Amit Shah: कर्नाटक में JD(S) के गढ़ से ही जीत सुनिश्चित करने उतरेगी भाजपा
शाह ने मैसूर क्षेत्र की मांडया सीट पर रैली करने के बाद प्रदेश के नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया था कि बंगलूरू की सीटों को छोड़कर इस क्षेत्र की 61 में से 35 सीटें जीतने के लिए जोर लगाएं। यह पूरा क्षेत्र जदएस और कांग्रेस का गढ़ है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक की लड़ाई भाजपा के लिए संघर्षपूर्ण मानी जा रही है और इस नाते केंद्रीय नेतृत्व ने उसी क्षेत्र से जीत सुनिश्चित करने की रणनीति तय की है जो भाजपा के लिए अब तक सबसे चुनौतीपूर्ण रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मैसूर क्षेत्र की लगभग पांच दर्जन सीटों में से 35 सीट जीतने का लक्ष्य दिया है। भाजपा ने इसकी शुरूआत कर दी है।
प्रदेश भाजपा के सभी मोर्चों के संयोजक बनाए गए युवा नेता बीवाइ विजयेंद्र ने यहीं से अपनी नई जिम्मेदारी की शुरूआत भी कर दी है। यह रोचक इसलिए है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा के पुत्र विजयेंद्र ने दो वर्ष पहले इसी क्षेत्र की केआर पेट सीट पर पहली बार भाजपा को जीत दिलाई थी।
इस बार भी उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व की अपील पर सबसे पहले कदम बढ़ा दिया है। अगर वह फिर से खुद को साबित करने में सफल रहे तो पार्टी के अंदर उनकी प्रोन्नति को रोकना मुश्किल होगा जो अंदरूनी तौर पर पार्टी के कई नेताओं को रास न आए। कर्नाटक कुछ ऐसे राज्यों में शामिल है जहां कांग्रेस बहुत मजबूत स्थिति में है।
पूरा क्षेत्र जदएस और कांग्रेस का गढ़
भाजपा सुशासन और विकास के डबल इंजन के नाम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है लेकिन सत्ताविरोधी लहर और अंदरूनी खींचतान मुश्किल का सबब है। ऐसे में कुछ दिन पहले शाह ने मैसूर क्षेत्र की मांडया सीट पर रैली करने के बाद प्रदेश के नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया था कि बंगलूरू की सीटों को छोड़कर इस क्षेत्र की 61 में से 35 सीटें जीतने के लिए जोर लगाएं।
गौरतलब है कि यह पूरा क्षेत्र जदएस और कांग्रेस का गढ़ है। बताते हैं कि उसके बाद से प्रदेश के कुछ नेता दौरा तो लगातार कर रहे हैं लेकिन पहली बार विजयेंद्र ने आक्रामक शुरूआत की। हाल में ही उन्हें केंद्रीय नेतृत्व के संकेत पर ही सभी मोर्चों का संयोजक बनाया गया है और इस नाते पहली बार बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। बुधवार को उन्होंने मांडया मे ही युवा मोर्चा की बड़ी बैठक की।
चूंकि वह पहले इस क्षेत्र में अपनी मेहनत का असर दिखा चुके हैं इस लिहाज से प्रदेश के ऐसे दूसरे नेताओं की उनपर नजर रहेगी। वहीं प्रदेश के नेताओं पर दबाव भी बढ़ेगा। गौरतलब है कि 27 फरवरी को प्रधानमंत्री भी कर्नाटक जाने वाले हैं।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा हाल ही में तीन दिवसीय दौरे से लौटे हैं। भाजपा के लिए यहां जीत इसलिए जरूरी है क्योंकि दक्षिण में भाजपा का यह अकेला राज्य है। पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण पर फोकस कर रही है और इस चुनाव का प्रभाव आगे तक दिखेगा।
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