नहीं सुधरेगा ड्रैगन, भारत के खिलाफ फिर साजिश रच रहा चीन; सरकार ने बनाया ये प्लान
चीन भारत के स्टील उद्योग को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। वह सस्ते और खराब गुणवत्ता वाले स्टील को भारत में भेज रहा है जिससे घरेलू कंपनियों को मुश्किल हो रही है। चीन की नजर भारतीय बाजार पर है क्योंकि यहां स्टील की खपत बढ़ रही है जबकि दुनिया में घट रही है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कभी भारत को उर्वरक आपूर्ति बाधित करना, कभी भारतीय आटोमोबाइल कंपनियों को जरूरी रेअर अर्थ धातु की आपूर्ति रोकना, फिर भारत स्थित आईफोन फैक्ट्री से अपने इंजीनियरों को वापस बुलाना तो कभी भारतीय आयात की राह में गैर-शुल्कीय बाधा खड़ी करना। भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित करने की चीन की कोशिशों में एक और क्षेत्र जुड़ गया है। यह क्षेत्र है भारत का स्टील उद्योग।
अमेरिका और यूरोपीय संघ की तरफ से आयातित स्टील पर शुल्कों या दूसरे तरीकों से बाधा उत्पन्न करने से वैश्विक स्टील बाजार में भारी अस्थिरता फैली हुई है। ऐसे में चीन ने अपने विशाल स्टील उत्पादन को भारत में खपाने के लिए हर उपाय आजमा रहा है। चीन ना सिर्फ सस्ते स्टील भारत में भेज कर भारती की मजबूत स्टील उद्योग की नींव हिलाने की कोशिश कर रहा है बल्कि वह खराब गुणवत्ता वाले स्टील भी भेज रहा है जो भविष्य में भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए घातक साबित हो सकता है।
मजबूत कंपनियां भी नहीं निकाल पा रहीं काट
चीन पहले ही भारतीय बाजार को अपने स्टील उत्पादन को खपाने के लिए इस्तेमाल करता है लेकिन हाल के दिनों में इसमें ज्यादा तेजी देखने को मिली है। चीन की इन कारोबारी करतूतों का सामना भारत का मजबूत स्टील उद्योग नहीं कर पा रहा। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), टाटा स्टील, जिंदल स्टील जैसी बेहद मजबूत घरेलू कंपनियां भी इसका काट नहीं निकाल पा रही।
सरकार भी इस मुद्दे को समझ रही है और इस बारे में स्टील उद्योग से विमर्श किया जा रहा है, लेकिन स्टील क्षेत्र में चीन के हमले को रोकने के लिए विदेश मंत्रलाय, स्टील मंत्रालय, वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय व वित्त मंत्रालय की जैसी सामूहिक कोशिश चाहिए, वह नहीं हो पा रहा।
चीन में घट रही स्टील की खपत
वैसे चीन की नजर हमेशा से भारतीय स्टील क्षेत्र पर है। वजह यह है कि दुनिया में स्टील की खपत जहां घट रही है वहां भारत में बढ़ रही है। क्योंकि यहां तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है और 1.4 अरब की जनता की आय लगातार बढ़ रही है।
वर्ष 2020 में दुनिया में स्टील की खपत 1.790 अरब टन थी जो वर्ष 2024 में घट कर 1.742 अरब टन रह गई थी। जबकि इस दौरान भारत में स्टील की खपत 9.5 करोड़ टन से बढ़ कर 15.2 करोड़ टन हो गया। यानी दुनिया की खपत में तीन फीसद की कमी जबकि भारत में 60 फीसद का इजाफा। इस वजह से चीन की नजर भारतीय बाजार पर है।
दूसरी तरफ, चीन ने पिछले तीन-चार दशकों में स्टील उत्पादन क्षमता में जो वृद्धि की है, उसका कोई बड़ा खरीदार नहीं है। भारत में प्रति व्यक्ति स्टील की खपत उक्त पांच वर्षों में 64 किलोग्राम से बढ़ कर 102 किलोग्राम हो गया है। जल्द ही इसके 150 किलोग्राम पहुंचने की बात हो रही है।
दूसरे देशों के जरिए चीन भेज रहा घटिया स्टील
स्टील उद्योग की तरफ से बारे में सरकार को बताया गया है कि कैसे केंद्र की तरफ से स्टील आयात पर 12 फीसद की सेफगार्ड शुल्क लगाये जाने के बावजूद चीनी स्टील का दूसरे देशों के रास्ते घटिया स्टील आयात करने पर रोक नहीं लगाई जा सकी है। इस बारे में केंद्र सरकार की एडवांस ऑथराइजेशन स्कीम का भी इस्तेमाल हो रहा है।
यह स्कीम देश से स्टील निर्यात बढ़ाने के लिए किया गया था। इसके तहत निर्यातक कच्चा माल बगैर किसी शुल्क की अदाएगी किये आयात कर सकता है। लेकिन इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है, जिस स्टील का निर्यात होना चाहिए, उसे घरेलू बाजार में खपाया जा रहा है।
क्या कहना है स्टील उद्योग का?
स्टील उद्योग के सूत्रों का कहना है कि, “चीन की कंपनियां भारत, जापान व आसियान देशों के साथ किये गये मुक्त व्यापार समझौते (एफफटीए) का फायदा उठा रही हैं। चीन की स्टील कंपनियों ने इन देशों में अपनी सब्सिडियरी खोल रखी हैं और वह पहले चीन से वहां स्टील भेजती हैं, जिसका अंतिम पड़ाव भारतीय बाजार को बनाया जाता है। वर्ष 2020 में चीन से स्टील आयात सिर्फ 8.45 लाख टन का था जो अब 25.7 ललाख टन हो चुका है। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो इससे घरेलू स्टील कंपनियों की निवेश योजनाओं पर भी उल्टा असर होगा।''
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