Move to Jagran APP

छुक-छुक ट्रेन तैयार दार्जिलिंग घुमाने के लिए, पुनर्संचालन की तिथि पांच अक्टूबर तय

छुक-छुक ट्रेन की शुरुआत एक-दो दिन में ही होने वाली है। दुर्गापूजा के दौरान दार्जिलिंग सैर करने वालों के लिए यह किसी खुशखबरी से कम नहीं है। भारी बारिश में भूस्खलन से यह सेवा ठप थी।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 01:27 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 11:37 PM (IST)
छुक-छुक ट्रेन तैयार दार्जिलिंग घुमाने के लिए, पुनर्संचालन की तिथि पांच अक्टूबर तय
छुक-छुक ट्रेन तैयार दार्जिलिंग घुमाने के लिए, पुनर्संचालन की तिथि पांच अक्टूबर तय

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी। छुक-छुक ट्रेन यानि ट्वॉय ट्रेन का आनंद सैलानी पांच अक्टूबर शुक्रवार से फिर से ले सकते हैं। करीब दो माह बाद यह सेवा फिर से शुरू होने वाली है। भारी बरसात के कारण भूस्खलन होने से कर्सियांग के पगलाझोड़ा के पास ट्रैक क्षतिग्रस्त होने से इसका परिचालन बीते तीन अगस्त से बंद कर दिया गया था।
डीएचआर (दार्जिलिंग-हिमालयन रेलवे) द्वारा बताया गया कि मरम्मत का कार्य पूरा हो चुका है। दो दिन से ट्रायल रन किया जा रहा है।  इसमें सब कुछ ओके रहा। ट्रैक क्षतिग्रस्त होने के दौरान कर्सियांग से दार्जिलिंग तथा दार्जिलिंग से घूम तक इसका संचालन होता रहा। अब एनजेपी से सीधे दार्जिलिंग तक सैलानी आ-जा सकेंगे। गौरतलब हो कि इस सेवा को यूनेस्को ने विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया है। एनजेपी (न्यूजलपाईगुड़ी) से यह चलती है। दुर्गापूजा करीब आ रही है। इस दौरान पर्यटकों की संख्या भी काफी बढ़ जाती है। इसके मद्देनजर ही रेलवे प्रशासन ने यथाशीघ्र ट्रैक की मरम्मत कराकर शुरू कराने का प्रयास किया है।
सिलीगुड़ी टाउन
अब टॉय ट्रेन का दूसरा स्टेशन है। एनजेपी तक विस्तार से पहले तक ये पहला रेलवे स्टेशन हुआ करता था। सिलिगुडी़ जंक्शन तीसरा रेलवे स्टेशन है। सुकना 161 मीटर की ऊंचाई पर दार्जिंलिंग जिले की सीमा आरंभ होने के साथ ही यहां से पहाड़ी सफर की शुरुआत हो जाती है। हरे भरे चाय के बागानों के साथ मौसम बदलने लगता है।

loksabha election banner


रंगटंग 
440 मीटर की ऊंचाई पर सुकना के बाद स्टेशन जहां आपको ट्रेन पहाड़ों के साथ अटखेलियां करती नजर आती है। इसके बाद आता है तीनधारा स्टेशन। 1880 में तीन धारा तक डीएचआर का नेटवर्क पहुंच चुका था। मार्च 1880 में गवर्नर जनरल लार्ड लिटन ने तीनधारा तक रेलवे संचालन का उद्घाटन किया था। 
लोको शेड
यहां पर डीएचआर की वर्कशॉप है। यहां डीएचआर के इंजनों की मरम्मत की जाती है। यहां एक बड़ा लोको शेड बनाया गया है। साथ ही इंजन बदले की भी सुविधा है। डीएचआर के खराब हुए इंजनों की तीनधारा वर्कशाप में मरम्मत भी की जाती है। साथ ही रेलवे इंजीनियरिंग विभाग का दफ्तर है।
गयाबाड़ी
यह स्टेशन 1040 मीटर की ऊंचाई पर है। गयाबाड़ी दार्जिलिंग जिले के अंतर्गत आता है। यहां कई चाय के बगान हैं। इसके बाद आता है महानदी स्टेशन। जो  1252 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां महानदी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी स्थित है। काफी सैलानी यहां जंगल सफारी के लिए आते हैं। 1989 में इस रेलवे स्टेशन के भवन को दोबारा बनाया गया। पहले भूस्खलन में ये स्टेशन भवन तबाह हो गया था। 
कर्सिंयांग
कर्सियांग स्टेशन में ट्रेन मार्ग सड़क मार्ग को क्रास करती है। यह डीएचआर का मध्यवर्ती स्टेशन है। साथ ही यह एनजेपी से दार्जिलिंग के बीच का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन भी है। कर्सियांग व्यस्त बाजार है। इस छोटे से ऐतिहासिक शहर में कभी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आगमन हुआ था। आजकल कर्सियांग के आसपास कई नामी-गिरामी पब्लिक स्कूल और चाय के बागान हैं। 
तुंग 
यह स्टेशन 1728 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां धीरे धीरे ठंड बढ़ने लगती है। यहां डीएचआर का म्यूजियम भी है। इसके बाद आता है सोनादा स्‍टेशन। सोनादा एक छोटा सा बाजार है जहां एक बार फिर एनएच- 55 के साथ रेलगाड़ीकी पटरियां मिलती हैं। फिर आता है जोरबंग्ला स्‍टेशन। किसी जमाने में जोरबांग्ला चाय के लिए स्टोर करने वाला स्थल हुआ करता था। यहां दार्जिलिंग शहर की सीमा की शुरुआत भी मानी जाती है।


घूम
 ट्वॉय  ट्रेन 2258 मीटर की ऊंचाई पर स्थित घूम स्‍टेशन पर पहुंचती है। यह डीएचआर रेल मार्ग का सबसे ऊंचाई पर स्थित रेलवे स्टेशन है। यह दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है। यहां पर टॉय ट्रेन का संग्रहालय भी है। यहां प्रसिद्ध बौद्ध मठ भी है। 
कंचनजंगा पर्वत चोटी
दार्जिलिंग से करीब पांच किलोमीटर पहले आता है बतासिया लूप। ट्रेन यहां घुमाव लेती है जिसका नजारा देखने लायक होता है। देश की आजादी के लिए जान गंवाने वाले गोरखा फौजियों का मेमोरियल है। ट्रेन से आप इसका मजा ले सकते हैं। यहां से दार्जिलिंग शहर के साथ कंचनजंगा पर्वत की चोटी भी देखी जा सकती है।
दार्जिलिंग


टॉय ट्रेन पहुंच जाती है अपनी मंजिल पर यानी आखिरी रेलवे स्टेशन। दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन का छोटा सा सुंदर सा भवन 1891 का बना हुआ है। 
किराया 
न्यूजलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग 
प्रथम श्रेणी - 1295 रुपये
वातानुकूलित- 1555 रुपये
बुकिंग आइआरसीटीसी की वेबसाइट से ऑनलाइन तथा आरक्षण काउंटर पर भी कराई जा सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.