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    कांग्रेस के बड़े वादे का बोझ बड़ा भारी, 10 किलो अनाज से अर्थव्यवस्था और बाजार में आ सकता है असंतुलन

    Updated: Mon, 20 May 2024 06:00 AM (IST)

    चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों की ओर से लुभावने वादे तो किए ही जाते हैं लेकिन कांग्रेस ने जो बड़े वादे किए हैं उसका आर्थिक आकलन आशंकित करता है। देश के खजाने पर विपरीत असर डालने के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यक्रमों पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। चालू वित्तवर्ष में सरकार पहले से ही विभिन्न सब्सिडी के मद में 3.81 लाख करोड़ रुपये का वहन करेगी।

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    बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा पहले से निर्धारित काम पर खर्च। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों की ओर से लुभावने वादे तो किए ही जाते हैं, लेकिन कांग्रेस ने जो बड़े वादे किए हैं उसका आर्थिक आकलन आशंकित करता है। देश के खजाने पर विपरीत असर डालने के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यक्रमों पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

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    गरीब महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये, शिक्षित युवाओं को कौशल विकास के नाम पर सालाना एक लाख रुपये एवं 80 करोड़ गरीबों को प्रतिमाह पांच किलोग्राम की जगह 10 किलोग्राम अनाज देने के वादे से बजट पर लगभग 13 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार पहले से ही विभिन्न सब्सिडी के मद में 3.81 लाख करोड़ रुपये का वहन करेगी। इनमें मुख्य रूप से पांच किलोग्राम अनाज, मनरेगा, कम कीमत पर खाद एवं किसानों को सालाना छह हजार रुपये की मदद जैसी योजनाएं शामिल हैं।

    गरीब महिला को पैसे देने का पैमाना तय नहीं

    आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस अगर 10 करोड़ गरीब महिलाओं को भी सालाना एक लाख रुपये देती है तो यह रकम 10 लाख करोड़ हो जाती है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि कांग्रेस गरीब महिला का पैमाना क्या तय करती है। 10 किलोग्राम अनाज देने से इस मद में सब्सिडी 4.7 लाख करोड़ हो जाएगी, जो अभी आधी है।

    सरकार का व्यय बजट 47.65 लाख करोड़

    इसके अलावा कौशल विकास के नाम पर भी युवाओं को राशि देने का वादा किया गया है और इस मद में भी सालाना 0.5 लाख करोड़ रुपये तक खर्च हो सकते हैं। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में सरकार ने अपना व्यय बजट 47.65 लाख करोड़ का रखा है और उधार को छोड़ टैक्स राजस्व एवं अन्य राजस्व के रूप में 30.80 लाख रुपये की प्राप्ति का अनुमान है। बाकी के खर्च को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ेगा। ऐसे में सब्सिडी का बोझ और बढ़ता है तो सरकार का खर्च बढ़ेगा, जिसकी पूर्ति या तो कर्ज लेकर या फिर टैक्स में बढ़ोतरी करके की जा सकती है।

    बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा पहले से निर्धारित काम पर खर्च

    अर्थशास्त्री अश्विनी महाजन के मुताबिक सरकार जो बजट बनाती है, उसका 75 प्रतिशत हिस्सा पहले से निर्धारित काम पर खर्च हो जाता है। बाकी राशि विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार पर अतिरिक्त रूप से 12-13 लाख करोड़ रुपये का अनुत्पादक खर्च का बोझ बढ़ेगा तो जाहिर है सरकार अधिक कर्ज लेगी। इससे महंगाई बढ़ेगी और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे विकास कार्यक्रम भी प्रभावित होंगे।

    अर्जेंटीना, वेनेजुएला ने भी इस प्रकार के कार्यक्रम चलाए

    अर्जेंटीना, वेनेजुएला जैसे देशों ने भी इस प्रकार के कार्यक्रम चलाए थे और उसका नतीजा यह हुआ कि इन देशों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई। 10 किलोग्राम अनाज से फसल चक्र, भंडारण एवं वितरण व्यवस्था से लेकर बाजार असंतुलित होने और महंगाई बढ़ने का खतरा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर विचार करने के लिए बनाई गई शीर्ष कमेटी के सदस्य डा. बिनोद आनंद ने इसे विपक्ष की नासमझी बताया है।

    पांच वर्षों में 11.80 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे

    गरीब कल्याण योजना के तहत अभी प्रत्येक महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज मुफ्त दिया जा रहा है। अभी 81.35 करोड़ लोगों को यह सुविधा मिल रही है। इसे पांच वर्षों तक जारी रखने के लिए कुल 11.80 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इस हिसाब से 2.36 लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष बोझ पड़ रहा है, जो कांग्रेस के वादे पर अमल के बाद बढ़कर 4.72 लाख करोड़ हो जाएगा।

    अर्थव्यवस्था पर सबसे अधिक खतरा

    बिनोद आनंद कहते हैं कि सबसे अधिक खतरा अर्थव्यवस्था पर आएगा। अनाज दोगुना करने पर महंगाई भी दोगुनी होगी। सरकार को किसानों से एमएसपी पर सारी उपज खरीदनी पड़ेगी। इससे बाजार असंतुलित हो जाएगा। विकास दर गिरेगी। अभी किसान गेहूं लेकर मंडी में नहीं आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें बाजार में ही अच्छी कीमत मिल जा रही है। बिनोद आनंद को अन्न भंडारण में भी समस्या दिखती है। अभी देश में कुल कृषि उपज के लगभग आधा भंडारण की क्षमता है। सारी उपज की खरीदारी सरकार ही करने लगेगी तो रखेगी कहां? सबसे बुरा असर फसल चक्र पर होगा।

    देश में प्रति व्यक्ति 4.5 टन अनाज का उत्पादन

    देश में अभी प्रति व्यक्ति 4.5 टन अनाज का उत्पादन हो रहा है। यह बहुत ज्यादा है। ¨कतु बार-बार एक ही फसल लगाने का खामियाजा पंजाब-हरियाणा के किसान भुगत रहे हैं। बहुत मुश्किल से धान-गेहूं की परंपरागत खेती से उबर रहे हैं। कांग्रेस के वादे पर अमल हुआ तो किसानों पर फिर से ज्यादा से ज्यादा धान-गेहूं की ही खेती करने का दबाव होगा। इससे फसल चक्र प्रभावित होगा और पोषण अभियान पीछे छूट जाएगा।

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