बीजेपी नेता के बेटे ने रच दी खुद के 'मौत' की स्क्रिप्ट, 1.40 करोड़ के कर्ज से बचने के लिए रची साजिश
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में बीजेपी नेता महेश सोनी के बेटे विशाल सोनी ने 1.40 करोड़ रुपये के कर्ज से बचने के लिए अपनी मौत की झूठी कहानी रची। पुलिस ने जब जांच शुरू की तो मामला घोटाले में तब्दील हो गया। विशाल 10 दिनों तक महाराष्ट्र में छुपकर बैठा रहा। पुलिस ने सीडीआर निकलवाई तो युवक जिंदा मिला।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जिले में कुछ दिन पहले स्थानीय बीजेपी नेता महेश सोनी के बेटे विशाल सोनी की तलाश के लिए कालीसिंध नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया था।
पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी यह अब एक बड़े घोटाले में तब्दील हो गया है। जानकारी के अनुसार, विशाल सोनी 1.40 करोड़ रुपये के कर्ज में था। इस कर्ज से बचने के लिए उसने मौत का झूठी नौटंकी रची। पुलिस उसकी तलाश पिछले 10 दिनों से कर रही थी। लेकिन वह महाराष्ट्र में छुपकर बैठा था।
बॉडी नहीं मिलने पर पुलिस ने दूसरे एंगल से जांच की शुरू
8वें दिन भी जब बॉडी नहीं मिली तो पुलिस ने दूसरे एंगल से पूरे मामले को समझा और सीडीआर निकलवाई तो युवक महाराष्ट्र में जिंदा मिला। खुलासा करते हुए थाना प्रभारी आकांक्षा हाड़ा ने बताया कि 5 सितंबर को सुबह-सुबह पुलिस को सूचना मिली कि एक कार नदी में तैर रही है, कोई गिर गया है। पुलिस टीम गोताखोरों के साथ घटना स्थल पहुंची और कार को निकलवाया। ऊपर लाने के लिए क्रेन बुलवाई। फिर राजगढ़ एसडीआरएफ को सूचना देकर रेसक्यू अभियान चलाया।
कैसे सामने आई सच्चाई
पहले तीन दिनों में सफलता नहीं मिली। इसी बीच युवक के पिता महेश सोनी ने आरोप भी लगाए कि पुलिस प्रशासन खोजबीन में सहयोग नहीं कर रहा है। अगले दिन से अभियान में और भी तेजी लाई गई। तीन टीम अलग-अलग खोजती रही। पुल से स्टॉप डेम तक पूरे एक किलोमीटर के क्षेत्र का मलबा तक छान लिया, लेकिन बॉडी बरामद नहीं हुई तो पुलिस को दूसरे एंगल से सोचना पड़ा और सीडीआर निकलवाई। हमें आशंका थी कि कहीं अपहरण न हो गया हो। लेकिन युवक को महाराष्ट्र पुलिस की मदद से संभाजीनगर जिले के फर्दापुर थाना क्षेत्र के प्रतापपुर गांव से दस्तयाब करने के बाद पूरी कहानी सामने आई।
पूछताछ में खुद बताई ये कहानी
पूछताछ में युवक ने बताया कि उसके पास 6 ट्रक और दो पब्लिक व्हीकल हैं जिनका एक करोड़ 40 लाख रुपये से अधिक का कर्जा बकाया है, किश्तें जमा नहीं हो पा रही हैं। उसके परिजनों ने उसे आइडिया दिया कि किसी प्रकार मृत्यु प्रमाणपत्र बन जाए तो बैंकों का कर्जा माफ हो सकता है। इसकी जानकारी उसके पिता को भी थी, बस इसी को लेकर 5 तारीख को गोपालपुरा में ढाबे पर खड़े ट्रक से भाड़ा लेकर नदी किनारे आया और चलती कार से कूदकर कार को नदी की ओर धकेल दिया।
कैसे नदी में गिरी कार?
बिना मुंडेर का पुल होने से कार नदी में गिर गई और वह इंदौर जा रही बस में बैठकर निकल गया। जहां से दूसरे दिन अखबारों की खबरें पढ़कर महाराष्ट्र निकल गया। वहां शिरडी, शिगनापुर घूमता रहा। यहां रेसक्यू टीम लगातार खोजबीन में जुटी रही, ग्रामीण भी भावनाओं में बहकर नदी में 20 किलोमीटर दूर तक नदी के हर मुमकिन स्थान पर खोजबीन करते रहे। और वह उधर महाराष्ट्र में एश करता रहा। लेकिन जैसे ही उसके पिता ने बताया कि उनकी साजिश का पर्दाफाश हो गया है तो कपड़े फाड़कर धूल में लोट लगाकर नई कहानी बनाकर फर्दापुर थाने में आत्मसमर्पण करने पहुंच गया।
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