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    Mission 2024: भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन कल से, '400 पार' के लक्ष्य का होगा संधान

    By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey
    Updated: Thu, 15 Feb 2024 07:07 PM (IST)

    लोकसभा चुनाव में भाजपा को 370 और राजग को 400 पार सीटें दिलाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही भाजपा शनिवार और रविवार को अपना राष्ट्रीय अधिवेशन करने जा रही है। नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में इस दो दिवसीय अधिवेशन का शुभारंभ राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे जबकि इसका समापन करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में भी शामिल होंगे।

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    भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन कल से शुरू। (फाइल, बीजेपी)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 370 और राजग को 400 पार सीटें दिलाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही भाजपा शनिवार और रविवार को अपना राष्ट्रीय अधिवेशन करने जा रही है। नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में इस दो दिवसीय अधिवेशन का शुभारंभ राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे, जबकि इसका समापन करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में भी शामिल होंगे।

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    देशभर के 11500 प्रतिनिधियों की भागीदारी वाले इस महामंथन में पार्टी पीएम मोदी द्वारा तय किए गए लोकसभा चुनाव के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने की रणनीति भी तैयार करेगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता व प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में बताया कि दो दिवसीय अधिवेशन के पहले दिन 17 फरवरी को पदाधिकारियों की बैठक होगी। उसके बाद अन्य सत्र होंगे। इनमें दो प्रस्ताव भी पारित किए जाएंगे।

    लोकसभा चुनाव पर होगी चर्चा

    अधिवेशन में सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी, केंद्रीय मंत्री, सांसद, पूर्व सांसद, विधायक, महापौर, जिला परिषद अध्यक्ष सहित प्रदेश और जिला संगठनों के पदाधिकारी और वरिष्ठ विस्तारक शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तय किए गए 400 पार के महान आव्हान को इस अधिवेशन के माध्यम से फलीभूत किया जाएगा। लोकसभा चुनाव पर चर्चा की जाएगी।

    सबसे अधिक लोकतांत्रिक तरीके से भाजपा चलती है

    पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और वामपंथी दल भाजपा पर कोई भी टिप्पणी करते हों, लेकिन सच यह है कि लोकतांत्रिक तरीके से पार्टी से संगठन के अभियान को सबसे अधिक भाजपा चलाती है। राष्ट्रीय अधिवेशन, कार्यसमिति, प्रदेशों और जिलों में कार्यक्रम करना भाजपा का डीएनए है।

    उन्होंने कहा कि सामान्यत: हर लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी इस तरह राष्ट्रीय अधिवेशन करती है। 2014 और 2019 के अधिवेशन के बाद पार्टी को चुनावों में बड़ी सफलता भी मिली।

    चुनावी पारदर्शिता के लिए था चुनावी बॉन्ड का निर्णय

    चुनावी बॉन्ड पर आए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अधिकृत टिप्पणी निर्णय को पूरी तरह पढ़ने के बाद की जाएगी। अभी आरंभिक टिप्पणी यही है कि चुनावी बॉन्ड का निर्णय बहुत ही प्रामाणिक उद्देश्य के लिए किया गया था। चुनाव की फंडिंग में पारदर्शिता और चुनाव में नकदी का प्रभाव कम करने के लिए यह निर्णय था।

    चंदा देने वालों की गोपनीयता रखना उचित होगा

    उन्होंने दावा किया कि चंदा देने वाले लोगों की भी अपेक्षा थी कि उनकी गोपनीयता रखना उचित होगा। वहीं, इस संबंध में कांग्रेस के आरोपों पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस का पूरा संस्कार ही घूस पर है। वह यदि भाजपा पर आरोप लगाती है तो शर्म की बात है।

    चुनाव में सुधार के लिए पीएम ने प्रयास किए

    भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि चुनावी बॉन्ड ही नहीं, चुनाव में सुधार के लिए पीएम मोदी ने और भी प्रयास किए। मतदाता सूची पर फोटो लगने लगे। बड़ी संख्या में ईवीएम लाने से बूथ कैप्चरिंग बंद हुई। अब सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय किया है, तो उसका सम्मान करते हैं।

    ममता बनर्जी को आनी चाहिए शर्म

    भाजपा बंगाल के संदेशखाली के मामले पर भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संदेशखाली पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में शर्मनाक बयान दिया है कि जो महिलाएं चेहरा ढंककर अपने खिलाफ शोषण की बात कह रही हैं, वह महिलाएं मुंह खोलकर क्यों नहीं बोलतीं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

    टीएमसी के गुर्गे महिलाओं को रात में नॉक करते हैं

    प्रसाद ने कहा कि टीएमसी के गुर्गे महिलाओं को रात में नॉक करते हैं, उनका यौन उत्पीड़न का प्रयास करते हैं। महिलाएं खुलकर बोलती हैं और ममता बनर्जी आरएसएस पर आरोप लगा रही हैं। ममता बनर्जी को शर्म आनी चाहिए कि महिला होकर इस तरह की बात कर रही हैं।

    उन्होंने अन्य विपक्षी दलों को भी घेरा। कहा कि यदि भाजपा के किसी मुख्यमंत्री के मुंह से यह बात निकली होती तो तूफान खड़ा हो गया होता। अभी राहुल गांधी, सीपीआई, सीपीएम, मानवाधिकार संगठन, सब चुप हैं। यह दोहरा मापदंड शर्मनाक है।

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