CGPSC भर्ती घोटाला में पूर्व IAS समेत पांच आरोपी गिरफ्तार, CBI ने लिया एक्शन
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) 2021-22 भर्ती परीक्षा घोटाले में सीबीआइ ने पूर्व आईएएस समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें आरती वासनिक और जीवन किशोर ध्रुव शामिल हैं। इन्हें विशेष कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया गया। यह कार्रवाई प्रभावशाली राजनेताओं और अधिकारियों के करीबियों के चयन में अनियमितताओं के आरोपों के बाद हुई। भाजपा नेता की याचिका पर कोर्ट ने नियुक्तियों पर रोक लगाई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) की 2021-22 की भर्ती परीक्षाओं में घोटाले से जुड़े मामले में सीबीआइ ने पूर्व आइएएस समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें सीजीपीएससी की पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक, पूर्व सचिव व सेवानिवृत्त आइएएस जीवन किशोर ध्रुव, उनके बेटे सुमित ध्रुव, निशा कोसले और दीपा आदिल को शुक्रवार को विशेष कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया गया। इनमें सुमित ध्रुव का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था।
इससे पहले भी सीबीआइ कई बार आरती वासनिक व जीवन किशोर को हिरासत में लेकर पूछताछ कर चुकी है। मामले में अब तक कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। राज्य में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के दौरान सीजीपीएससी भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को 48 शिकायतें भेजी गई थीं। आरोप था कि प्रभावशाली राजनेताओं और अधिकारियों के करीबियों का डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य उच्च पदों पर चयन किया गया है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा कोई जांच नहीं करने पर भाजपा नेता ननकी राम कंवर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद कोर्ट ने 18 अभ्यर्थियों की नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।
2021 में जारी हुआ था भर्ती विज्ञापन
सीजीपीएससी की ओर से भर्ती के लिए 2021 में विज्ञापन जारी किया गया था। प्रारंभिक परीक्षा में 171 पदों के लिए 2,565 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए। 26 से 29 मई 2022 को मुख्य परीक्षा में 509 उम्मीदवार सफल रहे। साक्षात्कार के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी की गई थी।
भर्ती में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप
भर्ती में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक और अन्य अधिकारियों के खिलाफ एक और एफआइआर दर्ज की गई थी। वर्तमान विष्णु देव साय सरकार के अनुरोध पर इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई।
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