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    11 अगस्त से मेरी कोर्ट में तत्काल सुनवाई को लिए केस नहीं ला सकेंगे सीनियर वकील - CJI की दो टूक

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 02:17 PM (IST)

    CJI बी आर गवई ने कहा है कि 11 अगस्त 2025 से कोई भी सीनियर वकील उनकी अदालत में तत्काल सुनवाई के लिए मामले नहीं ला सकेगा। यह निर्णय जूनियर वकीलों को अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह नियम सभी वरिष्ठ वकीलों पर लागू होता है तो उन्हें कोई समस्या नहीं है।

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    तत्काल सुनवाई को लिए केस नहीं ला सकेंगे सीनियर वकील- सुप्रीम कोर्ट- (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी आर गवई से बुधवार, 6 अगस्त 2025 को साफ कर दिया कि 11 अगस्त से कोई भी सीनियर वकील उनकी अदालत में तत्काल सुनवाई के लिए मामले नहीं ला सकेगा। ऐसा इसलिए किया गया है जिससे जूनियर वकीलों को ऐसा करने का मौका मिल सके।

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    सीजेआई गवई ने वकीलों की ओर से तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई के लिए मामलों का मौखिक उल्लेख करने की प्रथा को दोबारा शुरू कर दिया था जिसे पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बंद कर दिया था।

    न्यायमूर्ति खन्ना ने वकीलों की ओर से मामलों की तत्काल सुनवाई और लिस्टिंग के लिए मौखिक सूचना देने की प्रथा को बंद करके, इसकी जगह ईमेल या लिखित पत्र भेजने को कहा था।

    तत्काल सुनवाई को लिए केस नहीं ला सकेंगे सीनियर वकील - CJI 

    सीजेआई गवई ने कहा, "इस बात की पुरजोर मांग उठ रही है कि सीनियर वकीलों को किसी भी मामले में तत्काल सुनवाई के लिए मेंशन ना किया जाए।"

    उन्होंने अदालत के कर्मचारियों से कहा कि वे एक नोटिस जारी करें कि सोमवार से उनकी अदालत में किसी भी वरिष्ठ वकील को तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई के लिए मामलों का लाने की इजाजत नहीं होगी।

    सोमवार से किसी भी सीनियर वकील, किसी भी नामित सीनियर वकील को मामलों का उल्लेख करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। जूनियर वकीलों को ऐसा करने का मौका दिया जाना चाहिए।

    सीजेआई ने कहा

    यह सभी वरिष्ठ वकीलों पर लागू तो मुझे कोई समस्या नहीं- सिंघवी

    सीजेआई के इस आदेश पर कोर्ट में मौजूद सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जब तक यह सभी वरिष्ठ वकीलों पर लागू होता है, उन्हें इससे कोई समस्या नहीं है। 

    चीफ जस्टिस ने कहा, "कम से कम मेरी अदालत में तो इसका पालन किया जाएगा।" उन्होंने आगे कहा कि दूसरे न्यायाधीशों को भी इस प्रथा को अपनाना चाहिए।

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