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    ब्लू इकोनॉमी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर तैयारी बढ़ाने की जरूरत: सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मु

    By Jagran NewsEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Mon, 13 Mar 2023 07:22 PM (IST)

    भारत के नियंत्रक व महालेखापरीक्षक यानी सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मु ने जी-20 देशों की सर्वोच्च आडिट संस्थानों की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ब्लू इकोनॉमी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर तैयारी बढ़ाने की जरूरत है।

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    एआइ की चुनौतियों को लेकर जी-20 में सहमति बनाने पर जोर

    जयप्रकाश रंजन, गुवाहाटी। वैश्विक इकोनॉमी में आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (AI) के बढ़ते महत्व को देखते हुए दुनिया के सभी देशों की प्रमुख आडिटिंग एजेंसियों को अभी से तैयारी शुरू करनी चाहिए और इनके बीच बेहतर सामंजस्य बनाये जाने चाहिए, ताकि एआइ के नेगेटिव असर से निबटने की रणनीति तैयार की जा सके। यह बात भारत के नियंत्रक व महालेखापरीक्षक (सीएजी) गिरीश चंद्र मुर्मु ने जी-20 देशों की सर्वोच्च आडिट संस्थानों (एसएआइ-20) की बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने ब्लू इकोनॉमी को भी एक उभरता हुआ क्षेत्र बताया, जिसका महत्व सभी देशों की इकोनॉमी में और आम जनता के जीवन में काफी बढ़ने वाला है।

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    बैठक के उद्घाटन सत्र को किया संबोधित

    एसएआइ-20 की दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुर्मु ने कहा कि, सर्वोच्च आडिट संस्थानों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि सामुद्रिक स्रोतों का उस तरह से दोहन नहीं हो, जिस तरह का दोहन भूमि से जुड़े स्रोतों का हुआ है। हमारी आडिट रिपोर्ट में इस बात पर फोकस होना चाहिए कि समुद्री तटों का गैर योजनागत दोहन करने से और अनियंत्रित विकास से कितना नुकसान होता है। सरकारों को प्रमाण के साथ यह बताना होगा कि समुद्री तट के पास रहने वाले लोगों का जीवन व जीविका इस तरह के अनियंत्रित विकास से प्रभावित नहीं हो रहा है।

    ब्लू इकोनॉमी महत्वपूर्ण

    बाद में मुर्मु ने दैनिक जागरण को बताया कि ब्लू इकोनॉमी (समुद्री स्त्रोतों से जुड़ी आर्थिक गितिविधियां) सिर्फ पर्यटन या मछली पालन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसमें सौर व दूसरे गैर-पांरपरिक ऊर्जा स्त्रोतों जैसे कई सेक्टर भी शामिल हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। दुनिया में तीन अरब लोगों का जीवन व जीविकोपार्जन इस सेक्टर से होता है। इसलिए सीएजी या दुनिया में इस तरह की दूसरी एजेंसियों के बीच इस सेक्टर की निगरानी को लेकर ज्यादा बेहतर सामंजस्य जरूरी हो गया है।

    बैठक में कई देशों ने लिया हिस्सा

    इस बैठक में आस्ट्रेलिया, ब्राजील, सऊदी अरब, मिस्र, तुर्किये, ओमान, रूस, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने हिस्सा लिया। विश्व बैंक समेत दूसरी एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों के शामिल नहीं होने की वजह यह बताई जा रही है कि एसएआइ-20 की अगली बैठक जून में होगी, जिसमें वो हिस्सा लेंगे। गुवाहाटी की बैठक में जो विमर्श किये गये हैं, उनको जून की बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा। इस बैठक में एआइ के बढ़ते इस्तेमाल और इसकी निगरानी की जरूरत पर खास तौर पर सभी देशों की तरफ से सुझाव आये हैं।