देशभर में घुसपैठियों का आंकड़ा बताना संभव नहीं, विदेशियों को हिरासत में लेना और निर्वासित करना एक जटिल प्रक्रिया- केंद्र
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे अवैध प्रवासियों यानी घुसपैठियों का आंकड़ा जुटना संभव नहीं है क्योंकि ऐसे ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे अवैध प्रवासियों यानी घुसपैठियों का आंकड़ा जुटना संभव नहीं है, क्योंकि ऐसे लोग देश में चोरी-छिपे प्रवेश करते हैं। नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधता से जुड़े मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दाखिल किया है।
इसमें बताया गया है कि इस प्रविधान के तहत 17,861 लोगों को नागरिकता प्रदान की गई है। शीर्ष अदालत इस धारा की संवैधानिक वैधता की समीक्षा कर रही है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि फॉरेन ट्रिब्यूनल ने असम में 32,831 लोगों की पहचान विदेशी के रूप में की है। सुप्रीम कोर्ट ने गत सात दिसंबर को केंद्र से आंकड़े पेश करने को कहा था।
असम आने वाले कुल कितने लोगों को नागरिकता दी गई- कोर्ट
कोर्ट ने पूछा था कि एक जनवरी 1966 से लेकर 25 मार्च 1971 के बीच असम आने वाले कुल कितने लोगों को नागरिकता अधिनियम 6ए (2) में नागरिकता दी गई। इस पर केंद्र ने बताया है कि 31 अक्टूबर 2023 तक 17,861 लोगों ने असम में अपना नाम एफआरआरओ में पंजीकृत कराया है।
2017-22 तक 14,346 विदेशियों को निर्वासित किया गया
केंद्र ने कहा कि अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों का पता लगाना, उन्हें हिरासत में लेना और निर्वासित करना एक जटिल प्रक्रिया है। चूंकि देश में ऐसे लोग गुप्त तरीके से और चोरी-छिपे प्रवेश कर जाते हैं, इसलिए देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे ऐसे अवैध प्रवासियों का सटीक आंकड़ा जुटाना संभव नहीं है। सरकार ने कहा कि 2017 से 2022 तक 14,346 विदेशियों को निर्वासित किया गया है।
असम में 100 विदेशी न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं
केंद्र ने कहा कि वर्तमान में असम में 100 विदेशी न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं और बीते 31 अक्टूबर तक 3.34 लाख से अधिक मामले निपटाए जा चुके हैं। इस दौरान सरकार ने असम पुलिस के कामकाज, सीमाओं पर बाड़ लगाने, सीमा पर गश्त और घुसपैठ को रोकने के लिए उठाये गए अन्य कदमों का भी विवरण दिया।
इस समय तक असम आए लोग राज्य के निवासी
उधर मामले में मेरिट पर बहस के दौरान पक्षकारों के वकीलों ने धारा 6ए की वैधानिकता को चुनौती देते हुए कहा कि इसमें नागरिकता देने का कोई मानदंड तय नहीं है। कानून में यह संशोधन 1985 में असम समझौते के बाद हुआ था। इसके तहत 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच जो लोग असम आए थे और पूर्वोत्तर राज्य के निवासी हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए धारा 18 में अपना पंजीकरण कराना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा
संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश ब्योरा देखने और असम में नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए के तहत नागरिकता दिए जाने का विरोध करने वाली याचिकाओं और नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधानिकता पर सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
नागरिकता देने से संबंधित कुल 17 याचिकाएं लंबित
असम में घुसपैठियों को नागरिकता देने के मामले से संबंधित कुल 17 याचिकाएं लंबित हैं। इनमें नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। मामले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंद्रेश, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चार दिन तक लंबी सुनवाई की।

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