कलकत्ता हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, नाबालिग अपराधियों को भी मिल सकेगी अग्रिम जमानत
कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि नाबालिग अपराधियों को भी अग्रिम जमानत मिल सकती है। तीन जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि कानून में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि नाबालिग अग्रिम जमानत नहीं मांग सकते। मुर्शिदाबाद जिले के एक मामले में नाबालिगों ने अग्रिम जमानत की मांग की थी, जिसके बाद यह फैसला आया।
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कलकत्ता हाई कोर्ट। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि नाबालिग अपराधियों को भी अग्रिम जमानत मिल सकती है। कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ऐसा फैसला सुनाने वाली देश की पहली अदालत है। जानकारों का मानना है कि कोर्ट के इस फैसले ने नाबालिगों के लिए कानून का एक नया रास्ता खोल दिया है।
हाई कोर्ट के तीन में से दो जजों ने किया समर्थन
बता दें कि अभी तक नाबालिग अपराधियों को जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाता था, जो यह तय करता था कि आरोपित को जमानत मिलेगी या नहीं। हालांकि, संगीन अपराध में शामिल आरोपित को अग्रिम जमानत देने का अधिकार बोर्ड के पास भी नहीं था। हाई कोर्ट के तीन में से दो जजों ने इस फैसले का समर्थन किया है।
क्या कहना था जजों का?
जस्टिस सेनगुप्ता और जस्टिस घोष का कहना था कि नाबालिगों को अग्रिम जमानत देना सही है, लेकिन जस्टिस पटनायक ने इसका विरोध किया है। ऐसे में यह फैसला 2-1 से पारित हुआ।
कोर्ट सूत्रों के मुताबिक मुर्शिदाबाद जिले के रघुनाथगंज थाने में दर्ज एक आपराधिक मामले में चार आरोपित नाबालिग थे। उन पर हत्या व हत्या की कोशिश की धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे। उन्हें गिरफ्तार होने का डर था। मामले में नाबालिगों ने अग्रिम जमानत की मांग की थी।
कोर्ट के तीन न्यायाधीशों जस्टिस जय सेनगुप्ता, जस्टिस तीर्थंकर घोष और जस्टिस बिभास पटनायक की अगुवाई वाली पीठ ने अपने निर्णय में व्याख्या दी कि कानून में कहा गया है कि कोई भी अग्रिम जमानत मांग सकता है। इसमें कहीं भी यह नहीं लिखा है कि नाबालिग अग्रिम जमानत नहीं मांग सकता।

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