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    दलित ईसाइयों व मुस्लिमों को एससी से बाहर रखने का सरकार ने किया बचाव, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

    By Jagran NewsEdited By: Mohd Faisal
    Updated: Thu, 10 Nov 2022 01:57 AM (IST)

    केंद्र सरकार ने दलित ईसाइयो व दलित मुस्लिमों को एससी की सूची से बाहर रखने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। यह हलफनामा गैरसरकारी संगठन सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की याचिका के जवाब में दाखिल किया गया है।

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    केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने दलित ईसाइयों और दलित मुस्लिमों को अनुसूचित जाति (एससी) की सूची से बाहर रखने का बचाव किया है। केंद्र ने ऐतिहासिक आंकड़ों के हवाले से कहा कि उन्होंने कभी भी पिछड़ेपन या उत्पीड़न का सामना नहीं किया।

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    केंद्र ने एक हलफनामे के जरिए दी दलील

    सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने दलील दी कि दलित ईसाई और दलित मुस्लिम उन लाभों का दावा नहीं कर सकते जिनकी अनुसूचित जातियां हकदार हैं। मंत्रालय ने कहा कि संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में कोई भी असंवैधानिकता नहीं है।

    ईसाइयो व मुस्लिमों को एससी की सूची से इसलिए रखा बाहर

    हलफनामे में मंत्रालय का यह भी कहना है कि अनुसूचित जातियों की पहचान एक विशिष्ट सामाजिक कलंक के आसपास केंद्रित है जो संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में चिह्नित समुदायों तक सीमित है। दलित ईसाइयों और दलित मुस्लिमों को एससी की सूची से इसलिए बाहर रखा गया है क्योंकि छुआछूत की उत्पीड़नकारी व्यवस्था कुछ हिंदू जातियों के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन का कारण बनी जो ईसाई या इस्लामी समाज में प्रचलित नहीं थी।

    मंत्रालय ने रिपोर्ट पर सहमति व्यक्त करने से किया इन्कार

    यही कारण है कि अनुसूचित जाति के लोग इस्लाम और ईसाई जैसे धर्म अपनाते रहे हैं ताकि उन्हें छुआछूत की उत्पीड़नकारी व्यवस्था से निजात मिल सके। मंत्रालय ने जस्टिस रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट पर सहमति व्यक्त करने से भी इन्कार कर दिया जिसने दलित ईसाइयों और दलित मुस्लिमों को एससी सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी।

    क्या है याचिका में?

    यह हलफनामा गैरसरकारी संगठन 'सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' की याचिका के जवाब में दाखिल किया गया है। इस याचिका में इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले दलित समुदायों को आरक्षण और अन्य लाभ प्रदान करने की मांग की गई है।

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