Kiru Hydro Power Project: किरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार मामले में CBI की कार्रवाई, चार शहरों में मारे छापे
जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई चार शहरों में छह जगहों पर तलाशी अभियान चला रही है। जम्मू-कश्मीर के ...और पढ़ें

पीटीआई, नई दिल्ली। सीबीआइ ने 2019 में जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में किरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में 2,200 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में देश भर में छह स्थानों पर तलाशी ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया गया था। सीबीआइ के एक सूत्र ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने छह स्थानों पर तलाशी ली, जिनमें से तीन दिल्ली में और एक-एक नोएडा, चंडीगढ़ और शिमला में हैं।
तलाशी में सीबीआई को मिले कई साक्ष्य
सूत्र ने कहा कि एजेंसी द्वारा कंवलजीत सिंह दुग्गल के चार परिसरों, डीपी सिंह के एक परिसर और दिल्ली स्थित मेनस्ट्रीम आईटी साल्यूशन नामक कंपनी के एक परिसर की तलाशी ली गई। यह तलाशी जांच के दौरान उनकी भूमिका सामने आने के बाद हुई। सीबीआइ को कुछ दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, जिनकी वह जांच करेगी।
CBI conducting searches at 6 locations in 4 cities over alleged graft in contract for Rs 2,200-crore Kiru Hydro Power Project: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) December 2, 2023
क्या है मामला?
गौरतलब है कि 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। सीबीआइ ने पिछले साल अप्रैल में एक मामला दर्ज किया था। इसके संबंध में कई अधिकारियों और व्यक्तियों से जुड़े परिसरों पर पिछले तीन मौकों पर तलाशी ली थी। मामला दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने पिछले साल अप्रैल में 10 स्थानों पर और जून 2022 में 16 स्थानों पर तलाशी ली। इस साल मई में भी 12 स्थानों पर तलाशी ली गई थी।
कई अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुआ है मामला
एजेंसी ने चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (प्राइवेट) लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी, पूर्व अधिकारियों एमएस बाबू, एमके मित्तल, अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है। चौधरी 1994 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के आइएएस अधिकारी हैं।
पिछले साल अप्रैल में पंजीकृत किरू जलविद्युत परियोजना के सिविल कार्य पैकेज के लिए अनुबंध देने में भ्रष्टाचार से संबंधित अपनी प्राथमिकी में सीबीआइ ने कहा था कि ई टेंडरिंग से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया था।
यह भी पढ़ेंः क्या है कीरू पावर प्रोजेक्ट मामला?

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।