इसरो ने रचा इतिहास, विक्रम लैंडर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर की सॉफ्ट लैंडिंग; इस मिशन के महत्व को समझें
ISRO Mission Chandrayaan 3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने इतिहास रच दिया है। लैंडर विक्रम (Lander Vikram) ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंड कर ली है। लैंड होने के बाद रोवर प्रज्ञान (Pragyan rover) चांद की सतह पर उतरेगा और चांद की जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर देगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की काफी कम जानकारी दुनिया के पास मौजूद है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। इसरो ने इतिहास रच दिया है। विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर चुका है। आज शाम 6 बजकर 4 मिनटर पर विक्रम लैंडर ने सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है।
चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) की सफलता के साथ ही भारत चौथा देश बन जाएगा, जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाबी हासिल की।
इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने यह कारनामा कर दिखाया है। सबसे बड़ी बात है कि सब कुछ सही रहा तो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत विश्व का एकमात्र देश बन जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों को पूरा भरोसा है कि इस बार लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंड करने वाला है। अगर इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को लेकर इतने आश्वस्त हैं, तो इसके पीछे एक बड़ी वजह है।
दरअसल, इसरो चीफ एस सोमनाथ ने जानकारी दी है कि चंद्रयान-3 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यदि लैंडिंग से पहले चंद्रयान-3 की सेंसर ठीक से काम न भी करें तब भी चांद की सतह पर लैंडर विक्रम सॉफ्ट लैंड करने वाला है।
लैंडर विक्रम (Lander Vikram) के चांद पर लैंड होने के बाद रोवर प्रज्ञान (Pragyan rover) चांद की सतह पर उतरेगा और चांद की जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर देगा।
इस मिशन से भारत को क्या होगा हासिल?
विशेषज्ञों की मानें तो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की काफी कम जानकारी दुनिया के पास मौजूद है। इस मिशन के जिए इस दक्षिणी ध्रुव की कई अहम जानकारी भारत को हाथ लग सकती है।
बता दें कि दक्षिणी ध्रुव में ज्यादातर समय छाया रहती है। इस क्षेत्र का तापमान बहुत कम रहता है। जानकारी के मुताबिक, दक्षिणी ध्रुव पर तापमान -100 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। उम्मीद जताई जा रही है कि दक्षिणी ध्रुव पर तापमान कम होने की वजह से यहां पर पानी और खनिज की मौजूदगी भी हो सकती है। वहीं, कई वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इस क्षेत्र में बर्फ जमा होने की बातें कही है।
मिट्टी और चट्टानों की होगी स्टडी
इस मिशन के जरिए चंद्रमा के वातावरण की जानकारी भी प्राप्त की जा सकेगी। इंसान की ख्वाहिश है कि चंद्रमा पर मानव बस्तियां बस सके। इसके लिए वहां के वातावरण की पूरी जानकारी होनी जरूरी है।
इसके अलावा, दक्षिणी ध्रुव पर मिट्टी का केमिकल विश्लेषण किया जाएगा। चांद पर मौजूद चट्टानों की भी स्टडी की जाएगी।
दरअसल, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद मिट्टी और चट्टानों की स्टडी करने से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के इतिहास और भूविज्ञान की काफी जानकारी मिल सकेगी, जो चंद्रमा पर भेजे जाने वाले मानव मिशनों के लिए उपयोगी होगी। वहीं, अन्य ग्रहों की भी कई जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
देश की अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
यह मिशन न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगी बल्कि हमारे देश में रोजगार के कई अवसर भी खोलने में मदद करेगी। दरअसल, आज के समय अंतरिक्ष क्षेत्र में प्राइवेट इन्वेस्टर्स काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता, प्राइवेट इन्वेस्टर्स को इसरो के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
दुनियाभर में कम लागत में अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक सैटेलाइट भेजने के लिए इसरो काफी प्रसिद्ध है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद दुनिया भर के इन्वेस्टर्स भारत की ओर रुख करेंगे। वहीं, इस मिशन की सफलता से कई और दूसरे मिशन के लिए दरवाजे खुलेंगे।
दुनिया को मिलेगा मिशन का फायदा: जितेंद्र सिंह
केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह इस बात को दोहरा चुके हैं कि इस मिशन का फायदा सिर्फ भारत को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को मिलेगा। उन्होंने आगे कहा,अमेरिका चंद्रमा की सतह पर मानव को उतारने वाला पहला देश हो सकता है, लेकिन चंद्रयान -1 मिशन की मदद से ही सबसे पहले चंद्रमा की सतह पर पानी की तस्वीरें ली गईं थीं। इन तस्वीरों का इस्तेमाल नासा ने अपने मून मिशन में किया है।