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    साढ़े 18 फीट लंबी मूंछें देख मुख्यमंत्री बोले- मान गए, मूंछें हों तो ऐसी

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Mon, 26 Jun 2017 11:49 AM (IST)

    मूंछों की कितनी अहमियत होती है ये राम सिंह चौहान को देखकर पता चलता है।

    साढ़े 18 फीट लंबी मूंछें देख मुख्यमंत्री बोले- मान गए, मूंछें हों तो ऐसी

    रायपुर, ब्यूरो। रविवार को एक निजी कार्यक्रम में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डधारी साढ़े 18 फीट के मूंछों वाले रामसिंह चौहान राजधानी पहुंचे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. रमन सिंह थे। उन्हें जब पता चला कि यहां मूंछों के सरताज आए हुए हैं तो वे उनसे मिलने पहुंचे। रामसिंह ने मूंछें कपड़े में लपेट रखी थीं, सीएम को भरोसा नहीं हुआ, उन्होंने कहा खोल कर दिखाएं। रामसिंह के कपड़े से मूंछें खोलते ही सीएम बोले- मान गए, मूंछें हों तो रामसिंह जैसी...। बता दें कि रामसिंह ने 1970 से मूंछें नहीं कटवाई हैं। 2010 में जब मूंछें 14 फीट की थीं तक गिनीज बुक रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ। अब साढ़े 18 फीट की हो गई हैं। रिकॉर्ड अभी किसी ने नहीं तोड़ा है।

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    मूंछों की कितनी अहमियत होती है ये राम सिंह चौहान को देखकर पता चलता है। हर किसी की अपनी एक पहचान होती है। कोई राजनीति में श्रेष्ठ, कोई कला में महान तो कुछ रामसिंह चौहान जैसे होते हैं, जो अपने आप में कुछ अलग करने की हिम्मत रखते हैं। जयपुर के 64 साल के रामसिंह चौहान चाहते हैं कि उनका रिकॉर्ड तोड़ने वाला कोई हिंदुस्तानी ही हो।

    कर्णा भील से मिली रिकॉर्ड बनाने की प्रेरणा

    गले में गमछे की तरह लिपटी बड़ी-बड़ी मूंछें रामसिंह चौहान की मेहनत और कहानी बयां करती हैं। रामसिंह राजस्थान पर्यटन विभाग में नौकरी करते थे। वे मूंछें रखने के शौकीन तो थे ही, लेकिन इसे बढ़ा कर रिकॉर्ड बनाने की प्रेरणा राजस्थान के कर्णा राम भील से मिली। बात साल 1982 की है। कर्णा की 7 फीट 10 इंच लंबी मूंछ ने जब विश्व रिकॉर्ड बनाया तो रामसिंह ने सोचा क्यों न मूंछें बढ़ाई जाएं। इसके बाद उन्होंने मूंछों को पालना शुरू कर दिया।

    नहाने में लगते हैं दो घंटे

    रामसिंह बताते हैं कि मूंछें बढ़ाना कोई खेल नहीं है। उन्हें नहाने में 2 घंटे लगते हैं। मूंछ को हर वक्त कपड़े में लपेट कर रखते हैं। अगर कहीं खुल जाए तो ये मूंछें आफत बन जाती हैं। इन्हें कंघी करने और मालिश करने में भी काफी वक्त लगता है। उनकी पत्नी और बेटा मूंछ का ख्याल रखते हैं, मालिश करते हैं। उन्होंने बताया कि देसी सरसों तेल से अभी भी वे मालिश करते हैं। मूंछों की धुलाई मुलतानी मिट्टी के पानी से करते हैं। शैंम्पू का उपयोग आज तक नहीं किया।

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