Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अवैध मतांतरण रोकने की दिशा में बड़ा कदम, धर्म बदलने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों को नहीं मिलेंगी सरकारी सुविधाएं

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 11:30 PM (IST)

    छत्तीसगढ़ सरकार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के मतांतरित लोगों को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने के लिए शीतकालीन सत्र में कानून लाएगी। वर्तमान में मतांतरित आदिवासी एसटी वर्ग और अल्पसंख्यक योजनाओं दोनों का लाभ ले रहे हैं जिसे सरकार रोकना चाहती है। प्रस्तावित विधेयक में बिना सूचना मतांतरण पर 10 वर्ष तक की सजा का प्रविधान हो सकता है।

    Hero Image
    अवैध मतांतरण की गंभीर समस्या को रोकने की दिशा में कदम (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जेएनएन, रायपुर। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति (एससी) के मतांतरित व्यक्तियों की तरह अनुसूचित जनजाति (एसटी) के मतांतरित लोग भी सरकारी सुविधाओं से वंचित होंगे। इसके लिए राज्य सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में कठोर कानून लाने की योजना बना रही है। इसमें उन मतांतरित व्यक्तियों को सरकारी योजनाओं के लाभ से बाहर करने के प्रविधान विशेष रूप से जोड़े जा रहे हैं, जो दोहरा लाभ ले रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राज्य में अवैध मतांतरण की गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार यह कदम उठाने जा रही है। उपमुख्यमंत्री और विधि विधायी कार्य मंत्री अरुण साव ने कहा कि हम मौजूदा कानून को अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

    विधि विशेषज्ञों से भी सलाह ले रही सरकार

    वर्तमान कानून के अनुसार, मतांतरित एससी वर्ग के लोगों को आरक्षण और अन्य लाभों से वंचित कर दिया जाता है, लेकिन एसटी वर्ग के लिए ऐसा कोई प्रविधान नहीं है। मतांतरित आदिवासी न केवल एसटी वर्ग का लाभ उठाते हैं, बल्कि ईसाई के रूप में अल्पसंख्यक वर्ग की योजनाओं का भी लाभ लेते हैं। सरकार इस विसंगति को दूर करने के लिए विधि विशेषज्ञों से भी सलाह ले रही है। हालांकि, इस मामले में केंद्रीय स्तर पर बदलाव की आवश्यकता होगी।

    राज्य सरकार आवश्यक संशोधनों के साथ केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी, ताकि मतांतरित आदिवासियों को एसटी वर्ग की सुविधाओं से रोका जा सके। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले दो वर्षों में 101 मतांतरण के मामले सामने आए हैं, जिनमें से 44 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है।

    प्रस्तावित विधेयक में सख्त सजा का प्रविधान

    प्रस्तावित विधेयक में बिना सूचना मत परिवर्तन पर 10 वर्ष तक सजा का प्रविधान हो सकता है। मतांतरण से 60 दिन पहले जिला प्रशासन को सूचना देना अनिवार्य होगा। प्रलोभन और जबरन मतांतरण की परिभाषा को भी व्यापक बनाया जा रहा है। यह कानून छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की जगह लेगा, जिसमें अब तक जबरन मतांतरण के लिए केवल एक वर्ष की सजा या 5,000 रुपये जुर्माना का प्रविधान है।

    रमन सरकार में भी लाया गया था कानून

    • भाजपा की डॉ. रमन सिंह सरकार में वर्ष 2006 में भी महिलाओं, नाबालिगों, दलितों और आदिवासियों के जबरन मतांतरण पर दो वर्ष की सजा और 10,000 रुपये जुर्माने का प्रविधान था, लेकिन विधेयक प्रभाव में नहीं आ पाया।
    • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए विधेयक का विरोध करते कहा कि 2006 में विधानसभा में पारित प्रस्ताव को लागू करना चाहिए। सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम ने कहा कि मतांतरण से आदिवासी संस्कृति और जीवनशैली प्रभावित होती है, इसलिए सरकार को ऐसे लोगों के सभी लाभ समाप्त कर देने चाहिए।

    यह भी पढ़ें- जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी मामले में फंसी केरल की 2 नन को मिली जमानत, बिलासपुर NIA कोर्ट ने सुनाया फैसला