गोबरधन योजना के प्लांटों से निकलने वाली खाद पर मिलेगी केंद्रीय सहायता, प्रति टन पर 1500 रुपये देने का प्रस्ताव
गोबरधन योजना के तहत अब तक आठ संबंधित मंत्रालयों और विभागों की ओर से 817 बायोगैस प्लांट तैयार हो चुके हैं और 404 निर्माणाधीन हैं। सरकार की कोशिश इन प्लांटों से उत्पादित खाद को किसानों को रियायती दर पर उपलब्ध कराना है ताकि वे गैर रासायनिक खादों के इस्तेमाल के लिए आगे आएं। बायो गैस और सीबीजी प्लांटों को केंद्रीय सहायता देने का कदम अहम है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: शहरों और गांवों में जैविक कचरे के निस्तारण के लिए महत्वाकांक्षी गोबरधन योजना के तहत स्थापित बायो गैस और कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) प्लांटों को जैविक खाद के लिए 1500 रुपये प्रति टन केंद्रीय सहायता मिलेगी। उर्वरक मंत्रालय ने इससे संबंधित दिशा-निर्देश विगत दिवस जारी किए हैं। इन प्लांटों के संदर्भ में यह व्यवाहारिक समस्या महसूस की गई है कि इनसे उत्पादित खाद अधिक लागत के मुकाबले बाजार की प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने में पीछे है।
पांच सौ बायोगैस प्लांट लगाने का एलान
इस साल बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरे देश में गोबरधन योजना के तहत पांच सौ बायोगैस प्लांट लगाने का एलान किया था। बजट के बाद हुए कई वेबिनार में विशेषज्ञों ने इन प्लांटों को मुकाबले के लिए समान धरातल पर लाने और रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी को धीरे-धीरे कम करने के लिए केंद्रीय सहायता की जरूरत जताई थी। सरकार का मानना है कि 1500 रुपये प्रति टन की सहायता के कदम से यूरिया के आयात पर निर्भरता कुछ कम हो सकती है और जैविक खाद के अधिक इस्तेमाल के कारण जमीन की उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होगी।
गोबरधन पोर्टल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
केंद्रीय सहायता के लिए सीबीजी प्लांटों का जलशक्ति मंत्रालय के गोबरधन पोर्टल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। इस पोर्टल के अनुसार 689 प्लांट पूरी तरह काम कर रहे हैं। ये सभी कुल 426 जिलों को कवर करते हैं। वैसे गोबरधन योजना के तहत अब तक आठ संबंधित मंत्रालयों और विभागों की ओर से 817 बायोगैस प्लांट तैयार हो चुके हैं और 404 निर्माणाधीन हैं। सरकार की कोशिश इन प्लांटों से उत्पादित खाद को किसानों को रियायती दर पर उपलब्ध कराना है ताकि वे गैर रासायनिक खादों के इस्तेमाल के लिए आगे आएं।
लोन की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल होगी
बायो गैस और सीबीजी प्लांटों को केंद्रीय सहायता देने का कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि सरकार के लिए अपनी नेट जीरो प्रतिबद्धता तथा पर्यावरण संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए गैर रासायनिक खाद तथा साफ-स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ना जरूरी है। जलशक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक यह मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस यानी एमडीए सीबीजी और बायो गैस प्लांटों की स्थापना को आर्थिक रूप से व्यवहार्य भी बनाएगी। इससे बैंकिंग समुदाय का भी इन प्लांटों पर भरोसा बढ़ेगा, जिससे लोन की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल हो जाएगी।
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