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    आसान नहीं था माओवादियों का खात्मा, अमित शाह की खास रणनीति ने ऐसे दिलाई सफलता 

    By NILOO RANJAN KUMAREdited By: Abhishek Pratap Singh
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 09:00 PM (IST)

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की दृढ़ इच्छाशक्ति और सटीक रणनीति से माओवादियों का सफाया संभव हुआ। उन्होंने सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियारों से लैस किया और खुफिया तंत्र को मजबूत किया। छत्तीसगढ़ में नए एफओबी स्थापित किए गए और जवानों की सुरक्षा के लिए विशेष जूते बनवाए गए। भाजपा सरकार के आने के बाद माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आई और 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।

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    नक्लियों को खत्म करने के लिए अमित शाह ने बनाई खास रणनीति। (फाइल फोटो)

    नीलू रंजन, नई दिल्ली। आजादी के बाद से पुलिस और प्रशासन के लिए अबूझ बना रहा अबूझमाड़ और बस्तर से माओवादियों का सफाया आसान काम नहीं था। लेकिन गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह की दृढ़ इच्छाशक्ति, सटीक रणनीति और धैर्य ने इसे संभव बना दिया।

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    माओवादियों की फंडिंग रोकने से लेकर उनके बारे में जानकारी जुटाने के लिए खुफिया तंत्र तैयार करने, सुरक्षा की खाई (सिक्यूरिटी गैप) को पाटने के लिए अग्रिम सुरक्षा चौकियों (एफओबी) की स्थापना और सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक तकनीक और साजो सामान से लैस करने तक की रणनीति बनाने में अमित शाह की सक्रिय भागीदारी थी। यहां तक कोरेगुट्टा की पहाड़ी समेत सभी मुश्किल आपरेशन के दौरान शाह पल-पल की जानकारी लेते रहे और जरूरी निर्देश देते रहे।

    अमित शाह ने तैयार की रणनीति

    माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए एफओबी बनाने का काम संप्रग सरकार के दौरान से ही शुरु हो गया था। लेकिन गति धीमी थी। अमित शाह ने गृहमंत्री बनने के बाद एक रणनीति के तहत छह-सात किलोमीटर के दायरे में एफओबी बनाने की रणनीति तैयार की और एफओबी को अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया।

    आज छत्तीसगढ़ में बने 550 से अधिक एफओबी में से हर में 25 किलोमीटर और पांच किलोमीटर की रेंज के दो ड्रोन, 1.2 किलोमीटर तक मार करने वाले दो स्नाइपर राइफल, विशेष रूप से तैयार आर्मर्ड व्हेकिल समेत जवानों के पास अत्याधुनिक हथियार हैं।

    यही नहीं, इन एफओबी का खुद दौरा कर तमाम हथियारों और उपकरणों का खुद निरीक्षण भी करते थे। सुदूर जंगल में आपरेशन के दौरान जवानों को तक जरूरी साजोसामान पहुंचाना और घायल जवानों का निकालकर तत्काल अस्पताल पहुंचाना बहुत बड़ी चुनौती थी।

    शाह ने वायुसेना के कमाडों के साथ छह हेलीकॉप्टरों को इस काम के लिए तैनात किया। हेलीकॉप्टर पर माओवादियों के हमले के खतरे को उसके नीचे स्टील की मोटी परत लगाकर बुलेट प्रूफ बनाया गया। एफओबी तक जाने के लिए खुद शाह इन्हीं हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करते थे।

    अमित शाह ने जवानों की सुरक्षा के लिए उठाया ये कदम

    सुरक्षा बलों की बढ़त को रोकने के लिए 2022 में माओवादियों ने जंगल में जगह-जगह जहर बुझे लोहे की कीलें लगानी शुरू कर दी, जो जूते को पार जवानों के पैर को घायल कर देता था। जहर फैलने के कारण इसकी चपेट में आए चार-पांच जवानों के पैर काटने पड़ गए।

    जब अमित शाह को इसकी जानकारी मिली तो उन्हें ऑपरेशन रूकवा दिया और सेंसर लगे विशेष जूते बनवाकर जवानों को उपलब्ध कराया, जो लोहे की कील से उन्हें सचेत कर देता था। वहीं माओवादियों की फंडिंग रोकने और बड़े माओवादी घटनाओं की जांच की जिम्मेदारी एनआईए को सौंपी।

    भाजपा सरकार के बाद माओवादियों के खिलाफ एक्शन में आई तेजी

    छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार होने के कारण एफओबी बनाने से लेकर माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन तक की गति धीमी रही। लेकिन दिसबंर 2023 में भाजपा की विष्णुदेव साय की सरकार बनने के बाद इसमें तेजी आई।

    21 जनवरी 2024 को अमित शाह ने राज्य पुलिस के साथ-साथ सडी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ बैठकर माओवाद को जड़ से खत्म करने के रोडमैप को तैयार किया और उस पर आक्रमक तरीके से अमल करने का निर्देश दिया।

    उस समय तीन साल साल लक्ष्य रखा गया था। लेकिन सात महीने में इस रोडमैप से सफलता मिलने लगी। अगस्त 2024 में ऐसी ही समीक्षा बैठक के दौरान शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को देश से पूरी तक खत्म करने का ऐलान कर दिया।

    तीन दिनों के भीतर पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के सदस्य समेत लगभग 500 माओवादियों के आत्मसमर्पण के बाद यह सच साबित होता दिखा रहा है।

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