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    Artificial Intelligence News: तकनीक के इस युग में विकास की उम्मीद, कुछ चुनौतियां भी हैं इस राह में

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 17 Aug 2022 10:00 AM (IST)

    Artificial Intelligence News प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में कहा है कि यह टेक्नोलाजी का डिकेड (दशक) है। भारत के लिए तो यह टेकेड (टेक्नोलाजी से जुड़ा दशक) है। उम्मीद है यह टेकेड देश में जमीनी स्तर पर एक क्रांति का सूत्रपात करेगा।

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    Artificial Intelligence News: देश में तकनीक का विस्तार करते हुए युवाओं को इसकी शिक्षा भी देनी होगी।

    अभिषेक कुमार सिंह। स्वतंत्रता के फौरन बाद हमारे राष्ट्र-निर्माताओं या कहें कि नायकों ने भारत की प्रगति का जो रोडमैप तैयार किया था, उसमें भाखड़ा नांगल जैसे बांध और आइआइटी जैसे शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना प्राथमिकता में थी। उन्हें इसका अहसास था कि देश को यदि गरीबी, भुखमरी और अशिक्षा जैसी समस्याओं से पार पाना है तो पहले आम जनता का जीवन स्तर सुधारना होगा। युवाओं को तकनीक की भी शिक्षा देनी होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस दिशा में उल्लेखनीय पहल की है। उन्होंने लाल किले से अपने संबोधन में कहा है कि यह टेक्नोलाजी का डिकेड (दशक) है। भारत के लिए तो यह टेकेड (टेक्नोलाजी से जुड़ा दशक) है। प्रधानमंत्री के मुताबिक यह टेकेड 5जी नेटवर्क, आप्टिकल फाइबर और सेमी कंडक्टर के माध्यम से देश में जमीनी स्तर पर एक क्रांति का सूत्रपात करेगा, जिसमें शहरों के साथ ग्रामीण इलाके भी कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हुए देश की तरक्की का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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    टेकेड की शुरुआत को हम देश में डिजिटल इंडिया योजना से जोड़ सकते हैं। वर्ष 2015 में शुरू डिजिटल इंडिया योजना का मुख्य उद्देश्य देश के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों को इंटरनेट और ब्राडबैंड कनेक्शन से जोड़ना था। अगर देश के दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्शन नहीं होता तो शायद कोरोना काल में वहां जीवन पूरी तरह ठहर जाता। देश में इंटरनेट के विस्तार के लिए अब 5जी नेटवर्क बनाने, आप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने और सेमी कंडक्टर के उत्पादन का सिलसिला शुरू करने का एक अर्थ यह भी है कि यहां डिजिटल इंडिया योजना को गति दी जा रही है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और आम आदमी के जीवन में बदलाव जैसे अहम तीन क्षेत्रों में सीधे तौर पर असर पड़ना तय है।

    आप्टिकल फाइबर और 5जी नेटवर्क जमीनी स्तर पर एक नई क्रांति का आगाज करेंगे। ये दोनों इंटरनेट की गति को बढ़ाने और इसके दायरे में विस्तार का रास्ता साफ करेंगे। इंटरनेट के जरिये ही देश में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को गति मिली है और स्टार्टअप इंडिया मुहिम को कामयाबी हासिल हुई है। आज यदि देश के छोटे शहरों के युवा मोबाइल फोन एवं अन्य इलेक्ट्रानिक उत्पादों के निर्माण में संलग्न हो पा रहे हैं तो इसमें इसी तकनीकी विकास का योगदान है, जो इंटरनेट के विस्तार की वजह से हासिल हुआ है। अब देश में 5जी नेटवर्क की पहुंच और सेमी कंडक्टर जैसी उपयोगी चीजों के बनने से प्रौद्योगिकी के उस दशक की परिकल्पना साकार होती दिख रही है, जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री ने टेकेड के रूप में किया है। टेकेड की इस परिकल्पना को तब सच में और पंख लगेंगे, जब संभवत: 29 सितंबर को इंडिया मोबाइल कांग्रेस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी आधिकारिक तौर पर 5जी नेटवर्क लांच करेंगे।

    केंद्र में है रोजगार

    मौजूदा दशक को प्रौद्योगिकी का दशक बनाने से अंतत: क्या बदलाव आएंगे-इसे लेकर कुछ आकलन हमारे सामने हैं। देश के उद्योग जगत का मानना है कि में 5जी नेटवर्क के विस्तार, सेमी कंडक्टर के निर्माण और डिजिटल सेवाओं के विस्तार से देश में इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों और मोबाइल फोन के निर्माण में तेजी आएगी। इलेक्ट्रानिक और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हो रहे निर्माण से देश में अरबों रुपये का राजस्व पैदा होता है। इससे देश के लाखों युवाओं को नए रोजगार हासिल होंगे। असल में इक्कीसवीं सदी के इन दो दशकों में कंप्यूटर और इंटरनेट ने मिलकर जितने रोजगार पैदा किए हैं, उतने किसी सेक्टर में नहीं हुए।

    बात सिर्फ सरकारी रोजगार की नहीं है, बल्कि हमारे युवाओं ने कंप्यूटर और इंटरनेट के बल पर नए बाजार, नए रोजगार तक खड़े कर दिए हैं। फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, रेडबस, ओयोरूम्स, शादीडाटकाम-ये सब सिर्फ स्टार्टअप कंपनियां नहीं हैं, बल्कि कंप्यूटर-इंटरनेट क्रांति से युवाओं में नौकर के बजाय मालिक बनने की पैदा हुई चाह का नतीजा हैं। आज ये कंपनियां हजारों युवाओं को रोजगार दे रही हैं। देश को इस डिजिटल क्रांति का एक अहम फायदा यह भी हुआ है कि हमारी दिनचर्या से जुड़े सैकड़ों कामकाज मोबाइल-कंप्यूटर और इंटरनेट की बदौलत चुटकियों में हो रहे हैं। इन्हीं बदलावों के चलते हमारा देश आइटी क्रांति के अगुआ देशों में गिना जाने लगा है। हालांकि कुछ कारणों से भारत का एक हिस्सा इस क्रांति में हमकदम नहीं हो सका और लगातार पिछड़ता गया।

    जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के इलाकों समेत देश के दूरदराज के राज्यों और गांव-कस्बों में बसने वाले भारत का डिजिटल संसार में पिछड़ापन अखरने वाला है। एक ओर आज जहां हमारे शहर मोबाइल, इंटरनेट के जरिये घर बैठे सुविधा पा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन इलाकों की जनता का ज्यादातर हिस्सा इन सारी सहूलियतों से कोसों दूर है। इसका अहसास केंद्र सरकार को भी है। संभवत: इसीलिए उसने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत कर देश में एक सुनिश्चित डिजिटल लोकतंत्र बनने की उम्मीद की है। आप्टिकल फाइबर और 5जी नेटवर्क के जरिये अब विकास को जमीन से जोड़ने की कोशिश हो रही है। बेशक भारत की अर्थव्यवस्था में आइटी सेक्टर की हिस्सेदारी 7.5 प्रतिशत से ज्यादा है और इसमें 25-30 लाख लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिला हुआ है, पर अब तकनीक के कुछ नए मोर्चे भी खुल रहे हैं, जहां विकास और रोजगार की नई संभावनाएं दस्तक दे रही हैं।

    आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का विस्तार

    इस मामले में तकनीकी जुड़ाव का एक नया क्षेत्र आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस (एआइ) के रूप में हमारे देश में उभर रहा है। एआइ के जरिये न केवल कई कामकाज आसान होने और कई चीजों के आधुनिक होने की उम्मीद है, बल्कि इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ने का विकल्प भी खुला है। एआइ को दुनिया में चौथी क्रांति के रूप में देखा जा रहा है। दावा है कि जल्द ही ऐसी अक्लमंद मशीनें हमारे इर्दगिर्द होंगी, जो इंसानों की जगह ले लेंगी और हर वह काम करेंगी, जो इंसान करते हैं। वैसे तो हमारे एक इशारे पर काम करने वाली वाशिंग मशीनें, माइक्रोवेव ओवन, टीवी और कारें अभी हैं।

    देश में एआइ से और कितने प्रकार के काम हो सकते हैं, केंद्र सरकार ने इसके लिए वर्ष 2017 में ही एक टास्क फोर्स गठित कर दिया था। युद्ध और हथियारों के मामले में एआइ मददगार हो सकता है-अब इसे लेकर भी प्रयास शुरू हो गए हैं। केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना के तहत देश की सुरक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल पर काम करना शुरू किया जा चुका है। इस परियोजना का मकसद सुरक्षा बलों को मानव रहित टैंकों, युद्धपोतों, हवाई जहाजों और रोबोटिक हथियारों से लैस करते हुए उनकी रक्षा संबंधी तैयारियों को महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ाना है। इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते निवेश के बीच देश की थल सेना, वायु सेना और नौसेना को भविष्य के युद्धों के लिहाज से तैयार करने की एक व्यापक नीतिगत पहल का यह हिस्सा है। असल में यह अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए भारत की तैयारी है, जो ज्यादा से ज्यादा तकनीक आधारित, स्वचालित और रोबोटिक प्रणाली पर आधारित होगा।

    [संस्था एफआइएस ग्लोबल से संबद्ध]