गलवन घाटी में हुए खूनी संघर्ष में 42 चीनी सैनिकों की गई थी जान, आस्ट्रेलियाई अखबार ने किया दावा
पूर्वी लद्दाख के गलवन घाटी में 15 जून 2020 को भारतीय और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन पहले तो किसी भी तरह के नुकसान से इन्कार किया था।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गलवन घाटी की खूनी झड़प में अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा छुपाते रहे चीन की चालबाजी की पोल आस्ट्रेलियाई मीडिया के अध्ययन रिपोर्ट से खुल गई है। आस्ट्रेलिया के अखबार 'द क्लैक्सन' ने कहा है कि गलवन घाटी में 15-16 जून की रात भारतीय सैनिकों के साथ हुए संघर्ष के दौरान मारे गए कम से कम 42 चीनी सैनिक मारे गए। इनमें चार की मौत को तो चीन ने स्वीकार किया बाकी 38 झड़प के दौरान नदी के तेज बहाव में बह गए।
चीन अब तक इस झड़प में बड़ी संख्या में अपने सैनिकों के मारे जाने की खबर से लगातार इन्कार करता रहा है, मगर आस्ट्रेलियाई अखबार की यह रिपोर्ट गलवन की घटना के तत्काल बाद चीनी सैनिकों के अच्छी खासी संख्या में हताहत होने के भारतीय सेना के बयानों को सही साबित करते नजर आ रहे हैं। गलवन घाटी के संघर्ष में घायल अपने सैनिक को बीजिग शीतकालीन ओलंपिक का मशाल वाहक बना कर कूटनीतिक दंभ दिखा रहे चीन की विश्वसनीयता आस्ट्रेलियाई मीडिया की इस ताजा रिपोर्ट से और सवालों के घेरे में होगी।
आस्ट्रेलियाई अखबार में गलवन डिकोडेड नाम से प्रकाशित रिपोर्ट में पूर्वी लद्दाख के इलाके में 15-16 जून की रात हुए संघर्ष में 38 चीनी सैनिकों के मारे जाने की बात कही गई है। सोशल मीडिया के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन और बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। अध्ययन के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सैनिकों के साथ झड़प के दौरान अधिकांश चीनी सैनिक गलवन घाटी नदी के तेज बहाव को पार करने की कोशिश में बह गए।
संघर्ष का ब्योरा देते हुए कहा गया है कि गलवन के विवादित इलाके में जब भारतीय सैनिक चीनी अतिक्रमण को हटाने के लिए पहुंचे तो उनका सामना पीएलए के सैन्य कमांडर कर्नल क्यूआइ फाबाओ की अगुआई में वहां जमे 150 चीनी सैनिकों से हुआ। चीनी सैनिकों ने इस मसले पर बातचीत के बजाय लड़ाई के लिए मोर्चेबंदी कर रखी थी। कर्नल फाबाओ ने अचानक हमला कर दिया मगर चौकन्ने भारतीय सैनिकों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया।
अपने कर्नल फाबाओ को छुड़ाने के लिए बटालियन कमांडर चेन होंगजुन और सैनिक चेन जियांग्रोन ने भारतीय सैनिकों के साथ गुत्थमगुत्था संघर्ष शुरू कर दिया। इस दौरान वे स्टील के राड, पंत्थर और डंडे का इस्तेमाल कर रहे थे। इस संघर्ष में जब तीन चीनी सैनिकों की मौत हो गई तब चीनी सेना के कैंप में घबराहट मच गई। चीनी सैनिक वांग झुआरान पीछे हटते अपने साथियों की मदद के लिए आगे बढ़ा। हालांकि झुआरान की मौत हो गई और इसकी मौत की पुष्टि भी की गई।
चीनी सैनिकों के बीच घबराहट का आलम ही था कि बर्फीले ठंडे पानी से बचने के लिए उन्हें वाटर पैंट पहनने का वक्त भी नहीं मिला। गहरी अंधेरी रात में शून्य से नीचे का तापमान होने के बावजूद वांग की अगुआई में चीनी सैनिक गलवन नदी में उतर गए। इसी दौरान नदी में पानी की लहरें अचानक उंची हो गई और घायल होकर चीनी सैनिक इसमें बहने लगे।
चीनी सोशल मीडिया वीबो का उपयोग करने वाले कई लोगों से बातचीत और उस समय की रिपोर्ट के आधार पर आस्ट्रेलियाई अखबार ने इस घटना में वांग समेत 38 चीनी सैनिकों के नदी में बह जाने की बात कही है। अध्ययन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घटना के बाद चीनी सैनिकों के शव पहले शहीदों के स्थल शिकान्हे शहीद सिमेट्री (कब्रिस्तान) ले जाए गए और फिर वहां श्रद्धांजलि देकर उनके गांव कस्बों में भेजकर अंतिम संस्कार करा दिया गया।
आस्ट्रेलियाई अखबार ने कहा है कि इस शोध अध्ययन के दौरान चीन के ब्लागर्स, चीनी नागरिकों और चीनी मीडिया रिपोर्ट्स में हुई चर्चा से जानकारी जुटाई गई है। सोशल मीडिया पर आई इन जानकारियों को चीनी अधिकारियों ने अब डिलीट कर दिया है। मालूम हो कि गलवन की झड़प के तत्काल बाद भारत ने अपने 20 सैनिकों के वीरगति पाने और दुश्मन को भी भारी नुकसान पहुंचाने की घोषणा की थी। हालांकि चीन इसमें अपने हताहत सैनिकों की संख्या लगातार छुपाता रहा और पहली बार पिछले साल फरवरी में गलवन संघर्ष में शामिल अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात कबूलते हुए उन्हें बहादुरी पदक देने का एलान किया था।
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