चीन ने बना डाला छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, रडार में भी नहीं आएगा जेट; जानिए क्या होती है लड़ाकू विमानों की जेनरेशन?
Fighter Plane generation चीन ने अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाते हुए अब छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बना लिया है। ये विमान उन्नत तकनीक से लैस है जिसका नाम J-36 है। इसे ऐसे डिजाइन किया गया है कि ये विमान को दुश्मन के रडार से बचाता है। आखिर ये फाइटर जेट की अब तक कौन सी पीढ़ी आई है आइए जानें....

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Fighter Plane generation पड़ोसी मुल्क चीन अपनी सैन्य शक्ति को तेजी से बढ़ा रहा है। अब चीन ने छठी पीड़ी का लड़ाकू विमान बना लिया है। काफी एडवांस तकनीक से बने इस J-36 लड़ाकू विमान के बाद चीन की सैन्य क्षमता में बड़ा उछाल आया है।
रडार में नहीं आता ये फाइटर प्लेन
चीन के नए लड़ाकू विमान J-36 की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसका आकार त्रिकोणीय है, जिसमें पूंछ नहीं है। इसका ये डिजाइन विमान को दुश्मन के रडार से बचाता है। इसमें तीन मजबूत टर्बोफैन इंजन भी लगे हैं, जो इसे तेज रफ्तार के साथ ज्यादा उंचाई तक उड़ने में सक्षम बनाता है। इसमें लगे विशेष साइड-लुकिंग एयरबोर्न रडार इसे दुश्मन की नजरों से बचकर जासूसी करने और युद्ध में बड़ा फायदा पहुंचाते हैं।
हथियार भी ले जा सकता है ये विमान
चीन का ये विमान पांचवीं पीढ़ी के विमान से बड़ा है। इसमें हथियार भी ले जाए जा सकते हैं। जे-36 का वजन 55 टन है, जिसके चलते इसमें ज्यादा ईंधन रखने की क्षमता भी होती है। ये 3000 किमी की दूरी तक उड़ान भर सकता है।
कैसे तय होती है लड़ाकू विमान की जेनरेशन
लड़ाकू विमानों की जेनरेशन (Generation) उनकी तकनीकी, डिजाइन और क्षमताओं के आधार पर तय होती है। आखिर ये फाइटर जेट की अब तक कौन-सी पीढ़ी आई है, आइए जानें....
पहली पीढ़ी (1940-1950 के बीच)
सबसे पहले लड़ाकू विमान दूसरे विश्व युद्ध के अंतिम वर्षों में आए। ये विमान पिस्टन इंजन से संचालित थे। इसी पीढ़ी में पहली बार जेट इंजन का उपयोग किया गया था।
ये विमान मुख्य रूप से हवाई लड़ाई और बमबारी के लिए उपयोग किए जाते थे।
दूसरी पीढ़ी (1950-1960 के बीच)
- इस पीढ़ी में जेट इंजन की क्षमता में सुधार हुआ।
- दूसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में रडार और मिसाइल का उपयोग शुरू हुआ।
- ये विमान हवा में युद्ध करने में सक्षम थे।
तीसरी पीढ़ी (1960-1970 के बीच)
- अधिक शक्तिशाली जेट इंजन: इस पीढ़ी में जेट इंजन की क्षमता में और सुधार हुआ।
- लचीली लड़ाकू क्षमता: तीसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमान विभिन्न प्रकार की लड़ाकू क्षमताओं के साथ लैस थे।
- ये विमान वायुमंडलीय और जमीनी हमलों दोनों में सक्षम थे।
चौथी पीढ़ी (1970-1980 के बीच)
- अधिक उन्नत जेट इंजन: इस पीढ़ी में जेट इंजन की क्षमता में और सुधार हुआ।
- लड़ाकू विमान लुक-डाउन/शूट-डाउन क्षमता से लैस थे, जिससे वे दुश्मन विमानों को नीचे गिरा सकते थे।
- ये विमान हवा और जमीनी हमलों दोनों में सक्षम थे।
पांचवीं पीढ़ी (1990-2000 के बीच)
- ये लड़ाकू विमान स्टील्थ तकनीक से लैस थे, जिससे वे रडार की पकड़ में नहीं आते थे।
- अधिक उन्नत जेट इंजन: इस पीढ़ी में जेट इंजन की क्षमता में और सुधार हुआ।
- अभी सिर्फ अमेरिका (F-22 और F-35), रूस (सुखोई Su-57) और चीन (चेंगदू J-20) ने ही पांचवीं पीढ़ी का फाइटर प्लेन बनाया है। भारत अभी पांचवीं पीढ़ी का विमान बना रहा है, जिसमें कई साल लग सकते हैं।
छठी पीढ़ी (2020 से अब तक)
छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान अधिक उन्नत स्टील्थ तकनीक से लैस होंगे। ये विमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस होंगे, जिससे वो स्वचलित भी हो सकते हैं।
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