CBI ने विदेशों से भगोड़ों को वापस लाने में निभाई अहम भूमिका, इंटरपोल के साथ मिलकर इतने लोगों की कराई 'घर-वापसी'
सीबीआई ने पिछले पांच सालों में विदेश से 134 भगोड़ों को वापस लाने में सफलता पाई है जो 2010-2019 के बीच लाए गए व्यक्तियों की संख्या से लगभग दोगुनी है। इंटरपोल और राज्य/केंद्रीय एजेंसियों के समन्वय से यह संभव हुआ। सफलता का श्रेय सरकार के राजनयिक प्रयासों तकनीकी प्रगति और इंटरपोल के साथ बेहतर तालमेल को जाता है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सीबीआई पिछले पांच वर्षों में विदेश से 134 भगोड़ों की वापसी कराने में सफल रही है, जो 2010 से 2019 के बीच में स्वदेश लाए गए व्यक्तियों की संख्या से लगभग दोगुनी है।
इंटरपोल के साथ-साथ राज्य और केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करके इन भगोड़ों की वापसी कराने में सक्षम रही। इनमें से 23 को अकेले इसी वर्ष वापस लाया गया है। इसके विपरीत, 2010 से 2019 के बीच केवल 74 भगोड़ों को वापस लाया जा सका।
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया के होते हैं तीन चरण
अधिकारियों ने कहा कि सफलता दर में वृद्धि का श्रेय सरकार द्वारा बढ़ाए गए राजनयिक जुड़ाव, वीवीआइपी यात्राओं के माध्यम से भारत की पहुंच, द्विपक्षीय संबंधों, तकनीकी प्रगति और इंटरपोल के साथ बेहतर समन्वय को दिया जा सकता है।
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया के तीन चरण होते हैं। इंटरपोल द्वारा रेड नोटिस जारी करना, भगोड़े का भौगोलिक स्थान निर्धारण और कानूनी और कूटनीतिक प्रयासों के बाद प्रत्यर्पण।
सीबीआई ने जारी किया अपना पोर्टल
इंटरपोल द्वारा रेड नोटिस जारी करने में लगने वाले समय को कम करने के लिए सीबीआई ने जनवरी में अपना डिजिटल पोर्टल भारतपोल लांच किया।
एजेंसी द्वारा आंतरिक रूप से विकसित यह प्लेटफार्म भारतीय पुलिस एजेंसियों को सीबीआइ के माध्यम से इंटरपोल से जोड़ता है, जिससे जांच और प्रत्यावर्तन प्रक्रिया में काफी तेजी आती है। इससे रेड नोटिस के प्रकाशन का औसत समय छह महीने से घटकर तीन महीने रह जाता है।
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