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Jammu Kashmir : कीरू पावर प्रोजेक्ट में रिश्वत की पेशकश मामले में सीबीआइ के छापे, दिल्ली व मुंबई समेत 16 जगहों पर छापेमारी

Corruption In Jammu Kashmir सीबीआइ ने निर्माण एजेंसी पटेल इंजीनियरिंग के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रूपन पटेल के मुंबई स्थित ठिकानों जम्मू स्थित कारोबारी विजय कुमार और दिल्ली स्थित अमरेंद्र सिंह नामक एक व्यक्ति के ठिकानों पर छापे ड़ाले हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 07 Jul 2022 08:57 AM (IST)Updated: Thu, 07 Jul 2022 08:57 AM (IST)
सीबीआइ ने दो एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : किश्तवाड़ में चिनाब दरिया पर निर्माणाधीन कीरू जल विद्युत परियोजना के सिविल कार्य के ठेके के आबंटन में हुई धांधलियों की जांच कर रही सीबीआइ ने बुधवार को श्रीनगर, जम्मू, दिल्ली, पटना और मुंबई समेत 16 जगहों पर छापे मारे। जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस प्रोजेक्ट को अनुमति देने के बदले रिश्वत की पेशकश का आरोप लगाया था। उसके बाद सीबीआइ ने केस दर्ज किया था। सीबीआइ ने छापों में लाखों रुपये के लेन-देन के नामी-बेनामी दस्तावेज और कुछ डिजिटल उपकरण भी कब्जे में लिए हैं।

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सीबीआइ के ये छापे जम्मू कश्मीर के पूर्व वित्त सचिव सह आयुक्त नवीन कुमार चौधरी, कुछ बिचौलियों और निर्माण एजेंसी पटेल इंजीनियरिंग कंपनी के अधिकारियों के ठिकानों पर पड़े हैं। नवीन कुमार चौधरी इन दिनों मिजोरम में तैनात हैं। आरोप है कि चिनाब वेली पावर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (सीवीपीपीएल) की बैठक में टेंडर रद करने और ई टेंडर कराने का फैसला हुआ था। इसकी अनदेखी कर 2200 करोड़ के सिविल निर्माण कार्यों का टेंडर पटेल इंजीनियरिंग को दे दिया गया। इसके अलावा वित्तीय अनियमितता के भी आरोप हैं।

सीबीआइ टीम ने श्रीनगर में दो, जम्मू में पांच, दिल्ली में पांच, मुंबई में तीन और पटना में एक ठिकाने की तलाशी ली। एजेंसी ने जांच के दौरान आरोपित नौकरशाह व अन्य सरकारी अधिकारियों, सीवीपीपीएल के तत्कालीन चेयरमैन व उसके बिचौलियों के बीच वित्तीय लेन-देन का पता लगाया है।

यहां पड़े छापे : सीबीआइ ने निर्माण एजेंसी पटेल इंजीनियरिंग के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रूपन पटेल के मुंबई स्थित ठिकानों, जम्मू स्थित कारोबारी विजय कुमार और दिल्ली स्थित अमरेंद्र सिंह नामक एक व्यक्ति के ठिकानों पर छापे ड़ाले हैं। ये तीनों कथित तौर पर नवीन कुमार चौधरी के लिए बिचौलिए का काम करते थे। सूत्रों ने बताया कि विजय कुमार का एक रिसार्ट भी है और उसके जरिए नवीन कुमार चौधरी की पत्नी के खातों में तथाकथित तौर पर लेन-देन हुआ है। श्रीनगर में शाहिद अहमद कामिली नामक इस्पात कारोबारी के ठिकानों की तलाशी की भी सूचना है।

यह कहा था मलिक ने : जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पिछले वर्ष राजस्थान में एक समारोह में आरोप लगाया था कि उन्हें जम्मू कश्मीर में एक बिजली परियोजना व सरकारी कर्मियों की स्वास्थ्य बीमा योजना से संबंधित दो फाइलों की मंजूरी के लिए 150-150 करोड़ की रिश्वत की पेशकश हुई थी। एक फाइल अंबानी से जुड़ी थी और दूसरी बड़े नेता से। इस पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आरोपों की सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। सीबीआइ ने दो एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी।

यह है सीवीपीपीएल : सीवीपीपीएल जम्मू कश्मीर और नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी) का संयुक्त उपक्रम है। इसका गठन चिनाब बेसिन में विभिन्न जलविद्यु़त परियोजनाओं के निर्माण के लिए किया गया था। डोडा-किश्तवाड़ क्षेत्र में पक्कल दुल, क्वार, कीरू व रतले परियोजनाएं इसके अधीन बन रही हैं। कीरू परियोजना 624 मेगावाट की है। पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड ने जम्मू-बारामुला रेलवे लाइन परियोजना में कुछ रेलवे सुरंगों का भी निर्माण किया है।

सीबीआइ पहले भी मार चुकी छापे : जम्मू कश्मीर में सरकारी कर्मियों की स्वास्थ्य बीमा योजना में धांधलियों के मामले में सीबीआइ वरिष्ठ नौकरशाह नवीन कुमार चौधरी के घर पहले भी तलाशी ले चुकी है। कीरू जल विद्युत परियोजना में धांधलियों की जांच के सिलसिले में भी सीबीआइ ने 21 अप्रैल को नवीन कुमार चौधरी, सीवीपीपीएल के दो पूर्व प्रबंध निदेशकों, एनएचपीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड से जुड़े अधिकारियों के जम्मू, बिहार, केरल और मुंबई समेत देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित 14 ठिकानों की तलाशी ली थी।

पीएम ने तीन फरवरी, 2019 को रखा था नींव पत्थर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना का तीन फरवरी, 2019 को नींव पत्थर रखा था और कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने सात मार्च, 2019 को इसमें निवेश को मंजूरी दी थी। यह परियोजना जुलाई 2018 को आंकी गई 4287.59 करोड़ की अनुमानित लागत से पूरी की जानी थी। 1994 बैच के आइएएस नवीन कुमार चौधरी उस समय उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव थे। मई, 2019 में उन्हें ऊर्जा विकास विभाग ने सीवीपीपीएल का चेयरमैन नामित किया गया था। उन्होंने ही कथित तौर पर निर्धारित नियमों की अनदेखी को अनुमति दी। 


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