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महज 16 वर्ष की उम्र में जेपी से जुड़े जेपी नड्डा, जानें-उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू

आइए हम आपको बताते हैं उनके छात्र राजनीति के संघर्ष से लेकर भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष तक के सफर का सफरनामा। इसके साथ उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को जो अब तक मीडिया में नहीं आई

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 02:43 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 04:16 PM (IST)
महज 16 वर्ष की उम्र में जेपी से जुड़े जेपी नड्डा, जानें-उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू
महज 16 वर्ष की उम्र में जेपी से जुड़े जेपी नड्डा, जानें-उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल। जेपी नड्डा यानी जगत प्रकाश नड्डा उन भारतीय नेताओं में हैं, जिन्‍होंने छात्र राजनीति से अपने कर‍ियर की शुरुआत की और एक बड़ी ऊंचाई हासिल की। अपने कुशल नेतृत्‍व और सांगठनिक क्षमता के कारण वह निंरतर ऊच्‍च पदों पर आसीन रहे। यही वजह है कि भाजपा नेतृत्‍व ने एक बार उन पर फ‍िर भेरासा जताते हुए अमित शाह का उत्‍तराधिकारी चुना है। आइए हम आपको बताते हैं उनके छात्र राजनीति के संघर्ष से लेकर भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष तक के सफर का सफरनामा। इसके साथ उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को जो अब तक मीडिया में नहीं आई है। इसके साथ यह भी बताएंगे कि मोदी से उनके क्‍यों अच्‍छे रिश्‍ते रहे। 

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हिमाचल प्रदेश में मोदी से बने नजदीक रिश्‍ते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ जेपी नड्डा के अटूट रिश्‍ते रहे हैं। दरअसल, नरेंद्र मोदी जब हिमाचल प्रदेश के प्रभारी हुआ करते थे उस वक्‍त नड्डा की हिमाचल प्रदेश में लोकप्रियता से बेहद प्रभावित थे। इसी दौरान दोनों नेता एक दूसरे के निकट आए। दोनों नेताओं को एक साथ काम करने का मौका मिला। उस दौरान कई बार दोनों नेता अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्‍यालय में एक साथ रहते थे। यही वजह रही कि 2014 में जब केंद्र में मोदी की सरकार बनी तो उन्‍हें केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बनाया गया। वर्ष 2019 में जब उन्‍होंने मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली तो यह तय माना जा रहा था कि पार्टी अध्‍यक्ष का पद उनकी ताजपोशी तय है। 

 

राजनीतिक करियर: 16 वर्ष की उम्र में जेपी आंदोलन का हिस्‍सा बने

छात्र जीवन से ही नड्डा की दिलचस्‍पी राजनीति में रही। महज 16 साल की उम्र में वह जेपी आंदोलन का हिस्‍सा बने। इसके बाद वह सक्रिय छात्र राजनीति में प्रवेश किए। उनके नेतृत्‍व क्षमता को देखते हुए 1982 में उन्‍हें हिमाचल में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। उन्‍होंने इस जिम्‍मेदारी का बखूबी निर्वाह किया और हिमाचल प्रदेश में  विद्यार्थी परिषद को मजबूत किया। उनके कुशल नेतृत्‍व में हिमाचल प्रदेश विश्‍वविद्यालय के पहली बार एबीवीपी का परचम लहराया। हिमाचल प्रदेश में छात्रों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। 1989 में वह एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बने।

1993 में पहली बार विधायक बनें 

1991 में वह भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा के अध्‍यक्ष बने। 1993 में वह पहली बार हिमाचल प्रदेश से विधाययक निर्वाचित हुए। 1994 से 1998 तक वह विधानसभा में पार्टी के नेता पद पर रहे। 1998 वह लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। केंद्र में वाजपेयी सरकार में स्‍वास्‍थ्‍य और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया। 2007 में वह दोबार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया गया। वर्ष 2010 में वह भाजपा के राष्‍ट्रीय महामंत्री बने। 2012 में वह राज्‍यसभा के लिए चुने गए। 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में उन्‍हें केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बनाया गया। 


हिमाचल प्रदे श से शुरू किया कर‍ियर  

बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि आखिर जेपी नड्डा के राजनीतिक करियर का सफर कहां से शुरू हुआ। दरअसल, जेपी नड्डा का जन्‍म बिहार प्रांत के पटना में हुआ था, लेकिन राजनीतिक करियर की शुरुआत हिमाचल प्रदेश से हुई थी। नड्डा मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं।  नड्डा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 2 दिसंबर 1960 को हुआ था। 

जीवन परिचय 

  • पिता : डॉ. नारायण लाल नड्डा 
  • माता : स्व. कृष्णा नड्डा 
  • जन्म तिथि : 02 दिसंबर, 1960 
  • जन्म स्थान : पटना (बिहार) 
  • विवाह : 11 दिसंबर 1991 
  • पत्नी : डॉ. मल्लिका नड्डा 
  • पुत्र : हरीश व गिरीश 
  • स्थायी निवासी : गांव विजयपुर, डाकघर औहर, तहसील झंडूत्ता, जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) 
  • शिक्षा : बीए, एलएलबी 
  • प्रारंभिक शिक्षा : सेंट जेवियर स्कूल, पटना। 
  • स्नातक : पटना कॉलेज 
  • एलएलबी : एचपीयू शिमला 

राजनीतिक सफर 

  • 16 वर्ष की उम्र में राजनीतिक सफर शुरू। बिहार में स्टूडेंट मूवमेंट में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 
  • 1977 में छात्र संघ चुनाव में पटना विश्वविद्यालय के सचिव चुने गए। 
  • 1982 में हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। 
  • 1983-1984 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला से वकालत की। 
  • 1983 में पहली बार हुए केंद्रीय छात्र संघ (एससीए) चुनाव में एचपीयू में विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष बने। 
  • 1986 से 1989 तक विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे। 
  • 1989 में केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की वजह से 45 दिन तक जेल में रहे। 
  • 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भारतीय जनता युवा मोर्चा का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया। 
  • 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। 
  • 1993 में पहली बार विधायक बने और नेता प्रतिपक्ष चुने गए। 
  • 1998 में दोबारा चुनाव जीते और भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। 
  • 2007 में भाजपा सरकार में वन, पर्यावरण एवं संसदीय मामलों के मंत्री रहे। 
  • 2011 में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। दिल्ली में कामकाज संभाला। 
  • 2014 में केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। 
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का प्रभार मिला और पार्टी की बड़ी जीत के नायक बने।

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