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    मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए सरकार करने जा रही बड़ा बदलाव, बजट में होगी घोषणा

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 08:57 PM (IST)

    मैन्यूफैक्चरिंग और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार 2026-27 के बजट में कई कच्चे माल के आयात को शुल्क मुक्त कर सकती है। इसका उद्देश्य आत्मनिर्भर भार ...और पढ़ें

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    त्मनिर्भर भारत के निर्माण की झलक देखने को मिल सकती है

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मैन्यूफैक्चरिंग और निर्यात प्रोत्साहन के लिए आगामी वित्त वर्ष 2026-27 के बजट में दर्जनों कच्चे माल के आयात को शुल्क मुक्त किया जा सकता है। आगामी फरवरी में पेश होने वाले बजट में एक ऐसे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की झलक देखने को मिल सकती है जिसकी वैश्विक सप्लाई चेन में भी हिस्सेदारी हो।

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    ऐसा तभी संभव हो सकता है जब भारत में मैन्यूफैक्चरिंग की लागत कम होगी। सरकार भी जीडीपी में मैन्यूफैकचरिंग की हिस्सेदारी को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक ले जाना चाहती है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में भी ईवी, लेदर उत्पाद निर्माण से जुड़े कच्चे माल के आयात शुल्क में राहत दी गई थी ताकि भारत में इलेक्ट्रिक मैन्यूफैक्चरिंग रफ्तार पकड़ सके और लेदर उत्पाद के निर्यात को प्रोत्साहन मिल सके।

    आयात शुल्क को पूरी तरह से समाप्त किया जाएगा

    सूत्रों के मुताबिक आगामी बजट में भी इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, सेमीकंडक्टर, टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़े कच्चे माल के आयात शुल्क को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक आयात शुल्क को पूरी तरह से समाप्त करने पर उत्पादों की लागत निश्चित रूप से कम होगी। उदाहरण के लिए भारत मोबाइल फोन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम का बड़ा निर्यातक देश बन चुका है, लेकिन इन आइटम के निर्माण के लिए कंपोनेंट्स का बड़ी मात्रा में आयात किया जाता है।

    भारत सालाना सिर्फ चीन से 38 अरब डालर के कंपोनेंट्स समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम का आयात करता है। प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) का भी भारी मात्रा में आयात किया जाता है। दूसरी तरफ निर्यात बढ़ाने से मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन मिलने के साथ वैश्विक सप्लाई चेन में भी भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी। पिछले कुछ सालों में भारत ने सात देशों के साथ व्यापार समझौता किया है और नए साल में भी कई देशों के साथ व्यापार समझौते होने जा रहे हैं। लेकिन निर्यात को बड़ा फायदा तभी मिलेगा, जब भारतीय वस्तुओं की लागत कम होगी और भारत बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में सक्षम होगा।

    इसे ध्यान में रखते हुए भी केमिकल्स, मशीनरी जैसे कई आइटम के कच्चे माल के शुल्क पर बजट में राहत मिल सकती है। मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ने से रोजगार और निवेश दोनों में बढ़ोतरी होती है जिससे अर्थव्यवस्था में खपत बढ़ती है। सूत्रों का कहना है कि आगामी बजट को लेकर उद्योग जगत के साथ विचार विमर्श के बाद दर्जनों कच्चे माल को चिन्हित किया जा रहा है जिनके शुल्क में राहत मिल सकती है। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक कार्यक्रम में कहा था कि वर्ष 2025 में इनकम टैक्स व जीएसटी प्रणाली में बदलाव के बाद वित्त मंत्रालय का अगला बड़ा सुधार सीमा शुल्क को लेकर होने जा रहा है।

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