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    बीटी कपास से मधुमक्खियों पर नहीं पड़ा नकारात्मक प्रभाव, भोजन और चारे के उपयोग के लायक: सरकार

    By Jagran NewsEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Thu, 08 Dec 2022 09:19 PM (IST)

    सरसों की वरुणा प्रजाति से तैयार जीएम सरसों हाईब्रिड धारा सरसों हाईब्रिड-11 का वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 की अवधि में सीमित क्षेत्र में परीक्षण किया गया। इसमे कई जगहों पर जैव सुरक्षा अनुसंधान स्तर एक और दो का परीक्षण किया गया है।

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    जीएम सरसों भी पूरी तरह सुरक्षित, भोजन और चारे के उपयोग के लायक: सरकार

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने संसद में पूछे एक सवाल के जवाब में कहा कि जीएम सरसों की खेती पूरी तरह सुरक्षित है। भोजन और चारे के उपयोग में इससे कोई खतरा नहीं है। सरकार ने कहा कि बीटी कपास की खेती से भी मधुमक्खियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह जीएम सरसों की फार्म ट्रायल के बारे में विस्तार से बताया है। सरसों की वरुणा प्रजाति से तैयार जीएम सरसों हाईब्रिड धारा सरसों हाईब्रिड-11 का वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 की अवधि में सीमित क्षेत्र में परीक्षण किया गया। इसमे कई जगहों पर जैव सुरक्षा अनुसंधान स्तर एक और दो का परीक्षण किया गया है।

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    इस प्रजाति (डीएमएच-11) की उत्पादकता 37 फीसद तक अधिक प्राप्त की गई है। सिंह ने अपने जवाब में कहा है कि निर्धारित गाइड लाइंस और नियमों के अनुसार इस प्रजाति की खेती का मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण प्रभाव आकलन तीन साल तक किया गया है। इससे किसी भी तरह की एलर्जी अथवा अन्य किसी तरह की असामान्य स्थिति नहीं मिली। इस दौरान पर्यावरण संबंधी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है।

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    जीएम सरसों की इस प्रजाति से मधुमक्खियों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता है। जीएम सरसों के इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) के विभिन्न शोध संस्थानों में किए जा रहे फार्म ट्रायल को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि सरकार की सबसे उच्च वैज्ञानिक संस्था जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रैजल कमेटी (जीईएसी) ने जीएम सरसों को हरी झंडी दे दी है।

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