पूरक अनुदान की मांग का दूसरा चरण संसद में पेश, इन मंत्रालयों को पड़ी जरूरत; 31 मार्च तक चलेगा सत्र
सरकार ने सोमवार को मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में 51462.86 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने के लिए संसद से मंजूरी मांगी जिसमें से एक बड़ा हिस्सा पेंशन और सब्सिडी उर्वरक पर खर्च किया जाएगा। सरकार द्वारा मांगा गया सकल अतिरिक्त व्यय 6.78 लाख करोड़ रुपये से अधिक है जिसमें से 6.27 लाख करोड़ रुपये बचत और प्राप्तियों से पूरा किया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6,27,044 करोड़ के अतिरिक्त व्यय के लिए सरकार ने सोमवार को पूरक अनुदान मांगों का दूसरा चरण संसद के समक्ष पेश किया। अनुदानों की पूरक मांगों के दूसरे चरण में 52 अनुदान और तीन विनियोजन शामिल हैं जिसके लिए 51,462.86 करोड़ रुपये की मांग की गई है।
इसके अलावा नई सेवा या सेवा से जुड़े नए प्रविधानों के लिए प्रत्येक मद में एक लाख रुपये के हिसाब से 67 लाख रुपए का सांकेतिक प्रविधान भी मांगा जा रहा है।
8,476 करोड़ की मांग
पूरक अनुदान मांगों के तहत यूनिफायड पेंशन स्कीम (यूपीएस) के लिए 7,000 करोड़ की मांग की गई है। रक्षा पेंशन की मद में 8,476 करोड़ की मांग की गई है।
इसके अलावा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, उर्वरक विभाग, यूरिया सब्सिडी, नागर विमानन मंत्रालय, दूरसंचार विभाग, डाक विभाग, रक्षा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय व कई अन्य विभाग व मंत्रालयों के लिए पूरक मांग की गई है।
क्या होता है पूरक अनुदान?
- खर्च के लिए संसद से मंजूर राशि के कम पड़ने पर सरकार संसद से पूरक अनुदान की मांग करती है। इन मांगों पर संसद में चर्चा होती है और फिर वित्त वर्ष के समाप्त होने से पहले इसे पारित किया जाता है।
- आगामी 31 मार्च को चालू वित्त वर्ष समाप्त हो जाएगा। चालू वित्त वर्ष के अंतरिम बजट में सरकार ने 44.90 लाख करोड़ रुपये के खर्च का लक्ष्य तय किया था।
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