भटकाने वाले प्रचार कर रही हस्तियों पर कसेगा शिकंजा, पढ़ें पूरी खबर
भारी जुर्माना व जेल की सजा तक का सख्त प्रावधान। उपभोक्ता संरक्षण विधेयक के संसद में पारित होने का इंतजार। ...और पढ़ें
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्पादों के भ्रामक और गुमराह करने वाले प्रचार का हिस्सा बनने वाली नामचीन हस्तियों पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है। ऐसा करने वाले दोषियों पर भारी जुर्माना और उसके साथ जेल की सजा का प्रावधान किया जा रहा है। जुर्माने की राशि 50 लाख रुपये तक की जा सकती है, जबकि जेल की सजा की अवधि पांच साल हो सकती है। इसके लिए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक के संसद से पारित होने का इंतजार है।
सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों जाने-माने क्रिकेट महेंद्र सिंह धोनी का नाम आम्रपाली बिल्डर्स के ब्रांड अंबेस्डर के रूप में आया था। इसके पहले मैगी के ब्रांड अंबेस्डर रहे अमिताभ बच्चन भी विवादों में आये थे।
ऐसे ही कई नामी गिरामी दिग्गज लोग घटिया उत्पादों की गुणवत्ता को जांचे बगैर उसके प्रचार अभियान का हिस्सा बनने वालों पर गुमराह करने का आरोप लगाया गया था। इस तरह की नामचीन हस्तियों को ऐसे भ्रामक प्रचार आदि में हिस्सा लेने पर रोक लगाने के उद्देश्य से ऐसे कड़े प्रावधान किये जा रहे हैं।
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक का नया मसौदा लोकसभा में आठ जुलाई को पेश कर दिया गया है। लेकिन अभी तक इस विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी है। लेकिन संसद सत्र की सात दिन की बढ़ी अवधि के दौरान इस विधेयक के पारित हो जाने की संभावना है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में पहली बार बना था, जो बदलते परिवेश और उदारीकरण के बाद प्रभावकारी नहीं रह गया था। इसके लिए अधिनियम में कई संशोधन तो हुए लेकिन इनकी संख्या इतनी अधिक हो गई कि उस कानून की जगह नया मसौदा तैयार कर संसद में विधेयक पेश करना पड़ा है।
विधेयक में नकली व घटिया उत्पाद बनाने और बेचने वालों के साथ गलत प्रचार में हिस्सा लेने वालों पर भी प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। इसके लिए केंद्रीय उपभोक्ता प्राधिकरण के गठन का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अगर कोई सेलिब्रिटी गुमराह करने विज्ञापन में हिस्सा लेता है तो उस पर प्रतिबंध लगाने के सख्त कदम उठाने के उपाय किये गये हैं।
जुर्माने के तौर पर पहले 10 लाख रुपये का जुर्माना और दो साल की सजा का प्रावधान है। लेकिन इस तरह का अपराध दोबारा करते पाया गया तो उस निर्माता, दुकानदार अथवा ब्रांड अंबेसडर पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये और सजा की अवधि पांच साल की जा सकती है। अपराध करने की बारंबारता बढ़ने पर जुर्माना व जेल दोनों में और वृद्धि की जा सकती है।
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक में कई नये प्रावधान किये जा रहे हैं, जो उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए जरूरी हैं। विधेयक में उपभोक्तों के हितों संरक्षित करने का प्रावधान है। इसमें पहला उत्पाद व सेवा से उपभोक्ताओं के जीवन व संपत्ति के लिए पैदा हुए खतरे से संरक्षित करना है। जबकि दूसरा उत्पाद व सेवा की गुणवत्ता, मात्रा, प्रभाव, शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में जानकारी देना है।
तीसरा उत्पाद व सेवा के प्रकार और उनकी प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होनी चाहिए। चौथा गलत वस्तुओं की बिक्री अथवा किसी तरह की धोखाधड़ी की शिकायत का अधिकार होना जरूरी है।
चमत्कारिक दवाओं व अचूक नुस्खों से गोरा बनाने, कद बढ़ाने और मोटापा घटाने जैसे लुभावने व कथित भ्रामक विज्ञापनों देने वाले और इस तरह के विज्ञापनों में हिस्सा लेने वाले ब्रांड अंबेसडर कानून के दायरे में आयेंगे। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की विज्ञापन स्व नियमन परिषद व विज्ञापन दाताओं के संगठनों के कामकाज से सरकार संतुष्ट नहीं है।

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