Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pollution: सिगरेट के धुआं प्रदूषण से हो सकता है त्वचा रोग, धूमपान करने वाले व्यक्ति की कार भी खतरनाक!

    By Jagran NewsEdited By: Tilakraj
    Updated: Thu, 10 Nov 2022 08:20 AM (IST)

    ई-बायोमेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक थर्डहैंड स्मोक वाले वातावरण में आप लंबे समय तक रहते हैं तो उससे त्वचा रोग से संबंधित बायोमार्कर का स्तर बढ़ जाता है। यह थर्डहैंड स्मोक के संपर्क में रहने से मानव को होने वाले नुकसान के बारे में पहला अध्ययन है।

    Hero Image
    बायोमार्कर किसी भी रोग में सर्वाधिक सामान्य प्राकृतिक पदार्थ होते हैं

    लास एंजिलिस, प्रेट्र। अभी तक यह कहा जाता रहा है कि धूमपान करने वालों के साथ रहने से तंबाकू का धुआं अन्य लोगों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। खासकर हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है। अब एक नए अध्ययन में बताया गया है कि थर्डहैंड स्मोक में रहने से कांटैक्ट डर्मटाइटिस और सोरायसिस जैसे त्वचा रोगों का भी जोखिम बढ़ता है। बता दें कि थर्डहैंड स्मोक तंबाकू के धुएं का वह अपशिष्ट है, जो सतह या धूल में जमा हो जाते हैं। यह घर के अंदर भी फर्श पर काफी समय तक बने रह सकते हैं और ये धूमपान करने वाले या नहीं करने वाले दोनों तरह के लोगों के लिए नुकसानदेह हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ...तो बढ़ जाता है त्वचा रोग से संबंधित बायोमार्कर का स्तर

    ई-बायोमेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, थर्डहैंड स्मोक वाले वातावरण में यदि आप लंबे समय तक रहते हैं तो उससे त्वचा रोग से संबंधित बायोमार्कर का स्तर बढ़ जाता है। बायोमार्कर किसी भी रोग में सर्वाधिक सामान्य प्राकृतिक पदार्थ होते हैं, जो रोग होने का संकेत देते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह थर्डहैंड स्मोक (टीएचएस) के संपर्क में रहने से मानव को होने वाले नुकसान के बारे में पहला अध्ययन है। यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ता शेन सकामाकी-चिंग ने बताया कि हमने पाया कि टीएचएस के संपर्क में आने से मानव त्वचा में सूजन या शोथ का एक तंत्र विकसित होता है और यह आक्सीडेटिव नुकसान पहुंचाने वाले यूरिनरी बायोमार्कर के स्तर को बढ़ा देता है। इससे कैंसर, दिल की बीमारी तथा ऐथरोस्क्लरोसिस (धमनियों की कठोरता) जैसे रोगों का कारण हो सकता है। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया (यूसी) सैन फ्रांसिस्को में 10 स्वस्थ, नान-स्मोकर 22 से 45 साल उम्र वर्ग वाले लोगों पर किया गया।

    थर्डहैंड स्मोक पर रिसर्च को ऐसे दिया गया अंजाम

    अध्ययन के दौरान प्रत्येक प्रतिभागी को टीएचएस वाले कपड़े पहना कर उन्हें तीन घंटे तक रखा गया और उन्हें प्रति घंटा 15 मिनट ट्रेडमिल पर दौड़ने को कहा गया। इस दौरान इसका आकलन किया गया कि उन्होंने त्वचा के जरिये कितना टीएचएस लिया और यह मात्रा किस प्रकार से बढ़ी। सकामाकी-चिंग ने बताया कि विश्लेषण में हैरान वाली बात सामने आई कि टीएचएस के साथ लंबे समय तक रहने से सिगरेट पीने जैसा ही हानिकारक प्रभाव पड़ा। उन्होंने पाया कि ज्यादा टीएचएस वाले माहौल में रहने वालों में डीएनए को आक्सीडेटिव नुकसान पहुंचाने वाले यूरिनरी बायोमार्कर, लिपिड तथा प्रोटीन का स्तर बढ़ गया और जब वे टीएचएस वाले माहौल से निकलने के बाद भी उच्च स्तर पर बने रहे। सिगरेट पीने वालों में भी इन बायोमार्करों का स्तर समान रूप से उच्च पाया गया। इस तरह से हमारे अध्ययन के निष्कर्ष डाक्टरों को टीएचएस के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों की डायग्नोसिस करने में मदद कर सकते हैं और फिर तदनुसार घर के भीतर टीएचएस का निदानात्मक उपाय सुझा सकते हैं।

    धूमपान करने वाले व्यक्ति की कार भी बेहद खतरनाक!

    अध्ययन के लेखक तथा सेल बायोलाजी के प्रोफेसर प्रु टैलबोट ने बताया कि चूंकि त्वचा शरीर का सबसे बड़ा अंग है और टीएसएच के सीधे संपर्क में आता है, इसलिए सबसे ज्यादा यही प्रभावित होती है। लेकिन टीएचएस का त्वचा पर होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर बहुत कम जानकारी है। उन्होंने बताया कि यदि आपने किसी धूमपान करने वाले व्यक्ति की पुरानी कार खरीदी है तो यह मानिए कि आप अपने स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। यदि आप ऐसे कैसिनो में भी जाते हैं, जहां धूमपान करने की अनुमति है तब भी आपकी त्वचा को टीएचएस से खतरा हो सकता है। इसी तरह का खतरा धूमपान करने वाले व्यक्ति के साथ होटल का रूम साझा करने पर भी हो सकता है।

    इसे भी पढ़ें: Air Pollution: जहरीली हवा से खुद को बचाने में काम आएंगी ये 7 चीज़ें

    अध्ययन के दौरान यह भी देखा गया कि जिन प्रतिभागियों को अपेक्षाकृत कम समय के लिए टीएचएस वाले वातावरण में रखा गया, उनकी त्वचा पर कोई खास बदलाव तो नहीं दिखा। बावजूद इसके ब्लड में मालीक्यूलर बायोमार्कर जो कांटैक्ट डर्मटाइटिस, सोरायसिस और अन्य त्वचा की स्थिति के प्रारंभिक चरण के सक्रियता से जुड़े हैं, उनका स्तर ज्यादा था। इससे पता चलता है कि टीएचएस के असर से मालीक्यूलर स्तर जलन या सूजन की शुरुआत होती है और वही त्वचा रोग के कारक बनते हैं।

    इसे भी पढ़ें: राजस्थान, हरियाणा की वजह से हुआ दिल्ली का भला, तेज हवा और हल्की बारिश से सुधरी हवा

    comedy show banner