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    सस्‍ता बीमा, बेहतर कवरेज... 100% FDI से इंश्‍योरेंस सेक्‍टर में क्या-क्या बदलेगा? आम आदमी के लिए फायदे ही फायदे

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 03:50 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। संसद से पास होने पर विदेशी कंपनियों की ...और पढ़ें

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    100 प्रतिशत विदेशी निवेश से इंश्‍योरेंस सेक्‍टर में क्या-क्या बदलेगा (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के बीमा सेक्टर में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। अगर संसदसे भी यह बिल पास हो जाता है, तो भारत के बीमा बाजार में दुनिया की बड़ी इंश्योरेंस कंपनियों की एंट्री आसान हो जाएगी।

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    माना जा रहा है कि इससे आम लोगों को सस्ता बीमा, बेहतर सेवाएं और ज्यादा ऑप्शन मिल सकते हैं। बीमा योजनाओं की मांग लगातार बढ़ रही है और ऐसे समय में यह फैसला सेक्टर के लिए नई शुरुआत माना जा रहा है। विदेशी कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इसका सीधा फायदा बीमा ग्राहकों तक पहुंचने की उम्मीद है।

    बीमा धारकों को क्या मिलेगा फायदा

    FDI की सीमा 100% होने से ग्लोबल इंश्योरेंस कंपनियां भारत में ज्यादा निवेश कर सकेंगी। इससे बीमा बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी और बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पहले के मुकाबले सस्ते हो सकते हैं। साथ ही, आम लोगों के लिए आसान शर्तों और किफायती कीमत पर बीमा पॉलिसी लेना संभव हो सकेगा। ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के नए बीमा प्रोडक्ट्स मिलेंगे और उनके पास पॉलिसी चुनने के ज्यादा विकल्प होंगे।

    प्रतिस्पर्धा बढ़ने से कस्टमर सर्विस बेहतर होने की उम्मीद है। क्लेम से जुड़े मामलों का निपटारा तेज और पारदर्शी तरीके से हो सकता है। इसके अलावा, विदेशी निवेश बढ़ने से बीमा सेक्‍टर में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। भारत में बीमा कवरेज अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर से कम है, ऐसे में यह फैसला कवरेज बढ़ाने में मददगार हो सकता है।

    संसद में कब आएगा बिल?

    सूत्रों के अनुसार, Insurance Laws (Amendment) Bill 2025 को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। यह विधेयक सरकार के एजेंडे में शामिल 13 अहम बिलों में से एक है। इसका मुख्य उद्देश्य देश में बीमा सेक्‍टर का विस्तार करना और विकास की रफ्तार को तेज करना है।

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में बीमा सेक्‍टर में FDI को 100% करने का प्रस्ताव रखा था। वित्त मंत्रालय का कहना है कि इससे विदेशी पूंजी आएगी, कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक बीमा सेक्‍टर में FDI के जरिए करीब 82000 करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है।

    किन कानूनों में होगा बदलाव?

    • सरकार बीमा अधिनियम 1938
    • एलआईसी अधिनियम 1956
    • IRDAI अधिनियम 1999

    इन बदलावों में FDI सीमा बढ़ाने के साथ-साथ चुकता पूंजी घटाने और एक समग्र लाइसेंसकी व्यवस्था भी शामिल है। एलआईसी बोर्ड को शाखा विस्तार और भर्ती जैसे फैसले लेने की ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी।

    'Insurance for All' लक्ष्य पर फोकस

    सरकार का कहना है कि इन सुधारों से बीमा कंपनियों की कार्यकुशलता बढ़ेगी, प्रक्रियाएं आसान होंगी और पॉलिसीधारकों के हित मजबूत होंगे। उम्मीद है कि इन कदमों से 2047 तक सभी के लिए बीमा (Insurance for All) के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

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