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    भारत-म्यांमार बॉर्डर पर अवैध घुसपैठ रोकने के लिए सरकार ने उठाया कदम, BRO ने बाड़ लगाने का काम किया शुरू

    Updated: Thu, 25 Jan 2024 07:13 PM (IST)

    सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-म्यांमार सीमा के बड़े हिस्से पर बाड़ लगाएगा और मणिपुर में 10 किमी के हिस्से में यह काम किया जा चुका है और सुरक्षा के लिए इस भाग को असम राइफल्स को सौंपा जा चुका है। गृह मंत्रालय ने तकरीबन 1700 किमी क्षेत्र में बाड़ लगाने का जिम्मा बीआरओ को सौंपा है।

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    मणिपुर में 10 किमी में बाड़ लगाने का काम हो चुका है पूरा। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, गुवाहाटी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-म्यांमार सीमा के बड़े हिस्से पर बाड़ लगाएगा और मणिपुर में 10 किमी के हिस्से में यह काम किया जा चुका है और सुरक्षा के लिए इस भाग को असम राइफल्स को सौंपा जा चुका है।

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    मणिपुर में बाड़ लगाने के लिए 80 किमी क्षेत्र की पहचान

    मणिपुर में बाड़ लगाने के लिए 80 किमी क्षेत्र की पहचान की जा चुकी है और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) मंत्रालय में भेजी जा चुकी है। यह जानकारी बीआरओ के अतिरिक्त महानिदेशक पूर्व (एडीजी-पूर्व) पीकेएच सिंह ने दी।

    म्यांमार के साथ हुए मुक्त आवाजाही समझौते पर पुनर्विचार

    उन्होंने बताया कि चार भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम म्यांमार के साथ 1643 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं और सरकार म्यांमार के साथ हुए मुक्त आवाजाही समझौते पर पुनर्विचार कर रही है।

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    बाड़ लगाने का जिम्मा बीआरओ को सौंपा गया

    गृह मंत्रालय ने तकरीबन 1700 किमी क्षेत्र में बाड़ लगाने का जिम्मा बीआरओ को सौंपा है। भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाना बीआरओ के लिए महत्वपूर्ण परियोजना है। इस सीमा के आसपास का क्षेत्र लंबे समय से बाड़ रहित है और इसके आसपास होने वाली गतिविधियों पर निगरानी की जरूरत थी।

    इससे पहले बीआरओ बीएसएफ के साथ मिलकर भारत-बांग्लादेश में बाड़ लगा चुकी है। एडीजी ने बताया कि संगठन का प्राथमिक उद्देश्य अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भारत-चीन सीमा सड़कों (आइसीबीआर) का रणनीतिक बुनियादी विकास करना है।

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    एडीजी ने बताया कि इसके अलावा बीआरओ को भारत-चीन-म्यांमार सीमा वाले 1,748 किलोमीटर लंबे फ्रंटियर हाईवे में से 531 किलोमीटर बनाने का काम भी सौंपा गया है।