Caste Census: कागज नहीं, हाईटेक टैबलेट और AI की मदद से होगी जातिगत जनगणना; जानिए क्या होगा पूरा प्रोसेस
जनगणना और जातिवार गणना पूरी तरह से डिजिटल होगी और सारे आंकड़े इलेक्ट्रोनिक टैबलेट पर लिये जाएंगे। आंकड़ों के विभिन्न पैरामीटर पर विश्वलेषण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के इस्तेमाल की भी तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि 2026 में जनगणना के पहले चरण से ही जातिवार गणना की शुरूआत हो जाएगी। सभी घरों के साथ-साथ उनमें मौजूद साजो सामान की भी गणना की जाती है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। आजादी के बाद पहली बार हो रही जातिवार गणना के सटीक आंकड़े जुटाने के लिए सरकार ने अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। जनगणना और जातिवार गणना पूरी तरह से डिजिटल होगी और सारे आंकड़े इलेक्ट्रोनिक टैबलेट पर लिये जाएंगे।
आंकड़ों के विभिन्न पैरामीटर पर विश्वलेषण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के इस्तेमाल की भी तैयारी चल रही है। जनगणना कराने वाले नियंत्रक व महालेखा परीक्षक कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आंकड़े जुटाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी टैबलेट की जियो फेंसिंग की जा रही है।
कैसे काम करेगा टैबलेट?
जियो फेंसिंग की वजह से उक्त टैबलेट में आंकड़े तभी भरे जा सकेंगे, जब जनगणना कर्मी खुद उस जगह पहुंचेगा, जहां का डाटा उसे जुटाना है। यानी हर गली, मोहल्ला, गांव में इस्तेमाल होने वाला टैबलेट पहले से तय होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आंकड़ों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला किया गया है।
घरों के साथ-साथ उनमें मौजूद साजो सामान की भी गणना होगी
माना जा रहा है कि 2026 में जनगणना के पहले चरण से ही जातिवार गणना की शुरूआत हो जाएगी। इस चरण में सभी घरों के साथ-साथ उनमें मौजूद साजो सामान की भी गणना की जाती है। जैसे साइकिल, मोटर साइकिल, चार पहिया वाहन, मोबाइल, फ्रिज, एसी आदि-आदि।
इसी चरण में घर के सदस्यों की शैक्षिक और रोजगार के आंकड़े लिये जाएंगे। जनगणना के अंतिम चरण में सभी लोगों की उनकी जाति के साथ के गिनती की जाएगी। पहले चरण और दूसरे चरण के आंकड़ों को मिलाकर साफ होगा कि किस जाति की संख्या कितनी है और उनकी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति क्या है।
जनगणना में किया जाएगा AI का इस्तेमाल
किसी भी पैरामीटर पर जनगणना के आंकड़ों के तत्काल विश्लेषण के लिए एआइ का इस्तेमाल किया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जनगणना के जिन आंकड़ों को प्रोसेस करने में पांच-छह साल लग जाते हैं, वे कुछ महीनों में सबके सामने होंगे। यानी विभिन्न नीतियां बनाने में जनगणना और जातिवार गणना के आंकड़ों का इस्तेमाल तत्काल शुरू हो जाएगा।
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