भारत-अमेरिकी संबंधों को मजबूत होने से रोकना चाहता है चीन, पेंटागन रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन एलएसी पर तनाव कम करके भारत-अमेरिका संबंधों को स्थिर करना चाहता है। भारत, चीन की मंशाओं को लेकर संशकित है। विशेषज्ञों ...और पढ़ें

भारत-अमेरिका संबंधों को रोकने का प्रयास
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि हाल ही में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ से भारत के साथ शांति स्थापित करने की जो कोशिश की गई है वह असलियत में भारत की अमेरिका के साथ प्रगाढ़ होते संबंधों को रोकने के लिए की गई है।
पेंटागन रिपोर्ट के अनुसार, 'चीन एलएसी पर तनाव कम होने का फायदा उठाकर द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करना चाहता है ताकि अमेरिका-भारत संबंधों को और गहरा होने से रोका जा सके। हालांकि, भारत चीन की कार्रवाइयों और मंशाओं को लेकर संशकित है।
दोनों देशों के बीच पारस्परिक अविश्वास और अन्य विवाद (जैसे व्यापार असंतुलन, साइबर सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभाव) द्विपक्षीय संबंधों की संभावनाओं को सीमित करते हैं।' पिछले दो दशकों के दौरान भारत व अमेरिका के संबंधों में आए सुधार के लिए कई विशेषज्ञ चीन की बढ़ती ताकत को ही कारण बताते हैं।
चीन के प्रभाव को कमतर करने के लिए ही अमेरिका ने क्वाड जैसे संगठन (भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया व जापान का संगठन) को बढ़ावा दिया और भारत के साथ सैन्य संबंधों को मजबूत किया। वर्ष 2020 के दौरान एलएसी पर भारत-चीन तनाव के बाद अमेरिका व भारत का सैन्य सहयोग तेजी से बढ़ा है।
बहरहाल, रिपोर्ट चेतावनी देती है कि चीन की रणनीति क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर रही है, जिससे अमेरिका को अपनी इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी को और मजबूत करने की जरूरत है।सालाना रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश को चीन अपना प्राथमिक हित यानी 'कोर इंट्रेस्ट' का हिस्सा मानता है।
इस तरह का कोर इंट्रेस्ट चीन ताइवान, दक्षिण चीन सागर, सेनकाकु द्वीपों को भी मानता है। पेंटागन ने यह सालाना रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस में पेश की है। यह पहला मौका है जब पेंटागन की इस रिपोर्ट (मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इन्वा¨ल्वग द पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना) में अरुणाचल प्रदेश का जिक्र है। 2025 की रिपोर्ट में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की संवेदनशीलता पर जोर दिया गया है, जो अपनी सत्ता पर किसी भी कथित खतरे या घरेलू आलोचना को बर्दाश्त नहीं करती।
सीसीपी के बारे में कहा गया कि यह हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत में असहमति की आवाजों व ताइवान के राजनीतिक नेतृत्व को अलगाववादी तत्व मानती है, जो बाहरी ताकतों से प्रभावित होकर आजादी की मांग कर रहे हैं। ये सारे समूह सीसीपी की वैधता और सत्ता के लिए अस्वीकार्य खतरा माने जाते हैं।

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