युवाओं को उच्च शिक्षा से जोड़ने चलेगा अभियान, खुलेंगे दस हजार ग्रामीण संपर्क केंद्र
शिक्षा मंत्रालय ने एनईपी के तहत वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को पचास प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। जो मौजूदा समय में करीब 29 प्रतिशत ही है। इसी लिहाज से स्कूलों से निकलने वाले छात्रों को उच्च शिक्षा से जोड़ने की यह पहल तेज की है। इसमें सबसे अधिक फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया है।

अरविंद पांडेय, जागरण, नई दिल्ली। घरेलू परिस्थितियों सहित पर्याप्त मार्गदर्शन के अभाव में उच्च शिक्षा की दहलीज तक पहुंचने से वंचित रहने वाले देश के युवाओं को अब उच्च शिक्षा से जोड़ने के लिए एक वृहद अभियान शुरू होगा। जिसमें स्कूलों से निकलने वाले छात्रों को न सिर्फ उच्च शिक्षा से जोड़ने में मदद दी जाएगी बल्कि उन्हें घरेलू और स्थानीय परिस्थितियों के बीच भी उच्च शिक्षा से जुड़ने के विकल्प मुहैया कराए जाएंगे।
इस दौरान उन्हें आनलाइन व दूरस्थ शिक्षा, छात्रवृत्ति जैसी सुविधाओं से जोड़ने में मदद दी जाएगी। सबसे अधिक फोकस उन राज्यों पर रहेगा, जहां उच्च शिक्षा की जीईआर राष्ट्रीय औसत से भी कम है। इनमें जो राज्य चिन्हित किए गए है, उनमें ओडिशा, नगालैंड,झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व जम्मू-कश्मीर शामिल है। इन राज्यों का जीईआर 16 से 26 प्रतिशत के बीच है।
शिक्षा मंत्रालय ने रखा है इतना टारगेट
शिक्षा मंत्रालय ने एनईपी के तहत वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को पचास प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। जो मौजूदा समय में करीब 29 प्रतिशत ही है। इसी लिहाज से स्कूलों से निकलने वाले छात्रों को उच्च शिक्षा से जोड़ने की यह पहल तेज की है। इसमें सबसे अधिक फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया है। जहां स्कूलों से निकलने के बाद बड़ी संख्या में बच्चे अलग-अलग कारणों से उच्च शिक्षा तक नहीं पहुंच पाते है। ऐसे में इनकी मदद के लिए देश में दस हजार ग्रामीण संपर्क केंद्र खोलने की योजना है। जो बच्चों को रूचि को देख-समझ कर उन्हें पसंद के कोर्सों में दाखिला दिलाने में मदद करेंगे।
उच्च शिक्षा तक क्यों नहीं पहुंच पाते ग्रामीण इलाकों के बच्चे?
इतना ही नहीं, ये केंद्र बच्चों को सही संस्थानों को प्रवेश के लिए आवेदन कराने व छात्रवृत्ति दिलाने आदि में भी मदद करेंगे। किसी बच्चे की तकनीक से जुड़ी पढ़ाई में रूचि होगी, तो उनमें भी मदद करेंगे। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की माने तो ग्रामीण क्षेत्रों के बड़ी संख्या में बच्चे सिर्फ इसलिए उच्च शिक्षा तक नहीं पहुंच पाते है क्योंकि उन्हें आगे क्या करना है यह मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं होता है। इस व्यवस्था में केंद्र अब स्कूलों से निकलने वाले बच्चों पर नजर रखेंगे। साथ ही उन्हें 11-12 कक्षा की पढ़ाई के दौरान ही आगे बढ़ने की राह दिखाएंगे।
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