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    CDS जनरल अनिल चौहान बोले, '2024 तक भारत बनेगा दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था'

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sat, 29 Apr 2023 11:33 AM (IST)

    भारतीय सशस्त्र सेनाओं के वर्तमान रक्षा प्रमुख (CDS) अनिल चौहान आज नई दिल्ली में चाणक्य डायलॉग नाम से आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे।CDS जनरल अनिल चौहान ने उम्मीद जताते हुए कहा कि 2024 तक जर्मनी को पछाड़ कर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगी।

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    CDS जनरल अनिल चौहान बोले, '2024 तक भारत बनेगा दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था'

    नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के वर्तमान रक्षा प्रमुख (CDS) अनिल चौहान आज नई दिल्ली में चाणक्य डायलॉग नाम से आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स के लिए तीसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त देश में 84,000 से अधिक स्टार्टअप आज मौजूद हैं।

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    भारत बनेगी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

    CDS जनरल अनिल चौहान ने उम्मीद जताते हुए कहा कि 2024 तक जर्मनी को पछाड़ कर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगी।

    मेक इन इंडिया पहल के तहत सरकार की नीतियों के संबंध में चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार ने पूरे देश का दृष्टिकोण अपनाया है और इंजीनियरों के डिजाइन, विकास और रक्षा उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सुधारों में खरीदे गए कई नीतिगत पहल की हैं। 

    इनमें से कुछ हैं- इंडस्ट्रिलिस्ट लाइसेंसिंग सिस्टम और एक सकारात्मक मूल्यांकन सूची के लिए लगभग 74% अधिसूचना के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश एफडीआई (FDI) सीमा में वैधता अवधि में वृद्धि। आज हमारे रक्षा उद्योग पहले से ही रक्षा बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ निर्यात के लिए विभिन्न प्रकार के सैन्य हार्डवेयर का निर्माण कर रहे हैं। सीडीएस ने आगे कहा कि मेरा मानना है कि रक्षा विनिर्माण नया सूर्योदय क्षेत्र है जो भविष्य में बड़ी वृद्धि का गवाह बनेगा।

    राज्यों के लिए भी किए पहल

    सरकार ने तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में समर्पित रक्षा औद्योगिक गलियारे भी स्थापित किए हैं। वैश्विक व्यवस्था में चल रहे बड़े बदलाव के बारे में बात करते हुए चौहान ने कहा कि भारत के पश्चिम और साथ ही रूस दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं जो हमें इस भू-राजनीतिक निर्माण में बहुत विशिष्ट रूप से रखते हैं। सीडीएस ने आगे बताया कि यूरोप और एशिया संकेत देते है कि राष्ट्र अनिश्चितता की अस्थिरता और वैश्विक व्यवस्था में एक बड़े बदलाव की बढ़ती संभावनाओं के लिए तैयार हैं।