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    भाजपा का जोड़-तोड़ से इन्कार तो फिर कैसे बनेगी सूबे में सरकार?

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    Updated: Mon, 17 Mar 2014 10:16 AM (IST)

    भाजपा का कहना है कि वह विधायकों का जोड़तोड़ नहीं करेगी, लेकिन वह दिल्ली में सरकार बनाने से इन्कार भी नहीं कर रही है। अब यह समझना मुश्किल है कि जब भाजपा के पास सरकार बनाने की जरूरी संख्या नहीं है तो फिर वह बिना जोड़ तोड़ किए आखिर सरकार कैसे बना पाएगी?

    नई दिल्ली। भाजपा का कहना है कि वह विधायकों का जोड़तोड़ नहीं करेगी, लेकिन वह दिल्ली में सरकार बनाने से इन्कार भी नहीं कर रही है। अब यह समझना मुश्किल है कि जब भाजपा के पास सरकार बनाने की जरूरी संख्या नहीं है तो फिर वह बिना जोड़ तोड़ किए आखिर सरकार कैसे बना पाएगी?

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    प्रदेश अध्यक्ष डॉ.हर्षवर्धन सहित तीन विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारे जाने से दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर संशय और गहरा गया है। उल्लेखनीय है कि,दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों की जरूरत है। जबकि,भाजपा व उसके सहयोगी शिरोमणि अकाली दल बादल के विधायकों की कुल संख्या 32 है। यानी सरकार बनाने के लिए उसे चार और विधायकों की जरूरत है।

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    वहीं भाजपा ने अपने तीन विधायकों- हर्षवर्धन, रमेश बिधू़ड़ी और प्रवेश वर्मा को लोकसभा चुनाव में भी उतार दिया है। यदि वे चुनाव जीत जाते हैं तो गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 29 रह जाएगी। ऐसी स्थिति में उसे सरकार बनाने के लिए कांग्रेस या फिर आम आदमी पार्टी के विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी, जो कि बगैर जोड़तोड़ के संभव नहीं है।

    जबकि,रविवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि यदि जोड़तोड़ कर सरकार बनानी होती तो उपराज्यपाल से निमंत्रण मिलने के बाद ही बना लेते। इसलिए किसी भी सूरत में सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ कर सरकार नहीं बनाएंगे। तो क्या फिर भाजपा दिल्ली में सरकार नहीं बनाएगी? यह पूछने पर उनका जवाब है कि सरकार बनाने की प्रक्रिया अलग होती है। सरकार कैसे बनेगी यह वक्त बताएगा।

    आपको बता दें कि पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन सहित कुछ नेता विधायकों को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने के पक्ष में नहीं थे। जिससे यह उम्मीद जताई जा रही थी कि भाजपा दिल्ली में सरकार बनाएगी। लेकिन तीन विधायकों को टिकट दे दिए जाने के बाद संभावना जताई जा रही है कि भाजपा सरकार बनाने से इन्कार कर दे।

    गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। जिसके विरोध में केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली में विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की मांग की है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों से सरकार बनाने को लेकर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। दोनों ही पार्टियों को 31 मार्च तक जवाब देना है। इस मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल को है।