पढ़ाई हो चुकी पूरी... मगर कैंपस प्लेसमेंट में क्यों आ रही दिक्कत, AI ने बढ़ाई टेंशन या कुछ और है कहानी?
भर्ती प्रक्रिया में कंपनियों का एआई पर विश्वास बढ़ता जा रहा है। मगर फ्रेशर्स की भर्ती में कंपनियां कम रूचि दिखा रही हैं। कंपनियां 10 फीसदी भर्तियां ही कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से करना चाहती है। वहीं महज 14 फीसदी फ्रेशर्स को ही कंपनियां काम पर रखना चाहती हैं। 1 से 5 वर्ष तक काम का अनुभव रखने वाले लोगों की मांग सबसे अधिक बढ़ी है।
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2025 में उद्योगों में होने वाली नियुक्ति में 11.1 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है। समग्रता में तो यह युवाओं के लिए अच्छा है, लेकिन कॉलेजों में इसी वर्ष पढ़ाई पूरी कर कैंपस प्लेसमेंट की आस संजोने वालों के लिए चुनौती बनी हुई है। इसका प्रमुख कारण यह है कि उद्योग जगत में सर्वाधिक मांग एक से पांच वर्ष तक अनुभव वालों की है।
14 फीसदी प्रेशर्स रखना चाहती है कंपनियां
ताजा रिपोर्ट में वर्ष 2025 के लिए नियुक्तियों की मांग का आकलन किया गया है। इसमें बताया गया है कि कंपनियां नई नियुक्तियों में फ्रेशर्स मात्र 14 प्रतिशत रखना चाहती हैं। इसमें भी कैंपस प्लेसमेंट के लिए अनुमान लगभग दस प्रतिशत है। महत्वपूर्ण यह भी है कि नियुक्ति प्रक्रिया में एआई का उपयोग कुछ ही समय में 38 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।
इस सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
इंडिया हायरिंग इंटेंट सर्वे- 2025 भारत में रोजगार के बाजार की नब्ज टटोलता है। इसके निष्कर्ष बताते हैं कि सभी उद्योगों में एक से पांच वर्ष के अनुभव वाले उम्मीदवारों के बीच प्रतिभा की मांग सबसे अधिक है। इस वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए 55.2 प्रतिशत कंपनियों ने सकारात्मक रुख दिखाया है।
सभी वर्गों में फ्रेशर्स की मांग घटी
कुल नियुक्तियों में इस वर्ग की भागीदारी 47 प्रतिशत संभावित है। सभी अनुभव वर्गों में फ्रेशर्स की मांग कम है। सभी उद्योगों से औसतन 14 प्रतिशत नई नियुक्तियां फ्रेशर्स की होने की उम्मीद है। 26 प्रतिशत नई नियुक्तियां 6-10 वर्ष के अनुभव वाले उम्मीदवारों के अनुभव वर्ग से होने की उम्मीद है।
ऑटोमोटिव उद्योग में फ्रेशर्स की मांग
यहां इसे इस रूप में नहीं देखा जा सकता कि अनुभव को ही हाथों-हाथ लिया जा रहा है, क्योंकि दस वर्ष से अधिक अनुभव रखने वालों की मांग तो फ्रेशर्स से भी कम आंकी गई है। हालांकि, कुछ उद्योग अभी भी फ्रेशर्स को काम पर रखने में रुचि दिखा रहे हैं। इनमें ऑटोमोटिव उद्योग 21 प्रतिशत नए कर्मचारियों के साथ सबसे आगे है। इसके विपरीत विनिर्माण उद्योग में फ्रेशर्स की सबसे कम मांग होने का अनुमान है, जिसमें केवल पांच प्रतिशत नए कर्मचारियों के इस समूह से आने की उम्मीद है।
बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज व इंश्योरेंस सेक्टर भी फ्रेशर्स को लेकर सकारात्मक है। इस क्षेत्र में 20 प्रतिशत नए कर्मचारी इस अनुभव वर्ग से आते हैं। फार्मा-हेल्थकेयर और आईटी जैसे अन्य उद्योगों में मांग क्रमश: नौ और 20 प्रतिशत नए कर्मचारी फ्रेशर्स होने की उम्मीद है। बाजार की इस डिमांड स्टोरी के लिए नियुक्ति प्रक्रिया का प्रचलन भी गौर करने लायक है।
जॉब पोर्टल पर अधिक विश्वास
नियुक्ति के माध्यम की बात करें तो कंपनियां दस प्रतिशत नई नियुक्ति कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से करना चाहती हैं, जबकि सबसे अधिक विश्वास उन्हें जॉब पोर्टल पर है। दूसरे स्थान पर वह कंपनियों की आंतरिक अनुशंसा (इंटरनल रेफरल) पर विश्वास रखती हैं। इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बढ़ते प्रभाव से रोजगार का बाजार भी अछूता नहीं है।
इंडिया स्किल्स रिपोर्ट का यह संस्करण संकेत देता है कि भर्ती प्रक्रिया में स्क्रीनिंग, मूल्यांकन, भर्ती अनुशंसा से लेकर साक्षात्कार में एआई के उपयोग में 38 प्रतिशत वृद्ध होने की संभावना है। बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज व इंश्योरेंस सेक्टर के 100 प्रतिशत नियोक्ताओं ने एआई पर विश्वास जताया है, जबकि आईटी में इसका दखल 67 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।
अनुभव वर्ग और मांग
फ्रेशर्स | 14 प्रतिशत |
1 से 5 वर्ष | 47 प्रतिशत |
6 से 10 वर्ष | 26 प्रतिशत |
10 वर्ष या उससे अधिक | 13 प्रतिशत |
नियुक्ति माध्यम | प्रतिशत |
जॉब पोर्टल | 37 प्रतिशत |
इंटरनल रेफरल | 32.5 प्रतिशत |
सोशल मीडिया और नेटवर्क | 13 प्रतिशत |
कैंपस प्लेसमेंट | 10 प्रतिशत |
रिक्रूटमेंट एजेंसी | 5 प्रतिशत |
कंपनी वेबसाइट | 2.5 प्रतिशत |
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