Cauvery Dispute: तमिलनाडु को कावेरी का पानी छोड़ने के विरोध में उतरे कर्नाटक के किसान! रातभर जारी रहा प्रदर्शन
कर्नाटक में किसानों के एक समूह ने तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी देने के विरोध में बुधवार रात विरोध-प्रदर्शन किया। मांड्या जिले में किसानों ने देर रात कावेरी जल विनियमन समिति (CWRC) के अंतरिम आदेश के पास होने पर प्रदर्शन किया। इस आदेश के तहत कर्नाटक को 2 सितंबर तक अगले 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को प्रतिदिन 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए कहा गया है।

बेंगलुरु, ऑनलाइन डेस्क। कर्नाटक में किसानों के एक समूह ने तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी देने के विरोध में बुधवार रात विरोध-प्रदर्शन किया। मांड्या जिले में किसानों ने देर रात कावेरी जल विनियमन समिति (CWRC) के अंतरिम आदेश के पास होने पर प्रदर्शन किया। इस आदेश के तहत कर्नाटक को 2 सितंबर तक अगले 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को प्रतिदिन 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए कहा गया है।
इस प्रदर्शन में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक दर्शन पुत्तनैया भी शामिल हुए। उधर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कावेरी जल मुद्दे पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को दिल्ली जा सकते हैं। दरअसल, तमिलनाडु कावेरी का पानी छोड़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट चला गया है। कोर्ट तमिलनाडु की दायर की गई याचिका पर कर्नाटक को पानी छोड़ने का निर्देश देने पर सुनवाई करेगा।
हम 3,000 क्यूसेक पानी दे सकते हैं- कर्नाटक
वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि हम पानी छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते, क्योंकि पानी छोड़ने से जलाशय खाली हो जाएंगे और पीने के पानी की किल्लत हो जाएगी। डिप्टी सीएम शिवकुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "मैं अपनी कानूनी टीम से मिलने के लिए कल दिल्ली जा रहा हूं। सुनवाई (कावेरी जल पर तमिलनाडु की याचिका पर) शुक्रवार को होगी। तमिलनाडु द्वारा 24-25 टीएमसी की मांग के बाद हमारे विभाग के अधिकारियों ने बहुत अच्छी तरह से तर्क दिया है। हमने कहा कि हम 3,000 क्यूसेक पानी दे सकते हैं।"
#WATCH | Karnataka | Farmers in Mandya staged a protest late at night as the Cauvery Water Regulation Committee (CWRC) passed an interim order asking Karnataka to release 5,000 cusecs of water to Tamil Nadu daily for the next 15 days till September 2. pic.twitter.com/2uQwwubjnZ
— ANI (@ANI) August 31, 2023
तमिलनाडु को छोड़े जाने वाला पानी कितना कम हो सकता है?
उन्होंने आगे कहा, "हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि कोर्ट को राज्य की स्थिति समझाकर हम तमिलनाडु को छोड़े जाने वाले पानी को कितना कम कर सकते हैं। हम नहीं चाहते कि अधिकार किसी और को सौंपे जाएं। फिलहाल अधिकार हमारे पास हैं और हमें अपने किसानों की सुरक्षा करनी होगी।"
बता दें कि कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल को लेकर दशकों से विवाद चला आ रहा है। साल 1990 में केंद्र ने दोनों राज्यों के बीच निर्णय लेने के लिए कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया था।

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