देश में 7 लाख से अधिक हैं पूर्व सैनिकों की विधवाएं, इस राज्य में सबसे अधिक; पेंशन पर सरकार ने क्या कहा?
राज्यसभा में पूर्व सैनिकों की विधवाओं की पेंशन का मामला उठा। तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य सागरिका घोष ने पूछा कि पूर्व सैनिकों की विधवाओं को दी जाने वाली मासिक सहायता में संशोधन किया जाता है या नहीं। क्या सरकार सैनिकों की विधवाओं से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करती है या नहीं। इस पर राज्यमंत्री संजय सेठ ने राज्यवार आंकड़ा जारी किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने राज्यसभा में बताया कि 31 दिसंबर 2024 तक देश में पूर्व सैनिकों की विधवाओं की संख्या सात लाख 40 हजार 766 है। रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने सोमवार को उच्च सदन में एक प्रश्न के उत्तर में बताया और राज्यवार आंकड़ा भी साझा किया। सरकार के अनुसार सबसे ज्यादा पंजाब में पूर्व सैनिकों की 75,821 विधवाएं हैं।
उत्तर प्रदेश में यह संख्या 72,071, केरल में 71,570 और बिहार में 12,558 है। संजय सेठ से तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने पूछा था कि पूर्व सैनिकों की विधवाओं को दी जाने वाली मासिक सहायता में नियमित रूप से संशोधन किया जाता है या नहीं और क्या सरकार युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं और सशस्त्र बल कर्मियों के परिवारों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करती है या नहीं।
बंगाल के नौ जिलों में सैनिक कल्याण बोर्ड नहीं
जवाब देने के दौरान केंद्रीय मंत्री संजय सेठ ने बंगाल में पूर्व सैनिकों की विधवाओं की उपेक्षा का आरोप लगाया और सागरिका को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र दोनों की संयुक्त रूप से है। किंतु बंगाल के नौ जिलों में सैनिक कल्याण बोर्ड नहीं है। 2015 के बाद राज्य सैनिक बोर्ड की एक भी बैठक नहीं हुई।
नौकरियों में भी अंधेरे में रखा जाता है
संजय सेठ ने सागरिका को सुझाव दिया कि राज्य सरकार की नौकरियों में भी पूर्व सैनिकों को अंधेरे में रखा जाता है। ग्रुप सी की नौकरियों में पांच प्रतिशत एवं ग्रुप डी में 10 प्रतिशत आरक्षण है लेकिन बंगाल सरकार के विज्ञापन में इसका जिक्र नहीं किया जाता है।
पेंशन की होती है समीक्षा
संजय सेठ ने सदन को बताया कि विधवाओं को मासिक सहायता पारिवारिक पेंशन के रूप में दी जा रही है। साथ ही वेतन आयोग की सिफारिशों और सरकार द्वारा उनकी स्वीकृति के आधार पर पारिवारिक पेंशन की समीक्षा की जाती है। समय-समय पर महंगाई राहत की भी समीक्षा होती है, जिसके परिणामस्वरूप वितरित राशि में वृद्धि की जा सकती है।
रोजगार पर मंत्री ने क्या दिया जवाब?
राज्यमंत्री से यह भी पूछा गया कि युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं को उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर अनुकंपा के आधार पर क्या अन्य रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इसके जवाब में राज्यमंत्री ने कहा कि भारतीय सेना के लिए अधिकारी के चयन में पूर्व सैनिकों की विधवाओं और युद्ध में शहीद सैनिकों के आश्रितों एवं बच्चों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है। उन्हें शॉर्ट सर्विस कमीशन (तकनीकी) और शॉर्ट सर्विस कमीशन (गैर-तकनीकी) पदों पर नियुक्ति में वरीयता दी जाती है।
भर्ती में 35 वर्ष तक उम्र की छूट
राज्यमंत्री ने कहा कि रक्षाकर्मियों की विधवाओं को भी 35 वर्ष की उम्र तक भर्ती में छूट प्रदान की जाती है। सेठ ने यह भी कहा कि सेना कल्याण आवास संगठन ने प्रत्येक परियोजना में पूर्व सैनिकों की विधवाओं के लिए तीन प्रतिशत कोटा का प्रविधान किया है।
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