर्घकालिक और विनाशकारी परिणाम होंगे।
खाड़ी देशों में फैल सकता है संघर्ष
अगर ईरान इजरायल की सेना को नुकसान पहुंचाने में विफल रहा, तो वह खाड़ी में उन देशों को निशाना बना सकता है जिनके बारे में ईरान का मानना है कि उन्होंने वर्षों से उसके दुश्मनों की सहायता की है। इनमें से कुछ ने पिछले साल ईरानी मिसाइल हमले से इजरायल की रक्षा में भी गुप्त रूप से मदद की थी।
इस क्षेत्र में ईरान ऊर्जा और बुनियादी ढांचे को निशाना बना सकता है। गौरतलब है कि ईरान पर 2019 में सऊदी अरब के तेल क्षेत्रों पर हमला करने का आरोप लगा था। ईरान समर्थक हाउती विद्रोहियों ने 2022 में यूएई में हमला किया था। यदि खाड़ी क्षेत्र पर हमला हुआ, तो उसे भी अपने और इजरायल के बचाव के लिए अमेरिकी लड़ाकू विमानों की आवश्यकता पड़ सकती है।
दीर्घकालिक युद्ध की आग से झुलस सकता है ईरान
इजरायल अगर इजरायल ईरान की परमाणु केंद्रों को पूरी तरह से नष्ट न कर सका और इजरायली हमले से ईरान के नेतृत्व को विश्वास हो जाता है कि हमलों को रोकने का एकमात्र तरीका जल्द से जल्द परमाणु क्षमता हासिल करना है तो वह तेजी से परमाणु बम बनाने का प्रयास कर सकता है। ऐसे में ईरान और इजरायल के बीच वार पलटवार को सिलसिला शुरू हो सकता है और यह क्षेत्र लंबे वक्त तक युद्ध की आग से झुलस सकता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर होगा दुष्प्रभाव
संघर्ष से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव होगा। तेल की कीमत पहले से ही बढ़ रही है। ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की कोशिश कर सकता है जिससे जिससे तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है। यमन में हाउती आतंकी लाल सागर में जहाजों पर हमले बढ़ा सकते हैं?
वे ईरान के आखिरी बचे तथाकथित सहयोगी हैं, जिनका उच्च जोखिम उठाने की प्रवृत्ति का इतिहास रहा है। दुनियाभर के कई देश पहले से ही महंगाई संकट से जूझ रहे हैं। तेल की बढ़ती कीमत वैश्विक आर्थिक प्रणाली में महंगाई को और बढ़ा देगी। तेल की बढ़ती कीमतों से सबसे अधिक फायदा रूस के राष्ट्रपति वलादिमीर पुतिन को होगा। क्रेमलिन के खजाने में अरबों डालर आ जाएंगे।
ईरान में हो सकता है नेतृत्व परिवर्तन
नेतन्याहू का दावा है कि उनका मुख्य उद्देश्य ईरान की परमाणु क्षमता नष्ट करना है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका व्यापक उद्देश्य सत्ता परिवर्तन है। उन्होंने ईरान के लोगों से कहा कि उनका हमला दमनकारी शासन से उनकी आजादी का रास्ता साफ कर रहा है।
अगर इजरायल ईरान में इस्लामी क्रांतिकारी शासन को ध्वस्त करने के अपने दीर्घकालिक उद्देश्य में सफल हो गया तो ईरान की सरकार को गिराना इस क्षेत्र के कुछ लोगों, खास तौर पर कुछ इजरायलियों को रास आ सकती है, लेकिन ईरान में इसके अप्रत्याशित परिणाम होंगे। ईरान में गृह युद्ध के हालात बन सकते हैं।
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