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    इन्सुलिन इंजेक्शन के ट्रायल से बचने को बायोकान ने दी थी नौ लाख की रिश्वत, CBI ने दाखिल किया आरोपपत्र

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Thu, 25 Aug 2022 06:12 PM (IST)

    सीबीआइ के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि 18 अगस्त को दाखिल आरोपपत्र के अनुसार बायोकान बायोलाजिकल्स के सहायक उपाध्यक्ष एल. प्रवीण कुमार की मंजूरी के बाद संयुक्त औषधि नियंत्रक एस. ईश्वर रेड्डी को नौ लाख रुपये रिश्वत के तौर पर दिए गए।

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    सीबीआइ ने बायोकान मामले में पांच के विरुद्ध आरोपपत्र किया दाखिल

    नई दिल्ली, एजेंसी। सीबीआइ ने नौ लाख रुपये की रिश्वतखोरी के एक मामले में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के एक वरिष्ठ अधिकारी और बायोकान बायोलाजिक्स के एक कार्यकारी समेत पांच व्यक्तियों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया है। बताया जाता है कि रिश्वत इंसुलिन के एक इंजेक्शन के तीसरे ट्रायल से बचने के लिए दी गई थी।

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    सीबीआइ के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि 18 अगस्त को दाखिल आरोपपत्र के अनुसार बायोकान बायोलाजिकल्स के सहायक उपाध्यक्ष एल. प्रवीण कुमार की मंजूरी के बाद संयुक्त औषधि नियंत्रक एस. ईश्वर रेड्डी को नौ लाख रुपये रिश्वत के तौर पर दिए गए। आरोपपत्र में सिनर्जी नेटवर्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिनेश दुआ को भी नामजद किया गया है जिन्होंने रेड्डी को रिश्वत दी। इसके अलावा बायोकान बायोलाजिकल्स के कथित संपर्क सूत्र गुलजीत सेठी और सहायक औषधि निरीक्षक अनिमेष कुमार भी आरोपपत्र में नामजद हैं।  सीबीआइ ने इन पांचों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।

    अधिकारियों ने कहा कि यह रिश्वत इन्सुलिन एस्पार्ट इंजेक्शन की फाइल को 18 मई को हुई विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की बैठक में कथित तौर पर भेजने के लिए सुझाव देने के लिए दी गई ताकि तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल से बचा जा सके।

    कंपनी ने कहा, वह विज्ञान के नियामकों में विश्व के सर्वश्रेष्ठ नियमों का करते हैं पालन

    किरण मजूमदार शा की कंपनी बायोकान की सहायक कंपनी बायोकान बायोलाजिकल्स ने हालांकि रिश्वत देने के आरोपों से इन्कार कर दिया है। बायोकान बायोलाजिकल्स के प्रवक्ता ने बताया कि बायोकान को अभी तक आरोपपत्र की प्रति नहीं मिली है। इसलिए वह इसके ब्योरे के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। कंपनी ने कहा कि वह विज्ञान के नियामकों में विश्व के सर्वश्रेष्ठ नियमों का पालन करते हैं। वह अकेली भारतीय कंपनी है जो इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ, जापान जैसे देशों की नियामक मंजूरी रखती है।