स्वच्छता में भारत का सर्वश्रेष्ठ शहर बनने और सफाई को अपने संस्कारों में शामिल करने का संकल्प ले
अपने नागरिकों के सहयोग की बदौलत ही तो 2021 में मध्य प्रदेश का इंदौर लगातार पांचवीं बार देश का सबसे साफ शहर चुना गया। ऐसे ही कई अन्य शहर हैं जो अपनी-अपनी श्रेणी में शीर्ष छू रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। नई उम्मीदों और ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ की भावभूमि होता है नया साल। वह वक्त जब लोग जीवन को बेहतर बनाने के लिए संकल्प लेते हैं। व्यक्तिगत संकल्प तो सभी लेते हैं, क्यों न इस बार हम सभी एक राष्ट्र के रूप में संकल्प लें। यह संकल्प हो स्वच्छता का, स्वच्छ भारत का। सरकार तो अपने स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाती ही है किंतु इसके फलीभूत होने के लिए समाज का सहयोग सबसे अहम होता है। अपने नागरिकों के सहयोग की बदौलत ही तो 2021 में मध्य प्रदेश का इंदौर लगातार पांचवीं बार देश का सबसे साफ शहर चुना गया। ऐसे ही कई अन्य शहर हैं जो अपनी-अपनी श्रेणी में शीर्ष छू रहे हैं। आइए संकल्प लें कि इस साल हमारे-आपके शहर की तस्वीरें भी इसी तरह सुर्खियां बनेंगी...
इंदौर: स्वच्छता क्रांति से अग्रणी
स्वच्छता में भारत का सर्वश्रेष्ठ शहर बनने और सफाई को अपने संस्कारों में शामिल करने की इंदौर की कहानी बहुत अनूठी और रोमांचित करने वाली है। यह एक क्रांति है और इंदौर इसका योद्धा। यह कहानी वर्ष 2014 में गंदगी, बदबू, कूड़े के ढेरों और बजबजाती नालियों से शुरू होकर वर्ष 2021 में सफाई के मामले में देश-दुनिया के श्रेष्ठ शहरों में शामिल होने के गर्व का आख्यान है। जिस तरह काशी, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक जैसे देश के धार्मिक नगरों में ब्रह्म मुहूर्त में पंडित-पुजारी देवालयों में देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं, उसी तरह इंदौर में सफाईयोद्धा (इंदौर में इन्हें सफाईकर्मी नहीं कहा जाता) ब्रह्म मुहूर्त में सड़कों पर निकल पड़ते हैं और शहर की सफाई करते हुए अपनी तरह की पूजा-अर्चना करते हैं। इंदौर की यह कहानी जितनी रोमांचक है, उससे ज्यादा कठोर परिश्रम की गाथा है।
दो अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू करने के पहले इंदौर भी देश के अन्य शहरों की तरह किसी खुले कूड़ाघर जैसा था। किंतु प्रधानमंत्री के आह्वान ने जैसे इस शहर की निद्रा तोड़ दी। वर्ष 2015 में हुए सर्वे में इंदौर देश में 180वें पायदान पर था। तब यहां के तत्कालीन निगम आयुक्त मनीष सिंह और महापौर मालिनी गौड़ ने स्वच्छता का संकल्प लेकर काम शुरू किया। वर्ष 2016 में इंदौर को 25वीं रैंक प्राप्त हुई तो हिम्मत बढ़ गई। नगर निगम ने पूरे शहर में स्वयं की छोटी 1,000 कचरा गाड़ियां दौड़ा दीं। सुबह 6:00 से रात 12:00 बजे तक इंदौर में ये गाड़ियां घर-घर पहुंचकर कचरा एकत्र करती हैंं। प्रसिद्ध पाश्र्व गायक शान के साथ मिलकर इंदौर के स्वच्छता अभियान को समर्पित एक गीत तैयार किया गया और वह इन गाड़ियों पर बजने लगा। गाड़ियां कचरा एकत्र कर बड़े कचरा ट्रांसफर स्टेशन पहुंचातीं, फिर वहां से ट्रेंचिंग ग्राउंड में इसकी प्रोसेसिंग की जाती। कामचोर कर्मचारियों को दंडित किया गया और मेहनतकशों को सम्मानित। शहरवासियों का सहयोग भी मिला। इस तरह कठोर परिश्रम और अचूक रणनीति के चलते वर्ष 2017 में इंदौर देश के 434 शहरों में स्वच्छता में प्रथम स्थान पर आ गया।
अपनाई शठे शाठ्यं समाचरेत् की नीति
वर्ष 2017 में देश में अव्वल आने के बावजूद इंदौर के सामने कई दिक्कतें थीं। बड़े रसूखदार होटल व अस्पताल अपना कचरा शहर में खाली पड़ी जमीन पर या बाईपास के किनारे फेंक देते थे। नगर निगम ने कचरे की छंटाई कर पता किया कि यह किस होटल या अस्पताल का है। उसका वीडियो बनाया और सबूत के साथ होटल व अस्पतालों पर भारी जुर्माने की कार्रवाई की। शठे शाठ्यं समाचरेत् की नीति अपनाते हुए अड़ियल मालिकों की संपत्ति सील की गई और इसका शहर में खूब प्रसार किया। वक्त के साथ स्थिति में सुधार आ गया। ऐसे इंदौर ने सफाई को अपने संस्कार व संस्कृति में शामिल कर लिया। इंदौर ने अपनी सड़कें इतनी साफ की हैं कि यहां आप सड़क पर बैठकर भोजन कर सकते हैं। यहां गिटार तिराहा से साकेत के बीच वाली सड़क पर तो बाकायदा टिफिन पार्टी कर पूरे शहर को बुलाया गया। लोग घर से टिफिन लेकर आए और सड़क पर बैठकर भोजन किया। इस प्रतीकात्मक प्रयोग ने शहरवासियों में गर्व का भाव पैदा किया।
विराट कल्पना और जौहरी सा काम
इंदौर ने अपनी सफाई के लिए हर योजना को बहुत विराट स्तर पर तैयार किया और उसे लागू करने के लिए जौहरी जैसा बारीक काम किया। छोटे से छोटे बिंदु पर ध्यान दिया गया और कठोर मानिटरिंग की गई। घरों के पीछे नाले या अन्य खाली पड़ी जगहों से गंदगी साफ कर वहां गुलाब के पौधे रोपे गए। खुले में शौच करने या गंदगी फैलाने से रोकने के लिए ‘रोको-टोको अभियान’ चलाया। आप इंदौर में कागज का टुकड़ा या प्लास्टिक का रैपर फेंककर देखिए, वहां मौजूद लोग तुरंत आपको टोक देंगे। आपको वह कचरा या तो उठाना पड़ेगा या नजदीकी डस्टबिन में फेंकना होगा। इंदौर के नागरिकों के मन में कचरा फैलाने पर शर्म और न फैलाने पर गर्व का भाव है। यही इंदौर की जीत का मूलमंत्र है। कचरा फेंकने, पान की पीक थूकने वालों को शहर ने सामाजिक अपराधी की तरह अपमानित किया और कचरा न फेंकने पर सम्मानित। ट्रेंचिंग ग्राउंड से चार दशक पुराने कचरे के पहाड़ को हटाकर वहां खूबसूरत गार्डन बना दिया। अब यहां महंगी लक्जरी कार हो या सामान्य आटोरिक्शा, लोग अपने साथ डस्टबिन रखते हैं और उसी में कचरा डालते हैं।
कमाल कैसे कैसे
देश की सबसे स्वच्छ स्ट्रीट फूड लेन ‘छप्पन दुकान’ इंदौर में है तो वहीं यहां की सब्जी मंडी के कचरे से बनी सीएनजी से बसें चलती हैं। यहां रोज निकलने वाला लगभग1,110 टन कचरा रोज प्रोसेस कर दिया जाता है, यानी जिस दिन का कचरा उसी दिन खत्म। इंदौर देश में अकेला शहर है, जहां 32 तरह का कचरा अलग-अलग किया जाता है।
नोएडा: अब स्वच्छता और सळ्गंध से पहचान
करीब साढ़े चार दशक पहले यमुना और हरनंदी के बीच नोएडा की स्थापना हुई थी। तब से लेकर आज की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। जहां कभी सड़कों के किनारे कूड़ा ही कूड़ा दिखाई देता था, वहां अब फूलों की सुगंध रहती है। शौचालयों की उचित व्यवस्था होने से नोएडा में स्वच्छता को नया आयाम मिला है। महिलाओं के लिए अलग से पिंक शौचालयों की व्यवस्था की गई है। कूड़ा अब घर से सड़क और कूड़ेदान तक जाने के बजाय घरों से सीधा वाहनों के जरिए कांपेक्टर स्टेशन पर जाता है। मुख्य मार्गों पर मैकेनिकल स्वीपिंग होती है। कल एक जनवरी से यहां शाम की शिफ्ट में भी सड़क सफाई की व्यवस्था लागू हो गई है। प्राधिकरण ने जो कार्य किए हैं, लोगों ने उसमें खुलकर सहयोग किया है। नतीजतन एक लाख से दस लाख की आबादी वाले शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में यह 2021 में देश में चौथे स्थान पर पहुंच गया। उत्तर प्रदेश में नोएडा पहले स्थान पर है। वर्ष 2021 में नोएडा को क्लीनेस्ट सिटी अवार्ड मिला और गार्बेज फ्री सिटी के रूप में फाइव स्टार रेटिंग भी मिल चुकी है।
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: स्वच्छता एकमात्र ध्येय
दस लाख की आबादी वाले शहर में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने सबसे स्वच्छ स्मार्ट सिटी की श्रेणी में पहला स्थान पाया है। एनडीएमसी क्षेत्र ऐसा निकाय है जहां 20-25 लाख लोग ऐसे हैं जो यहां के निवासी नहीं हैं, लेकिन किसी न किसी काम से इस क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में स्थानीय निकाय के सामने बड़ी चुनौती उनमें स्वच्छता को लेकर संवेदनशीलता पैदा करना है। इसके लिए एनडीएमसी ने जगह-जगह गीले व सूखे कूड़े के लिए कूड़ेदान लगाए व 300 सार्वजनिक शौचालयों में फीडबैक डिवाइस स्थापित किए। जहां शिकायतों का समाधान दो घंटे के भीतर किया जाता है। क्षेत्र में प्रतिदिन 230-280 टन कूड़ा निकलता है तथा गीले कूड़े से खाद बनाने के लिए एनडीएमसी इसका निस्तारण करता है। दिल्ली में यह एकमात्र ऐसा निगम है जिसके क्षेत्र में कोई भी लैंडफिल साइट नहीं है। लोगों में सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर भी काफी सजगता है। यहां के पंडारा रोड मार्केट और खान मार्केट सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्तहैं। स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर प्रदर्शन के लिए एनडीएमसी ने जागरूकता का कार्य कोरोना काल में भी नहीं छोड़ा। आनलाइन माध्यम से घर बैठे आरडब्ल्यूए से संवाद किया।
वाराणसी: मजबूत कदम से मिसाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन को जनांदोलन बना दिया है, लेकिन सिर्फ दो वर्ष पहले खुद प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस स्वच्छता सर्वेक्षण की रैैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर था और शहर में निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी की जिम्मेदारी संभालने को कोई डाक्टर तक तैयार नहीं था। तब नई उम्मीद बनकर सामने आए डा. एन.पी. सिंह। स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त अपर निदेशक का पद संभाल चुके डा. सिंह ने इस मुश्किल चुनौती को स्वीकारा। एक के बाद एक सख्त निर्णय लेकर वह कर दिखाया, जिसकी उम्मीद तक नगर निगम प्रशासन को नहीं थी। इसमें उन्हें अधिशासी अभियंता अजय कुमार का भी भरपूर सहयोग मिला। इस प्रयास में 84 गंगा घाटों की सफाई व धुलाई की गई। घाटों पर 50-50 मीटर की दूरी पर आकर्षक अर्पण कलश की स्थापना हुई। घरों से कूड़ा उठाने के लिए वाहनों व कूड़ा कंटेनरों में जीपीएस सिस्टम लगाया गया। आनलाइन शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की गई। जन जागरूकता अभियान चलाए गए। सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों की मशीन से सफाई करने की व्यवस्था की गई। परिणामस्वरूप वर्ष 2021 के स्वच्छता सर्वेक्षण में बनारस गंगा किनारे के शहरों में पहले स्थान पर रहा और उसे कचरामुक्त घोषित किया गया। 20 नवंबर, 2021 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने नगर निगम वाराणसी को सम्मानित भी किया।
मेरठ छावनी: प्रतिस्पर्धा से सफलता
देश की 62 छावनियों में मेरठ छावनी का स्थान अहम है। 3,568 हेक्टेयर भू-भाग में फैली मेरठ छावनी स्वच्छता की कसौटी पर देश की दूसरी सबसे साफ छावनी है। पिछले तीन साल से लगातार शीर्ष तीन में मेरठ छावनी ने खुद को कायम रखा है। आर्थिक संकट के बावजूद यह एक-दूसरे की सहभागिता से स्वच्छता में इस स्तर पर पहुंची है। हेरिटेज से लबरेज मेरठ छावनी में 1857 की क्रांति से जुड़े दर्जनों महत्वपूर्ण स्थान हैं, जो पर्यटन के नजरिए से लोगों का ध्यान आकृष्ट करते हैं। स्वच्छता में शीर्ष पर आने के लिए यहां छोटे-छोटे प्रयास किए गए, जिसका परिणाम बड़ा रहा। आपस में स्वच्छता को लेकर प्रतिस्पर्धा बनी रहे, इसके लिए छावनी के वार्ड, स्कूल, बाजार, अस्पताल, होटल के बीच स्थानीय स्तर पर सफाई को लेकर सर्वे कराया जाता है। इसमें सबसे साफ वार्ड, स्कूल, होटल, बाजार चुनकर उन्हें पुरस्कृत किया जाता है साथ ही दूसरों को प्रोत्साहित। इससे बाजार से लेकर हर वार्ड तक खुद को सबसे साफ रखने की कोशिश करते हैं। पूरी छावनी से हर दिन 40 टन कूड़ा निकलता है। डोर टू डोर कूड़ा उठान सेवा के जरिए गीला और सूखा कचरा घर से ही ले जाया जाता है। गीले कचरे से खाद बनाई जाती है, जबकि सूखे कचरे को रिसाइकिल किया जाता है। प्लास्टिक को अलग कर टाइल्स और सड़क निर्माण में इस्तेमाल कर लिया जाता है। अगले चरण में कचरे से बिजली बनाने की प्रक्रिया पाइपलाइन में है।
कन्नौज: नई इबारत लिख रही इत्रनगरी
कन्नौज जहां इत्र के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है तो प्राचीन वैभव के लिए भी जाना जाता है। इत्र और इतिहास की नगरी कन्नौज अब स्वच्छता की नई इबारत लिख रही है। स्वच्छ सर्वेक्षण में जहां इत्रनगरी को बेस्ट गंगा टाउन का पुरस्कार मिला है तो इसने अन्य कई क्षेत्रों में भी नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। कन्नौज नगरपालिका को स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में एक लाख जनसंख्या में ‘बेस्ट गंगा टाउन’ श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। 50 हजार से एक लाख जनसंख्या में कन्नौज को द्वितीय स्थान व नार्थ जोन में छठा स्थान प्राप्त हुआ है। यह सम्मान कन्नौज को यूं ही नहीं मिला। दिल्ली से बाकायदा एक टीम ने यहां सर्वेक्षण किया और तमाम कसौटियों पर कन्नौज नंबर एक पर रहा। यहां समय-समय पर सफाई कर्मचारियों की कार्यशालाओं का आयोजन तथा उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन पर नगर पालिका परिषद द्वारा सम्मानित भी किया जाता है। विद्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताओं के जरिए बच्चों को तथा जगह-जगह नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से भी लोगों तक स्वच्छता संबंधी जन जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इसके साथ ही शहर की दीवारें भी अभियान की हिस्सेदार हैं। 15 प्रतिशत हाउसहोल्ड के फोन में स्वच्छता एप डाउनलोड कराया गया है जिससे कि स्वच्छता संबंधी शिकायतों का निस्तारण समयपूर्वक किया जा सके।
(इंदौर से ईश्वर शर्मा, नोएडा से लोकेश चौहान, नई दिल्ली से निहाल सिंह, वाराणसी से विनोद पांडेय, मेरठ से विवेक राव, कन्नौज से अनुराग मिश्रा)