बिहार, बंगाल समेत इन राज्यों में होगा रेलवे का विस्तार, सरकार ने बनाया 574 किलोमीटर की लाइन बिछाने का प्लान
केंद्रीय कैबिनेट ने रेलवे नेटवर्क में 574 किलोमीटर की वृद्धि की योजनाओं को मंजूरी दी है। यह मल्टीट्रैकिंग परियोजना बिहार बंगाल ओडिशा झारखंड मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 13 जिलों से होकर गुजरेगी। इन योजनाओं पर 11169 करोड़ की लागत आएगी और 2028-29 तक पूरा करने का लक्ष्य है। सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इससे 229 लाख मानव दिवस का प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में 574 किलोमीटर की वृद्धि की योजनाओं को मंजूरी दी है। यह मल्टीट्रैकिंग परियोजना है, जो बिहार, बंगाल, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के 13 जिलों से होकर गुजरेगी।
इन चारों योजनाओं पर कुल 11,169 करोड़ की लागत आएगी। इन्हें 2028-29 तक पूरा कर लिया जाएगा। कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों को बताया कि परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 229 लाख मानव दिवस का प्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे।
कई लाइनों का होगा दोहरीकरण
स्वीकृत योजनाओं में मध्य प्रदेश के इटारसी से महाराष्ट्र के नागपुर के बीच नई चौथी लाइन का निर्माण होगा, जिसकी लंबाई 339 किलोमीटर होगी। इस रूट पर 37 स्टेशन और 36 बड़े पुल होंगे। इसी तरह छत्रपति संभाजीनगर से परभणी तक 177 किलोमीटर लंबी लाइन के दोहरीकरण पर 2179 करोड़ की लागत आएगी।
बंगाल के अलुआबारी रोड से न्यू जलपाईगुड़ी के लिए तीसरी और चौथी लाइन की मंजूरी दी गई है, जो बिहार के किशनगंज के पास से होकर गुजरेगी। 121 किलोमीटर लंबी इस ट्रैक के निर्माण पर 1786 करोड़ की लागत आएगी। डांगोपोसी-जारोली तीसरी और चौथी लाइन है। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि लाइन क्षमता में वृद्धि से गतिशीलता में काफी वृद्धि आएगी, जिसके सहारे रेलवे की परिचालन दक्षता एवं विश्वसनीयता में सुधार होगा।
सभी परियोजनाएं नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जिनसे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इससे 2,309 गांवों की लगभग 44 लाख लोगों की संपर्कता बढ़ेगी। ये लाइनें कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, जिप्सम, कंटेनर, फ्लाई ऐश, कृषि उत्पाद और पेट्रोलियम उत्पादों आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।