दीर्घकालिक एयरपोर्ट क्षमता नीति पर हो रहा विचार, आम बजट में होंगी कई बड़ी घोषनाएं; क्या है सरकार का प्लान?
वर्ष 2025 देश के एविएशन सेक्टर के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। सरकार दीर्घकालिक एयरपोर्ट विस्तार नीति पर काम कर रही है, जिसकी घोषणा बजट 2026-27 में होने की सं ...और पढ़ें

दीर्घकालिक एयरपोर्ट विस्तार नीति पर काम कर रही है सरकार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वर्ष 2025 देश के एविएशन सेक्टर के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा है। एयर इंडिया विमान दुर्घटना और हाल ही में इंडिगो एयरलाइन के सैकड़ों उड़ानों के रद्द होने की घटना ने भारतीय एविएशन सेक्टर की छवि को गहरा धक्का लगाया है। लेकिन केंद्र सरकार इन स्थिति को संभालते हुए अब एक दीर्घकालिक एयरपोर्ट विस्तार नीति पर काम कर रही है।
इस नीति की घोषणा आगामी आम बजट 2026-27 में वित्त मंत्री की तरफ से किये जाने की संभावना है जिसका उद्देश्य देश में हवाई अड्डों के विस्तार, आधुनिकीकरण और निजीकरण के अगले दौर को सुनियोजित करना है ताकि वर्ष 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना के मुताबिक घरेलू एविएशन क्षेत्र को तैयार किया जा सके। इस नीति के केंद्र में अगले 20-22 वर्षों में हवाई यात्रा करने वाले भारतीयों की संख्या में आठ गुणा की संभावित वृद्धि को केंद्र में रखा जाएगा।
हवाई यात्रियों की संख्या लगभग 25 करोड़ पहुंची
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने हाल ही में बताया था कि 2025 में हवाई यात्रियों की संख्या लगभग 25 करोड़ पहुंच गई है, जो 2014 के 11 करोड़ से दोगुनी से अधिक है। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) एक ड्राफ्ट प्लान के अनुसार भारत हवाई यात्रियों की संख्या में सबसे तेज वृद्धि वर्ष 20230 से वर्ष 2045 के बीच होने जा रही है। तब भारत की अर्थव्यस्था का आकार भी बहुत ही तेजी से बढ़ेगा, भारत की अधिकांश आबादी शहरों में रहेगी और अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वालों की संख्या भी उच्चतम स्तर पर रहेगी।
अभी भी घरेलू उड़ानें 7-10 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें 15-20 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही हैं। इस मांग को देखते हुए भारत में हवाई अड्डों की संख्या को मौजूदा 163 से बढ़ाकर 300 से 350 के बीच करना होगा। दीर्घकालिक एयरपोर्ट क्षमता नीति इस मांग के हिसाब से ढांचागत सुविधाओं को तैयार करने, मौजूदा एयरपोर्ट के निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करने, निजी एयरलाइनों को बढ़ावा देने पर जोर देगा।
ढाई करोडृ युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे
सरकार का मानना है कि वर्ष 2047 तक एविएशन सेक्टर का सही तरीके से विकास किया जाए तो इसमें ढ़ाई करोड युवाओं को रोजगार के अवसर हासिल होंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वैसे हवाई अड्डे, जहां यात्री कम होने की वजह से संचालन नहीं हो रहा है, को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा, इस पर अधिकारियों का कहना है कि अभी वित्तीय प्रोत्साहन से भी इन हवाई अड्डों को फायदा नहीं होगा। सनद रहे कि हाल ही में सरकार की तरफ से संसद में बताया गया था कि 15 ऐसे एयरपोर्ट हैं जो यात्रियों की संख्या नहीं होने की वजह से संचालित नहीं हो रहे हैं।
इसी तरह से एविएशन सेक्टर की एक पुरानी मांग एटीएफ (एविएशन टरबाइन फ्यूल) पर जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने की है, इस बारे में भी अधिकारियों का कहना है कि इस पर वित्त मंत्रालय को राज्यों के साथ विमर्श करके फैसला करना है। वैसे हाल के वर्षों में एटीएफ की कीमत काफी स्थिर रही है लिहाजा अभी सरकार के लिए इसको बहुत आवश्यक नहीं मान रही। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की तरफ से वित्त मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि आगामी बजट में एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पूंजीगत आवंटन को चालू वित्त वर्ष के 2500 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 5,000 करोड़ रुपये किया जाए।
सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) के उत्पादन को प्रोत्साहन देने की भी मांग की गई है। साथ ही, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत 25 हवाई अड्डों के निजीकरण की योजना को आगे बढ़ाये जाने की भी संभावना है। इसके अगले चरण में 11-13 एयरपोर्ट्स को पीपीपी मॉडल के जरिए निजी हाथों में सौंपने की घोषणा शामिल हो सकती है। इससे न केवल क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि निजी निवेश को भी आकर्षित किया जा सकेगा। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी अदाणी एयरपोर्ट्स ने हाल ही में एयरपोर्ट विस्तार पर अगले पांच वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये निवेश की घोषणा की है।

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