71 पुराने कानूनों को खत्म करने के लिए विधेयक को मंजूरी, सरकार बोली- 'उपनिवेशी मानसिकता से मुक्ति की दिशा में कदम'
लोकसभा ने 71 पुराने और अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने के लिए विधेयक पारित किया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे नागरिकों के जीवन को सरल बनाने व ...और पढ़ें

उपनिवेशी मानसिकता से मुक्ति की दिशा में एक कदम बताया (फोटो: स्क्रीनग्रैब)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा ने मंगलवार को 71 पुराने और अप्रचलित कानूनों को निरस्त या संशोधित करने के लिए एक विधेयक को पारित किया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह कदम नागरिकों के जीवन को सरल व सुगम बनाने में सहायक साबित होगा। उन्होंने कहा कि मई 2014 से मोदी सरकार लगातार उपनिवेशी युग के पुराने और अप्रचलित कानूनों को समाप्त कर रही है।
ये सुधार उपनिवेशी मानसिकता से मुक्ति की दिशा में एक कदम हैं। अब तक, 1,562 पुराने और अप्रचलित कानूनों को निरस्त किया जा चुका है। इस प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिल जाने पर निरस्त किए जाने वाले कानूनों की कुल संख्या 1,633 हो जाएगी। विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का उत्तर देते हुए मेघवाल ने बताया कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य पुराने कानूनों को हटाना, कानून बनाने की प्रक्रिया में आई त्रुटियों को सुधारना और कुछ कानूनों के भेदभावपूर्ण पहलुओं को समाप्त करना है।
ध्वनि मत से पारित हुआ विधेयक
यह विधेयक ध्वनि मत से पारित किया गया। मेघवाल ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम का उल्लेख करते हुए कहा- 'नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में कानून की किताबों में कोई भेदभाव नहीं हो सकता।' मंत्री ने कहा कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के तहत यदि कोई ¨हदू, बौद्ध, सिख, जैन या पारसी वसीयत बनाता है तो उसे प्रमाणित करना आवश्यक है, जबकि किसी अन्य समुदाय पर ऐसा कोई प्रविधान लागू नहीं होता।
यह विधेयक 71 अधिनियमों को निरस्त करेगा जिसमें भारतीय ट्रामवे अधिनियम, 1886, लेवी शुगर प्राइस इक्वलाइजेशन फंड अधिनियम, 1976, और भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (कर्मचारियों की सेवा की शर्तों का निर्धारण) अधिनियम, 1988 आदि शामिल हैं। विधेयक चार अधिनियमों में संशोधन करेगा, जिसमें सामान्य धाराए अधिनियम, 1897, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 शामिल हैं ताकि पंजीकृत डाक के लिए शब्दावली को अपडेट किया जा सके और भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 में कुछ मामलों में वसीयत की मान्यता के लिए अदालतों से अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता को समाप्त किया जा सके।
विधेयक आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में एक ड्राफ्टिंग त्रुटि को सुधारने के लिए भी संशोधन करेगा। कांग्रेस के सदस्य उम्मेद राम बेनीवाल ने विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि यह लोगों के लाभ के लिए नहीं है। समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा ने भी विधेयक की प्रक्रिया पर चिंता जताई, जबकि तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने न्यायिक सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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