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    यूपी, मध्य प्रदेश, दिल्ली और केरल में कोल्ड्रिफ कफ सीरप पर प्रतिबंध, अब दुकानों पर की जा रही छापेमारी

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 06:53 AM (IST)

    राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सीरप के कारण बच्चों की मौत और इस संबंध में केंद्र सरकार के एडवाइजरी जारी करने के बाद राज्यों ने सतर्कता बढ़ा दी है। तमिलनाडु के बाद मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश दिल्ली और केरल ने कोल्ड्रिफ कफ सीरप के उपयोग पर रोक लगा दी है।झारखंड ने इसकी बिक्री को प्रतिबंधित किया है तो उत्तराखंड में दवा की दुकानों पर छापेमारी की जा रही है।

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    यूपी, मध्य प्रदेश, दिल्ली और केरल में कोल्ड्रिफ कफ सीरप पर प्रतिबंध (सांकेतिक तस्वीर)

     जागरण टीम, नई दिल्ली। राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सीरप के कारण बच्चों की मौत और इस संबंध में केंद्र सरकार के एडवाइजरी जारी करने के बाद राज्यों ने सतर्कता बढ़ा दी है। तमिलनाडु के बाद मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और केरल ने कोल्ड्रिफ कफ सीरप के उपयोग पर रोक लगा दी है।

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    झारखंड में बिक्री पर प्रतिबंध

    झारखंड ने इसकी बिक्री को प्रतिबंधित किया है तो उत्तराखंड में दवा की दुकानों पर छापेमारी की जा रही है। पंजाब, बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इस बीच, मध्य प्रदेश में एक और बच्ची की मौत से मृतकों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है तो राजस्थान में बालक की मौत से मृतकों की संख्या बढ़कर चार हो गई है। दोनों राज्यों ने सीरप निर्माता कंपनी के सभी उत्पादों पर रोक लगा दी है।

    मप्र में बच्चों के लिए काल बनी कोल्ड्रिफ कफ सीरप

    श्रीसन कंपनी बनाती है, जिसकी उत्पादन इकाई तमिलनाडु के कांचीपुरम में है। तमिलनाडु सरकार के औषधि प्रशासन विभाग ने कंपनी की उत्पादन इकाई से सीरप के सैंपल लेकर जांच की तो एसआर-13 बैच में हानिकारक केमिकल डायथिलीन ग्लाइकल (डीईजी) बहुत अधिक मात्रा में पाया गया। रिपोर्ट मिलते तमिलनाडु सरकार ने तत्काल दवा पर प्रतिबंध लगाया, अन्य राज्यों की सरकारें भी एक्शन में आईं।

    मध्य प्रदेश सरकार का रवैया सवालों के घेरे में

    मध्य प्रदेश सरकार का रवैया सवालों के घेरे में है। जिस कोल्ड्रिफ में हानिकारक डीईजी मिला, मप्र सरकार अब तक उसकी जांच नहीं करा पाई है। स्वास्थ्य विभाग देख रहे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कह दिया था कि नौ सैंपलों की रिपोर्ट में कफ सीरप में हानिकारक तत्व नहीं मिले हैं। ताजा कार्रवाई भी तमिलनाडु सरकार की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है।

    बता दें कि छिंदवाड़ा में सर्दी-जुकाम, बुखार के बाद बच्चों को पेशाब रुकने की समस्या हुई। किडनी फेल होने से उनकी मौत का सिलसिला शुरू हुआ। चार सितंबर को पहली मौत सामने आई थी। शनिवार को एक बच्ची की नागपुर के अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। 12 बच्चों का उपचार चल रहा है।

    स्वास्थ्य विभाग ने शुरू में गंभीरता नहीं दिखाई

    स्वास्थ्य विभाग ने शुरू में गंभीरता नहीं दिखाई। पीडि़त बच्चों की किडनी की बायोप्सी में डीईजी मिलने के बाद मात्र छिंदवाड़ा में ही कफ सीरप को कलेक्टर के निर्देश पर प्रतिबंधित किया गया। एक सप्ताह पहले केंद्र व राज्य की टीम ने बच्चों को पिलाई गई सीरप के अलग-अलग ब्रांड के 19 सैंपल लिए गए थे, अब तक जिन नौ की रिपोर्ट आई है, जिनमें कोल्ड्रिफ शामिल नहीं है।

    जांच रिपोर्ट में डायथिलीन ग्लाइकाल निर्धारित सीमा से बहुत अधिक मिली

    मध्य प्रदेश के नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन दिनेश मौर्य ने बताया कि तमिलनाडु की रिपोर्ट में डाइथिलीन ग्लाइकाल की मात्रा 48.6 प्रतिशत पाई गई, जो निर्धारित सीमा 0.1 प्रतिशत से बहुत अधिक है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

    तीन अलग-अलग ब्रांड की सीरप की जांच रिपोर्ट आ गई

    औषधि प्रशासन की तरफ से 13 सैंपल लिए गए थे, जिनमें तीन अलग-अलग ब्रांड की सीरप की जांच रिपोर्ट आ गई है, पर किसी में डीईजी नहीं मिला है। छह सीरप के सैंपल सेंट्रल ड्रग स्ट्रैंडर्ड एवं कंट्रोल आर्गनाइजेशन ने लिए थे, उनकी रिपोर्ट में भी डीईजी नहीं मिला।

    राजस्थान में सीरप निर्माता कंपनी की सभी 19 दवाओं पर रोक

    जयपुर संवादादाता के अनुसार, राजस्थान सरकार ने खांसी की सीरप (डेक्सट्रोमेथोरपन हाइड्रोब्रोमाइड) बनाने वाली जयपुर स्थित कंपनी कायसन फार्मा की सभी 19 दवाओं पर रोक लगा दी है। ये दवाएं मुख्यमंत्री की निश्शुल्क दवा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में वितरित की जाती थीं।

    हालांकि, चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने दावा किया कि किसी बच्चे की मौत खांसी की दवा से नहीं हुई है।

    दवा की प्रदेश की लैब में जांच की गई है और यह सुरक्षित पाई गई है। उल्लेखनीय है कि सीरप पीने से एक बच्चे की मौत सीकर और दो की भरतपुर में हो चुकी है। चौथे बच्चे की मौत चुरू में हुई है। सीरप पीने से तीन दर्जन से अधिक बच्चे बीमार हो चुके हैं।

    राज्यों ने बढ़ाई सतर्कता

    उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सीरप को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है। उन्होंने बताया कि कोल्डि्रफ सीरप की सप्लाई सरकारी अस्पतालों में नहीं की जा रही है। निजी अस्पतालों में भी इसके उपयोग को रोकने के आदेश दिए जा रहे हैं।

    उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार के अनुसार, प्रतिबंधित कफ सीरप व औषधियों को लेकर दवा की दुकानों पर छापेमारी की जा रही है। पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव कुमार राहुल ने कहा कि हमने सचेत कर दिया है कि कहीं भी इस कंपनी की और इस बैच की दवा न दी जाए।

    बंगाल में स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर नजर रख रहा है। झारखंड के संयुक्त निदेशक, औषधि सुमंत कुमार तिवारी ने सभी होलसेल एवं रिटेल दवा दुकानदारों को उक्त कफ सीरप की बिक्री को फिलहाल रोकने के निर्देश दिए हैं।

    उन्होंने आम नागरिकों से अपील की है कि वे अपने पास उपलब्ध उक्त कफ सीरप का उपयोग न करें तथा निकटतम दवा विक्रेता को उसे वापस करें।

    हिमाचल में नेक्सा डीएस कफ सीरप के उत्पादन पर रोक

    हिमाचल प्रदेश के बद्दी में तैयार होने वाले 'नेक्सा डीएस' कफ सीरप के उत्पादन पर दवा विभाग ने अस्थायी रोक लगा दी है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों को भेजी गई सप्लाई को भी वापस लाने का आदेश दिया है।

    सप्लाई किए गए कफ सीरप के लाट और बैच की भी जांच की जा रही है। शनिवार को बद्दी में 'नेक्सा डीएस' सीरप बनाने वाली पांच कंपनियों से नमूने लिए गए। इन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है।

    स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी की निगरानी में राज्य और केंद्र की टीमों ने मिलकर ज्वाइंट सैंपलिंग की प्रक्रिया पूरी की। दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने स्पष्ट किया है कि बच्चों की मौत का हिमाचल की किसी दवा से सीधा संबंध नहीं है। प्रदेश सरकार ने एहतियात के तौर पर नेक्सा डीएस के उत्पादन पर रोक लगाई है।

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