विदेशों में छिपे भगोड़ों की अब खैर नहीं, 'Bharatpol' पोर्टल पर शेयर की जाएगी अपराधियों की हर जानकारी
सीबीआई ने एक नया अत्याधुनिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भारतपोल (Bharatpol) तैयार किया है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बलों और केंद्रीय एजेंसियां इंटरपोल से भगोड़ों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। बता दें कि इंटरपोल एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन है। इसके भारत सहित दुनियाभर में 195 देश सदस्य हैं। साल 1949 में भारत इंटरपोल का सदस्य बना था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश में छिपे भगोड़ों पर शिकंजा कसने के लिए सीबीआई ने एक नया अत्याधुनिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म 'भारतपोल' (Bharatpol) तैयार किया है।
इस प्लेटफॉर्म के जरिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बलों और केंद्रीय एजेंसियां, इंटरपोल से भगोड़ों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो भारत का राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो है जो इंटरपोल से संबंधित मामले देखती है।
पोर्टल के जरिए शेयर की जाएगी जानकारी
सीबीआई द्वारा डिजाइन की गई यह परियोजना परीक्षण चरण में है और इसे 7 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लॉन्च किया जा सकता है। राज्यों और सीबीआई (इंटरपोल इंडिया) के बीच पत्र, ईमेल, फैक्स के माध्यम से नहीं बल्कि पोर्टल के माध्यम से जानकारी शेयर की जा सकेगी।
बता दें कि इंटरपोल एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन है। इसके भारत सहित दुनियाभर में 195 देश सदस्य हैं। इसका मुख्यालय फ्रांस के लियोन में है। इसके अलावा इसके दुनिया भर में सात क्षेत्रीय ब्यूरो भी हैं. यह एक अंतरराष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा पुलिस संगठन बनाता है।
अपराधियों की जानकारी शेयर करते हैं सदस्य देश
साल 1949 में भारत इंटरपोल का सदस्य बना था। इंटरपोल में सभी सदस्य देश एक प्लेटफॉर्म के तहत अपने देश में मौजूद बड़े अपराधियों की जानकारी एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं। सीबीआई ही इंटरपोल और अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी का काम करती है।
विदेश में छिपे भगोड़ों की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल रेड नोटिस, लापता व्यक्तियों के लिए येलो नोटिस, आपराधिक जांच के संबंध में किसी व्यक्ति की पहचान, स्थान या गतिविधियों के बारे में जानकारी के लिए ब्लू नोटिस निकालता है। गौरतलब है कि इंटरपोल के पास किसी भी अपराधी को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है। भगोड़े की गिरफ्तारी उस सदस्य राष्ट्र के शासन पर आधारित होती है, जहां वह है।
क्यों पड़ी इंटरपोल की जरूरत?
इंटरपोल की जरूरत पहले विश्व युद्ध के बाद महसूस हुई, जब यूरोप में अपराध तेजी से बढ़ने लगे। अपराधी एक देश में अपराध कर दूसरे देश में छिप जाते। ऐसे अपराधियों से मुकाबला करने के लिए 20 देशों ने मिलकर इंटरपोल की स्थापना की।
7 सितंबर 1923 को ऑस्ट्रिया के विएना में इसकी स्थापना हुई थी। हालांकि, उस समय इंटरपोल को इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस कमीशन) कहा जाता था, लेकिन 1956 से इसे इंटरपोल (इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन) कहा जाने लगा।
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